पर्यटन क्षेत्र के रूप में उभरता बस्तर: बन रहा नया एडवेंचर डेस्टिनेशन, रंग ला रहे सरकारी प्रयास

नक्सल हिंसा के खात्मे के साथ ही बस्तर अब एक सुरक्षित, शांत और आकर्षक पर्यटन केंद्र के रूप में उभर रहा है। प्राकृतिक सौंदर्य, एडवेंचरस गतिविधियाँ और आदिवासी संस्कृति मिलकर इस क्षेत्र को भारत का नया पर्यटन हब बना रही हैं।

Updated On 2025-11-22 15:50:00 IST

पर्यटन और विकास से समृद्ध हो रहा बस्तर

रायपुर। छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग, कभी नक्सल आतंक के चलते डर और असुरक्षा का प्रतीक माना जाता था। लेकिन सरकारी प्रयास अब रंग लाने लगे हैं। बस्तर तेजी से पर्यटन के नए युग में प्रवेश कर रहा है।

सुरक्षा परिदृश्य में उल्लेखनीय सुधार, सड़कों और मोबाइल कनेक्टिविटी का विस्तार के साथ ही सरकार की विकास योजनाओं ने इस क्षेत्र की नकारात्मक छवि बदल दी है।आज बस्तर न केवल अपनी प्राकृतिक संपदा और अद्वितीय आदिवासी संस्कृति के लिए जाना जा रहा है, बल्कि यह रोमांचक गतिविधियों, इको-टूरिज्म और ग्रामीण पर्यटन का नया केंद्र बन रहा है। 


नक्सली आतंक की समाप्ति
बस्तर में पिछले कुछ वर्षों में नक्सली घटनाओं में आई भारी गिरावट ने पूरे क्षेत्र के माहौल को बदलकर रख दिया है। सुरक्षा बलों की लगातार तैनाती और सघन अभियान के कारण जंगलों और पहाड़ी इलाकों में स्थिरता आई है।

नए सुरक्षा शिविरों की स्थापना से उन क्षेत्रों में सरकारी सेवाएँ पहुँचना संभव हुआ है, जो दशकों तक प्रशासन की पहुंच से बाहर थे। सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होने के बाद बुनियादी ढांचे के विकास, विशेष रूप से दुर्गम गांवों तक सड़क पहुंच ने स्थानीय आबादी और पर्यटकों दोनों के लिए आवाजाही को आसान बना दिया है। 


सुरक्षा ने बदली तस्वीर
अब जो मार्ग कभी जोखिमभरा माना जाता था, वहां पर्यटक आराम से यात्रा कर सकते हैं। साथ ही संचार नेटवर्क का विस्तार, मोबाइल टॉवरों की संख्या में वृद्धि और इंटरनेट कनेक्टिविटी ने बस्तर को मुख्यधारा से जोड़ दिया है। इन सभी प्रयासों से वातावरण इतना सुरक्षित बन गया है कि अब पर्यटक बिना किसी भय के चित्रकोट, तीरथगढ़, कुटुमसर गुफा, बरसूर और अभुजमाड़ जैसे संवेदनशील माने जाने वाले क्षेत्रों की यात्रा कर रहे हैं। यह परिवर्तन सिर्फ सुरक्षा में सुधार नहीं बल्कि बस्तर के पर्यटन भविष्य की आधारशिला है। 


मुख्य पहलें और नई नीतियाँ
विष्णु देव साय सरकार ने दिसंबर 2023 में पदभार संभाला तभी से बस्तर को एक वैश्विक पर्यटन हब बनाने की दिशा में काम कर रही है। सरकार का फोकस मौजूदा लोकप्रिय पर्यटन स्थलों के विकास, नए स्थलों की पहचान, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, निजी निवेश आकर्षण और कम्युनिटी-बेस्ड इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने पर है।


