हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: लैब टेक्नीशियंस ने मांगा था प्रमोशन, कोर्ट ने कहा- पद सृजन और नियम संशोधन सरकार का अधिकार
लैब टेक्नीशियन के प्रमोशन और 1974 के सेवा नियमों में संशोधन की मांग पर हाईकोअर् ने साफ कहा है कि, पद सृजन और नियम संशोधन सरकार का अधिकार है।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय
पंकज गुप्ते-बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने लैब टेक्नीशियन के प्रमोशन और 1974 के सेवा नियमों में संशोधन की मांग को लेकर बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए याचिकाकर्ताओं की याचिका को खारिज कर दिया है।
हाईकोर्ट ने साफ टिप्पणी की है कि, नए पद बनाना, प्रमोशनल चैनल तैयार करना और भर्ती नियम बदलना अदालत का अधिकार नहीं है। यह पूरी तरह सरकार और विधायिका का क्षेत्राधिकार है। दरअसल याचिकाकर्ता डॉ. ओमप्रकाश शर्मा एवं अन्य ने प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में लंबे समय से लैब टेक्नीशियन के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने याचिका में कहा कि, वे 22 से 40 साल तक एक ही पद पर बने हुए हैं और 1974 के नियमों में कोई प्रमोशनल हायरार्की ही नहीं है। इसलिए नियम बदलकर लैब टेक्नीशियन से ऊपर का प्रमोशनल चैनल बनाया जाए।
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का दिया हवाला
राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि, प्रमोशन तभी संभव है जब नियमों में प्रावधान हो। 1974 के नियम लैब टेक्नीशियन के लिए किसी भी उच्च पद को निर्धारित नहीं करते। सरकार ने यह भी दलील दी कि, नियम बनाना, पद सृजन और कैडर स्ट्रक्चर तैयार करना उसका विशेषाधिकार है, जिसे कोर्ट निर्देश देकर नहीं बदल सकती। कर्मचारियों को टाइम-स्केल के जरिए वित्तीय लाभ मिलते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसलों का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि नए पद बनाना या प्रमोशनल नियम जोड़ना न्यायपालिका नहीं कर सकती, क्योंकि यह प्रशासनिक और आर्थिक नीति का विषय है।
हाईकोर्ट ने याचिका कर दी खारिज
इन सभी कारणों को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की मांग न्यायिक अधिकार क्षेत्र से बाहर है और याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने दोहराया कि सेवा नियमों में बदलाव करवाना कोर्ट का काम नहीं है, चाहे कर्मचारी कितने लंबे समय से बिना प्रमोशन क्यों न हों।