खादी की डोर से जुड़ा विकास: ग्रामोद्योग योजनाओं से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिली नई दिशा, बढ़ा स्वरोजगार

सीएम विष्णु देव के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार लगातार युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने और ग्रामीण उद्योगों को गति देने के प्रयास कर रही है।

Updated On 2025-10-28 19:00:00 IST

बुनकर खादी वस्त्र तैयार करते हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

रायपुर। छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णु देव के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार लगातार युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने और ग्रामीण उद्योगों को गति देने के प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में प्रदेश के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने और ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड ने बड़ा कदम उठाया है।

छत्तीसगढ़ खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा युवाओं और आम नागरिकों को स्वरोजगार तथा उद्यमिता की दिशा में प्रोत्साहित करने के लिए दो महत्वपूर्ण योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इनमें प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (ऑनलाइन) और मुख्यमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (ऑफलाइन) शामिल हैं। इन योजनाओं के तहत पात्र आवेदकों को बैंक ऋण उपलब्ध कराया जाता है, जिस पर शासन की ओर से अनुदान भी दिया जाता है। 


ग्रामीण विकास की मजबूत कड़ी
छत्तीसगढ़ खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक उद्योगों को पुनर्जीवित कर स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन करना है। राज्य के सुदूर इलाकों में चरखा, बुनाई, हस्तशिल्प, साबुन, अगरबत्ती, पेपर बैग, हर्बल उत्पाद, और हस्तनिर्मित वस्त्र जैसी इकाइयाँ फिर से सक्रिय हो रही हैं। इनसे हजारों परिवारों की आजीविका सुरक्षित हुई है। बोर्ड द्वारा संचालित योजनाओं के तहत युवाओं को कम ब्याज दर पर ऋण, उद्योग स्थापना हेतु प्रशिक्षण, और मार्केटिंग सहायता दी जा रही है।

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) और मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग विकास योजना जैसी योजनाओं के माध्यम से युवाओं को स्वयं का उद्योग स्थापित करने का अवसर मिला है। सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि पात्र लाभार्थियों को बैंक ऋण के साथ सब्सिडी का लाभ सीधे मिले, ताकि कोई भी युवा बिना पूंजी के पीछे न रह जाए। 


महिला स्व-सहायता समूहों को दी जा रही विशेष प्राथमिकता
महिला स्व-सहायता समूहों को विशेष प्राथमिकता दी जा रही है। बोर्ड के सहयोग से महिलाएँ अगरबत्ती, हर्बल साबुन, सौंदर्य प्रसाधन, फलों के प्रसंस्करण और सिलाई-कढ़ाई जैसे लघु उद्योग चला रही हैं। इनसे महिलाओं की आय में वृद्धि हुई है और गाँवों में आत्मनिर्भरता की भावना मजबूत हुई है। राज्य सरकार ने स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय बाजार से जोड़ने के लिए 'छत्तीसगढ़ खादी ब्रांड' को बढ़ावा दिया है।

अब राज्य के हर्बल, हस्तनिर्मित और वस्त्र उत्पाद ऑनलाइन प्लेटफार्मों और सरकारी प्रदर्शनियों में भी उपलब्ध हैं। इससे उत्पादकों को उचित मूल्य और पहचान दोनों मिल रहे हैं। युवाओं के बीच अब सरकारी नौकरी पर निर्भरता कम हो रही है। प्रशिक्षण और ऋण सहायता से वे अपने गाँव में ही स्वरोजगार शुरू कर रहे हैं। कई सफल युवा उद्यमियों ने ग्रामोद्योग योजनाओं की मदद से अपने व्यवसाय को स्थानीय से राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया है। 


प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, भारत सरकार के खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग द्वारा प्रायोजित है। इसके अंतर्गत नकारात्मक उद्योगों को छोड़कर किसी भी ग्रामोद्योग इकाई की स्थापना हेतु बैंक ऋण स्वीकृत किया जाता है। योजना के तहत सेवा क्षेत्र में 20 लाख रुपये तक और विनिर्माण क्षेत्र में 50 लाख रुपये तक की परियोजनाओं को मंजूरी दी जाती है। ग्रामीण क्षेत्र के लाभार्थियों को 35 प्रतिशत तथा शहरी क्षेत्र के लाभार्थियों को 25 प्रतिशत तक अनुदान का लाभ मिलता है। सामान्य वर्ग के पुरुषों के लिए यह दर क्रमशः 25 और 15 प्रतिशत है।

योजना में सामान्य वर्ग के पुरुषों को 10 प्रतिशत तथा अन्य वर्गों एवं महिलाओं को 5 प्रतिशत स्वयं का अंशदान करना अनिवार्य है। ऋण राशि को सात वर्षों में ब्याज सहित आसान किस्तों में चुकाया जा सकता है। आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है और इसके लिए आवेदकों को https://www.kviconline.gov.in/pmegp/ पोर्टल पर पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड, जाति प्रमाणपत्र, अंकसूची, निवास प्रमाणपत्र और प्रोजेक्ट रिपोर्ट अपलोड करनी होगी। 


मुख्यमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम
मुख्यमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम राज्य शासन की पहल है। इसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के ग्रामीण हितग्राहियों के लिए सेवा क्षेत्र में 1 लाख रुपये तक तथा विनिर्माण क्षेत्र में 3 लाख रुपये तक की परियोजनाओं को स्वीकृति दी जाती है। योजना के तहत 35 प्रतिशत तक अनुदान और मात्र 5 प्रतिशत स्वयं का अंशदान निर्धारित है। ऋण राशि को अधिकतम तीन वर्षों में ब्याज सहित किस्तों में चुकाना होगा।

यह योजना पूरी तरह ऑफलाइन है और इसके लिए इच्छुक आवेदक संबंधित जिला के छत्तीसगढ़ खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड में आवेदन जमा कर सकते हैं। दोनों योजनाओं का मुख्य उद्देश्य युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना, ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा देना और हितग्राहियों को आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करना है। 


आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को कर रही साकार
खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड की योजनाएँ छत्तीसगढ़ में ग्रामीण पुनर्जागरण की दिशा में क्रांतिकारी साबित हो रही हैं। आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने में ये योजनाएँ आधारशिला बन चुकी हैं। सरकारी सहयोग, महिला सशक्तिकरण और युवाओं की भागीदारी ने छत्तीसगढ़ को स्वरोजगार का नया केंद्र बना दिया है। आने वाले समय में इन योजनाओं से राज्य में न केवल रोजगार बढ़ेगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और मजबूत होगी।

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