बालोद में आस्था का अनोखा संगम: मां गंगा मइया मंदिर में पीएम के नाम पर प्रज्ज्वलित हुई मनोकामना ज्योति

बालोद जिले में स्थित मां गंगा मइया मंदिर में इस नवरात्र एक श्रद्धालु ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर मनोकामना ज्योत प्रज्ज्वलित करवाई।

Updated On 2025-09-27 10:49:00 IST

मां गंगा मइया मंदिर

राहुल भूतड़ा- बालोद। छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध मां गंगा मइया मंदिर में शारदीय नवरात्र के अवसर पर हर साल हजारों श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ती के लिए ज्योति कलश प्रज्ज्वलित कराते हैं। इस बार नवरात्र के पावन अवसर पर एक अनोखी आस्था देखने को मिली। एक श्रद्धालु ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से विशेष मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित करवाई है।

मंदिर परिसर में नव निर्मित ज्योत कक्ष में क्रमांक A-71 का यह विशेष ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किया गया है। ख़ास बात यह है कि, प्रधानमंत्री मोदी के नाम से ज्योत प्रज्ज्वलित कराने वाले इस श्रद्धालु ने मंदिर प्रबंधन को ऑनलाइन भुगतान किया और अपनी पहचान गुप्त रखने की इच्छा जताई।

विशेष ज्योत सकारात्मक ऊर्जा का संचार
मां गंगा मइया मंदिर में इस बार कुल 1,270 मनोकामना ज्योत प्रज्ज्वलित की गई है। दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं के बीच यह अनोखी आस्था चर्चा का विषय बनी हुई है। श्रद्धालुओं का मानना है कि, मां गंगा मइया की कृपा से प्रधानमंत्री मोदी और देश की उन्नति के लिए यह विशेष ज्योत सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेगी।

शारदीय नवरात्रि पर 'कुंवारी माता' की अनूठी भक्ति
वहीं शारदीय नवरात्रि के दौरान शहर से लेकर गांव तक भक्त मां दुर्गा की आराधना में जुटे हैं। हर तरफ देवालय भक्ति से सराबोर है। इस बीच माता की एक भक्त वैष्णवी साहू ने शरीर को कष्ट देते हुए 9 दिन की अनोखी आराधना शुरू की है।

पेट पर बोया जंवारा, जलाई ज्योति कलश
दुर्ग जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित गांव कातरों में कुंवारी माता के नाम से पहचानी जाने वाली वैष्णवी ने पेट में जवारा बोया है, इतना ही नहीं, उसने उसके ऊपर ज्योति कलश स्थापित किया है। नवरात्रि के पहले दिन कुंवारी माता से सुबह करीब 5 बजे पहले पदयात्रा कर ठाकुरदेव मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद दोपहर करीब 1 बजे उसने पेट पर ज्योति कलश की स्थापना की। इसके बाद से वह लगातार लेटकर माता की अराधना कर रही हैं।

पांच बार दंडाशरण करते हुए मां बम्लेश्वरी के दर्शन को भी जा चुकी
ऐसा नहीं कि कुंवारी माता ने ऐसी आराधना पहली बार करने का निर्णय लिया है, इससे पहले भी वह ऐसा कर चुकी है। वर्ष 2019 से लगातार दोनों नवरात्रि में वह माता की साधना कर रही हैं। वे पांच बार दंडाशरण करते हुए मां बम्लेश्वरी के दर्शन को भी जा चुकी हैं। वे अगले नौ दिनों तक उपवास रखकर कलश लिए लेटे रहेंगी।

14 साल की उम्र से वह माता की भक्ति में डूबी
वैष्णवी के पिता प्रमोद साहू का निधन हो चुका है। वे अपनी मां प्यारी साहू के साथ रहती हैं। 14 साल की उम्र से वह माता की भक्ति में डूबी हुई हैं। पहले गांव के लोग उनके पास समस्या लेकर पहुंचते थे। वह लोगों को भक्ति का मार्ग बताकर उनकी समस्याओं का निराकरण करती थीं। धीरे-धीरे उनकी प्रसिद्धि बढ़ती गई।

अलग-अलग राज्यों से दर्शन के लिए पहुंच रहे श्रद्धालु
आज यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चित बंगाल, मुंबई, दिल्ली से लोग उनके दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। उनके समक्ष समस्याएं रखते हैं। हर रविवार, सोमवार और गुरुवार को दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक वे लोगों की समस्याएं सुनती है और उन्हें भक्ति का मार्ग बताती हैं। कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें देवी भी आती है, इस दौरान गांव में अनुष्ठान और पूजन किया जाता है।

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