बम्बू राफ्टिंग: बस्तर का प्रमुख इको-टूरिज़्म अनुभव
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने 1 जून 2025 को कोंडागांव जिले के भोंगापाल गांव में में बम्बू राफ्टिंग केंद्र का शुभारंभ किया था। बम्बू राफ्टिंग को बस्तर में इको-टूरिज़्म मॉडल के रूप में विकसित किया गया है यह गतिविधि मुख्य रूप से धुद नदी के शांत व सुंदर प्रवाह पर कराई जाती है।

ऐसे पहुंचें भोंगापाल
यहाँ जगदलपुर से निजी वाहन या स्थानीय टैक्सी से आसानी से पहुँचा जा सकता है, और प्रति व्यक्ति लगभग 200–500 रुपये शुल्क पर यह अनुभव उपलब्ध है। इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार मिला और गाँवों में आय के नए स्रोत बने, जिसने बस्तर की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दी।


बस्तर टूरिस्ट कॉरिडोर: सभी प्रमुख स्थलों को जोड़ने वाली लाइफ लाइन
छत्तीसगढ़ के सीएम साय की अध्यक्षता में बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक में बस्तर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए टूरिज्म कॉरिडोर बनाने का फैसला लिया गया जो चित्रकूट, तीरथगढ़, बारसूर, मंडवा झरना और कोटूमसर जैसे प्रमुख आकर्षणों को जोड़ता है।

कॉरिडोर के तहत चिन्हित स्थानों को विकसित करने के लिए एक विस्तृत रणनीति तैयार की गई है। बेहतर सड़क और रेल संपर्क के माध्यम से कनेक्टिविटी में सुधार पर जोर दिया जा रहा है, इसमें राष्ट्रीय राजमार्ग 130-डी के कुछ हिस्सों का निर्माण और रावघाट-जगदलपुर नई रेल लाइन परियोजना जैसे कार्य शामिल हैं, जो पर्यटन और व्यापार को मजबूत करेंगे।


पांडुम कैफ़े: स्थानीय संस्कृति और स्वाद का नया केंद्र
बस्तर में 'पंडुम कैफ़े' का उद्घाटन 17 नवंबर 2025 को सीएम विष्णुदेव साय ने किया। यह कैफ़े बस्तर में शांति और पुनर्वास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इस अनूठे कैफ़े का मुख्य उद्देश्य नक्सली हिंसा के पीड़ितों और मुख्यधारा में लौट चुके आत्मसमर्पण करने वाले पूर्व माओवादियों को सम्मानजनक आजीविका और पुनर्वास के अवसर प्रदान करना है।

यह कैफ़े जगदलपुर के पूना नारकोम परिसर में स्थित है। इसका प्रबंधन और संचालन स्थानीय युवाओं द्वारा किया जाता है, जिनमें पूर्व नक्सली और नक्सल हिंसा के पीड़ित दोनों शामिल हैं। यह कैफ़े 'जहाँ हर कप एक कहानी कहता है' टैगलाइन के साथ, संघर्ष पर विजय, साहस और एक नई शुरुआत का प्रतीक है। 


छत्तीसगढ़ होमस्टे नीति 2025–30 से ग्रामीण पर्यटन को मिली नई पहचान
छत्तीसगढ़ सरकार ने ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 'छत्तीसगढ़ होमस्टे नीति 2025-30' नीति का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और इसे लागू किया जा रहा है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य बस्तर और सरगुजा जैसे प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर आदिवासी बहुल क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देना और स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करना है।

यह नीति निजी घर मालिकों को अपनी संपत्ति का एक हिस्सा पर्यटकों को सीमित अवधि के लिए किराए पर देकर अतिरिक्त आय अर्जित करने का अवसर देती है, जिससे 'वोकल फॉर लोकल' पहल को भी बल मिलेगा। 


