जगदलपुर का लाल देश की सेवा में: बस्तर की धरती ने फिर रचा इतिहास, अंकुर मिश्रा बने इसरो में वैज्ञानिक

बस्तर के संभागीय मुख्यालय जगदलपुर शहर के युवा ने हासिल किया राष्ट्रगौरव का मुकाम। मेहनत, लगन और सपनों की उड़ान। अंकुर की सफलता से झूम उठा बस्तर।

Updated On 2025-11-18 19:18:00 IST

जगदलपुर का लाल अंकुर का इसरो में वैज्ञानिक के रूप में चयन

अनिल सामंत- जगदलपुर। शहर के वृंदावन कॉलोनी के प्रतिभाशाली युवा अंकुर मिश्रा ने वह मुकाम हासिल कर लिया है, जिसका सपना करोड़ों बच्चे देखते हैं। भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में वैज्ञानिक के रूप में चयन हुआ है। अहमदाबाद स्थित केंद्र में उनकी नियुक्ति ने न केवल परिवार, बल्कि पूरे बस्तर को गर्व से भर दिया है।

अंकुर ने अपनी 12वीं तक की शिक्षा केंद्रीय विद्यालय, जगदलपुर से प्राप्त की। मैथ्स और बायो दोनों विषयों में शानदार प्रदर्शन करते हुए उन्होंने मेरिट में 12वीं उत्तीर्ण की। इसके पश्चात उन्होंने जेईई एडवांस में सफलता अर्जित कर देश के प्रतिष्ठित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस टेक्नोलॉजी (आईआईएसटी) त्रिवेंद्रम में प्रवेश लिया। यहाँ से उन्होंने भैतिक में मास्टर ऑफ साइंस की उपाधि प्राप्त की और उनकी प्रतिभा को देखते हुए इसरो में उन्हें वैज्ञानिक पद के लिए चयनित किया गया। उनके बड़े भाई अंकित मिश्रा भारतीय नौसेना में लेफ्टिनेंट पद पर सेवाएँ दे रहे हैं। दो बेटों का देश सेवा में समर्पण यह मिश्रा परिवार के लिए अमूल्य गौरव का क्षण है। 


अंकुर के माता-पिता का भावुक कथन
पिता विपिन मिश्रा कहते हैं“आज हमारे लिए जीवन की सबसे बड़ी खुशी का दिन है। हमने हमेशा बच्चों को बस इतना सिखाया कि मेहनत ईश्वर है।जब हमें पता चला कि अंकुर का चयन इसरो में हुआ है, तो लगा जैसे हमारी तपस्या सफल हो गई। जगदलपुर जैसे छोटे शहर से निकलकर देश के अंतरिक्ष अभियानों का हिस्सा बनना—यह हमारे लिए सपना सच होने जैसा है।

हमारा बेटा अब सिर्फ हमारा नहीं, पूरे बस्तर का बेटा है। माता प्रियदर्शिनी मिश्रा भावुक होकर कहती हैं- अंकुर बचपन से ही तारों को निहारा करता था। आज वह उन्हीं तारों को समझने और देश की विज्ञान यात्रा में योगदान देने जा रहा है—एक मां के लिए इससे बड़ा सौभाग्य क्या होगा? बस्तर की हर मां के बेटे को यह संदेश है कि सपने चाहे कितने बड़े हों, मेहनत उन्हें सच कर देती है।

पूरे बस्तर के युवाओं के लिए प्रेरणा
अंकुर की सफलता यह सिद्ध करती है कि प्रतिभा किसी शहर या संसाधन की मोहताज नहीं होती। जगदलपुर से इसरो तक का सफर—यह दिखाता है कि यदि लक्ष्य स्पष्ट हो और मन में आग हो, तो दुनिया की कोई शक्ति रोक नहीं सकती।

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