दुष्कर्म के बाद बच्ची की हत्या: हाई कोर्ट ने कहा- रेप के पर्याप्त साक्ष्य मौजूद, ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटा
जांजगीर-चांपा जिले में नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म के आरोपी की उम्रकैद की सजा बरकरार रहेगी। हाईकोर्ट ने कहा कि, पर्याप्त साक्ष्य होने के बाद भी दुष्कर्म के आरोप को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता।
बिलासपुर हाईकोर्ट
पंकज गुप्ते- बिलासपुर। बिलासपुर हाईकोर्ट ने 12 साल की मासूम से दुष्कर्म और हत्या के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। जांजगीर-चांपा जिले की इस दिल दहला देने वाली वारदात में आरोपी की उम्रकैद की सजा को हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है।
कोर्ट ने साफ कहा कि, जब किसी केस में बलात्कार के ठोस सबूत मौजूद हों, तो अदालत केवल हत्या में दोषी ठहराकर रेप के अपराध को अनदेखा नहीं कर सकती। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्त गुरु की डिवीजन बेंच ने कहा कि, ट्रायल कोर्ट ने सबूतों के बावजूद रेप के आरोप से बरी कर गलती की।
दो दिन बाद तालाब से मिला बच्ची का शव
मिली जानकारी के अनुसार, मामला फरवरी 2022 का है, जब 12 साल 7 महीने की बच्ची रात में घर से लापता हो गई थी। दो दिन बाद उसका शव तालाब से मिला। मेडिकल रिपोर्ट में गले पर दबाव के निशान, फेफड़ों और दिमाग में खून के थक्के और गले की हड्डी टूटने की बात सामने आई थी। प्राइवेट पार्ट पर गहरी चोटें और खून के थक्के पाए गए थे, जिससे डॉक्टरों ने साफ कहा कि, बच्ची के साथ हिंसक यौन संबंध बनाए गए थे।
सुसाइड नोट बनवाकर बच्ची की लेगिंग में रखा
जांच में सामने आया कि, आरोपी का पीड़िता से परिचय था। वह लगातार उसे परेशान करता था। घटना की रात उसने उसे बुलाया, जहर पिलाया और गला दबाकर हत्या कर दी। फिर झूठा सुसाइड नोट बनवाकर बच्ची की लेगिंग में रख दिया, ताकि पुलिस को भ्रमित किया जा सके। ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को हत्या और सबूत मिटाने के आरोप में दोषी माना था, लेकिन रेप और पॉक्सो एक्ट की धाराओं में बरी कर दिया था।
अगर सबूत है तो अपराधों में दोषसिद्धि दर्ज करना ही चाहिए- हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने कहा कि, मेडिकल और परिस्थितिजन्य साक्ष्य यह साबित करते हैं कि नाबालिग के साथ बलात्कार हुआ था। कोर्ट ने टिप्पणी की है कि, यदि पीड़िता से रेप कर उसकी हत्या की गई है और इस बात के प्रमाण स्पष्ट हैं, तो न्यायालय को दोनों अपराधों में दोषसिद्धि दर्ज करना ही चाहिए।
राज्य सरकार की चुप्पी पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की चुप्पी पर भी नाराजगी जताई कि, इतनी गंभीर गलती के बाद भी शासन ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील नहीं की।अदालत ने कहा कि, अभियोजन ने पूरी घटनाक्रम की कड़ी पेश की है और आरोपी ही इस जघन्य अपराध का दोषी है। आरोपी की अपील खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने उसकी उम्रकैद की सजा कायम रखी है। आरोपी 5 मार्च 2022 से जेल में बंद है और अब वहीं सजा काटेगा।