मानकेश्वरी मंदिर में निभाई गई अनूठी परंपरा: एक-एक कर 40 बकरों की दी गई बलि, खून पीता रहा बैगा

शरद पूर्णिमा पर रायगढ़ के मां मानकेश्वरी मंदिर में बल पूजा संपन्न हुई, जहां बैगा ने 40 बकरों का रक्त पीकर सदियों पुरानी परंपरा निभाई।

By :  Ck Shukla
Updated On 2025-10-07 13:48:00 IST

मानकेश्वरी देवी मंदिर में झुपते बैगा और दंडवत करते श्रद्धालु  

अमित गुप्ता - रायगढ़। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के करमागढ़ गांव में सोमवार (6 अक्टूबर) को शरद पूर्णिमा के अवसर पर मां मानकेश्वरी देवी मंदिर में पारंपरिक बल पूजा की गई। इस पूजा में करीब 40 बकरों की बलि दी गई और परंपरा के अनुसार गांव के मुख्य बैगा ने उनका रक्त ग्रहण किया।

ग्रामीणों के अनुसार, बल पूजा के दौरान देवी मां बैगा के शरीर में अवतरित होती हैं, और उन्हीं के आदेश पर बलि की रस्म पूरी की जाती है। चौंकाने वाली बात यह है कि इतना रक्त पीने के बाद भी बैगा को कोई शारीरिक हानि नहीं होती।

500 साल पुरानी परंपरा जारी
राजपरिवार की कुल देवी मां मानकेश्वरी की पूजा में बलि देने की परंपरा करीब पांच शताब्दियों से चली आ रही है। बताया जाता है कि पहले 100 से अधिक बकरों की बलि दी जाती थी, हालांकि अब यह संख्या घटकर 40 के आसपास रह गई है।

सोमवार दोपहर शुरू हुई पूजा के दौरान सैकड़ों श्रद्धालु मंदिर परिसर में पहुंचे। जिनकी मनोकामनाएं पूरी हो चुकी थीं, वे बकरा और नारियल लेकर देवी के दरबार में पहुंचे। पूजा के बाद मुख्य बैगा श्यामलाल सिदार पर देवी का वास माना गया। श्रद्धालुओं ने दूध चढ़ाकर बैगा से आशीर्वाद लिया। इसी क्रम में बकरों की बलि दी गई और परंपरा अनुसार बैगा ने उनका रक्त ग्रहण किया। पूजा के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया। 


निशा पूजा से शुरू होती है रस्में
सबसे पहले, 5 अक्टूबर की रात निशा पूजा की गई थी । उस दिन राजपरिवार की ओर से बैगा को एक अंगूठी पहनाई जाती है। यह अंगूठी सामान्य दिनों में ढीली रहती है, लेकिन शरद पूर्णिमा की सुबह अपने आप हाथ में फिट हो जाती है- जिसे देवी के आगमन का संकेत माना जाता है। 


मन्नत पूरी होने पर चढ़ाई जाती है बली
मां मानकेश्वरी पूजन समिति के पूर्व अध्यक्ष युधिष्ठिर यादव ने बताया कि मां मानकेश्वरी देवी की अपार आस्था है। रायगढ़, जांजगीर, सरगुजा से लेकर ओडिशा तक के श्रद्धालु यहां अपनी मन्नतें मांगने पहुंचते हैं। और जब उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, तो वे मां के दरबार में बकरे की बलि चढ़ाते हैं।

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