मुख्यमंत्री ग्रामीण बस योजना: पर्यटन स्थलों तक आसान पहुंच
'मुख्यमंत्री ग्रामीण बस योजना' (CMRBS) का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और इसे छत्तीसगढ़ में सफलतापूर्वक लागू किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 4 अक्टूबर 2025 को जगदलपुर से योजना के पहले चरण की शुरुआत की। इस योजना का मुख्य लक्ष्य छत्तीसगढ़ के सुदूर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों, विशेषकर बस्तर और सरगुजा संभागों में, बेहतर परिवहन सुविधा प्रदान करना है, जहाँ पहले बस सेवा उपलब्ध नहीं थी।

पहले चरण में, यह योजना 34 मार्गों के माध्यम से 11 जिलों के लगभग 250 गांवों को तहसील, जनपद और जिला मुख्यालयों से जोड़ेगी। इस योजना के तहत बस ऑपरेटरों को ग्रामीण मार्गों पर बसें चलाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और राज्य सरकार द्वारा उन्हें प्रति किलोमीटर ₹26 तक की सब्सिडी (वित्तीय सहायता) प्रदान की जाती है।


धुड़मारास गांव (UNWTO मान्यता) : अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बस्तर की चमक
बस्तर जिले में स्थित धुड़मारास गांव को संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) द्वारा सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव उन्नयन कार्यक्रम (Best Tourism Villages Upgradation Programme) के लिए चुना गया है, जिससे इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। इस चयन की घोषणा नवंबर 2024 में की गई थी। धुड़मारास गांव बस्तर में प्रसिद्ध कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के घने जंगलों के भीतर स्थित है।

यह गांव अपनी प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, जैव विविधता और स्थानीय समुदाय द्वारा संचालित इको-टूरिज्म गतिविधियों के लिए जाना जाता है। पर्यटक यहां बैंबू राफ्टिंग, कयाकिंग, ट्रेकिंग, बर्ड वाचिंग और स्थानीय होमस्टे में ठहरने जैसी गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं, जिससे उन्हें प्रामाणिक ग्रामीण और आदिवासी जीवन शैली का अनुभव मिलता है। 


प्राकृतिक सौंदर्य और प्रमुख आकर्षणों तक आसान पहुंच
बस्तर को ‘भारत का अज्ञात स्वर्ग’ कहा जाता है, अब बेहतर कनेक्टिविटी के कारण इन स्थानों तक पहुँचना बेहद आसान हो गया है।

चित्रकोट वॉटरफॉल- भारत का नियाग्रा

तीरथगढ़ वॉटरफॉल- धुंध से भरा मंत्रमुग्ध करने वाला दृश्य

कुटुमसर और कैलाश गुफाएं- रहस्यमयी चूना पत्थर की गुफाएं

अबूझमाड़- देश के सबसे कम खोजे गए जंगल

सड़क सुधार से जगदलपुर से इन सभी पर्यटन स्थलों की दूरी अब कम समय में तय की जा सकती है।


इको-टूरिज्म: प्रकृति के बीच नया अनुभव
सरकार इको-टूरिज्म पर विशेष ध्यान दे रही है, जहां प्रकृति, संस्कृति और स्थानीय जीवनशैली का संगम देखने को मिलता है।

कोंडागांव में 'इको-टूरिज्म सर्किट'

जंगल वॉक, बर्ड वॉचिंग, हेरिटेज टूर

घने सालवन और शांत घाटियों में ठहरने की व्यवस्था

इससे पर्यटक जंगलों की वास्तविक खूबसूरती और स्थानीय जैव विविधता का गहरा अनुभव ले पा रहे हैं।

सांस्कृतिक पर्यटन का विस्तार: त्योहारों ने बढ़ाई चमक

बस्तर केवल प्रकृति नहीं, संस्कृति का भी समृद्ध धरोहर स्थल है-

बस्तर दशहरा- दुनिया का सबसे लंबा चलने वाला त्योहार

मदई उत्सव- कला, नृत्य और परंपराओं की झलक

सरकार इन उत्सवों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए विशेष अभियान चला रही है।

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