Pink Ball Vs Red Ball: कैसे रेड से अलग है पिंक बॉल? क्यों डे-नाइट टेस्ट में गेंदबाजों को मिलती है अधिक मदद
Pink Ball Vs Red Ball in Test Cricket: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एडिलेड में पिंक-बॉल टेस्ट खेला जा रहा। ऐसे में फैंस के मन में ये सवाल जरूर होगा कि रेड बॉल से कैसे पिंक बॉल अलग है और क्यों गेंदबाजों को इस बॉल से ज्यादा मदद मिलती है।
Pink Ball Vs Red Ball in Test Cricket: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पांच टेस्ट की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में दूसरा टेस्ट एडिलेड में खेला जा रहा। ये मुकाबला पिंक-बॉल से हो रहा। भारत ने इस टेस्ट में टॉस जीतने के बाद पहले बल्लेबाजी चुनी और पहले सेशन में ही चार विकेट गिर गए। इसमें से तीन मिचेल स्टार्क और एक स्कॉट बोलैंड को मिला।
अब फैंस के मन में ये सवाल जरूर होगा कि रेड से कैसे पिंक बॉल अलग होती है और क्यों फ्लड लाइट्स में पिंक बॉल से तेज गेंदबाजों को अधिक मदद मिलती है। जानिए एक्सपर्ट्स की इसे लेकर क्या राय है।
बता दें कि क्रिकेट के सबसे पुराने फॉर्मेट को लोकप्रिय बनाने के लिए डे-नाइट टेस्ट की शुरुआत हुई। यानी फ्लड लाइट्स में टेस्ट मैच खेले जाने लगे। रोशनी में लाल गेंद को देखना मुश्किल था। इसलिए पिंक बॉल तैयार हुई। इसपर पैंट की अतिरिक्त कोटिंग होती है, इसी वजह से पिंक बॉल ज्यादा वक्त तक चमकती है और दिन रात का मुकाबला होने की वजह से गेंद को उतनी धूप या मौसम की मार नहीं झेलनी पड़ती। इसलिए लाल गेंद के मुकाबले पिंक की चमक जल्दी फीकी नहीं पड़ती।
रेड से कैसे अलग है पिंक बॉल?
चेतेश्वर पुजारा ने भी पिंक और रेड बॉल के अंतर के बारे में हाल ही में समझाया था। उन्होंने कहा था कि पिंक बॉल पर कलर की कोटिंग ज्यादा होती है, जब गेंद पिच पर गिरती है तो सीम के साथ ही गेंद का चमकीला हिस्सा भी पिच के संपर्क में आता है और इसी वजह से पिंक बॉल तेजी से स्किड करती है और बल्लेबाज के पास उसकी अपेक्षा से अधिक जल्दी पहुंचती है। इसी वजह से बल्लेबाजों को शॉट खेलने या एडजस्ट करने का समय कम मिलता है और इसी के कारण तेज गेंदबाज विकेट लेने में सफल होते हैं।
क्यों पिंक बॉल अधिक स्विंग करती है?
पिंक बॉल से खेलते हुए बल्लेबाजों के पास रेड बॉल जितना वक्त नहीं होता है। यही बड़ा अंतर है जिसमें बल्लेबाजों को खुद को ढालना होगा। यही भारत और ऑस्ट्रेलिया एडिलेड टेस्ट के दौरान दिखा। एक समय भारत का स्कोर 1 विकेट पर 69 रन था लेकिन सेशन खत्म होते-होते भारत ने 12 रन में तीन विकेट गंवा दिए। यानी पिंक बॉल से विकेट गुच्छों में गिरते हैं।
शाम के वक्त पिंक बॉल से खेलना मुश्किल
पिंक बॉल से शाम के वक्त बल्लेबाजी बहुत मुश्किल होती है। उस समय न तो पूरी तरह अंधेरा होता है और न ही स्टेडियम की फ्लड लाइट्स पूरी तरह एक्शन में आई होती हैं, उस समय इस गेंद को देखने में भी थोड़ी परेशानी होती है। उस समय बल्लेबाजों के लिए बैटिंग करना सबसे मुश्किल होता है। पिंक बॉल टेस्ट खेले अधिकतर बल्लेबाजों ने यही बात बार-बार दोहराई है।
हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई पेसर ब्रेट ली ने भी फ्लड लाइट्स में व्हाइट गेंद से गेंदबाजी में मदद मिलने की बात बताई थी। उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल पर कहा था,'यह गुलाबी गेंद का टेस्ट है जिसे मैं रोज कहना पसंद करता हूं। ये गेंद बिल्कुल लाल नहीं, बिल्कुल सफेद नहीं, बिल्कुल बीच में गुलाबी रंग की होती है। यह निश्चित रूप से अधिक स्विंग करती है। गुलाबी गेंद का इस्तेमाल डे-नाइट टेस्ट में होता है। आम तौर पर जब आप रोशनी में खेलते हैं तो यह थोड़ा अधिक मूवमेंट करती है। रात के समय तापमान कम हो जाता है तो इससे गेंद का आकार सही रहता है। कभी-कभी थोड़ी अधिक नमी हो सकती है जिससे गेंद का आकार बदल जाता है।"
भारत के लिए पिंक बॉल टेस्ट में किसने सबसे अधिक रन बनाए
भारतीय बल्लेबाजों में, विराट कोहली पिंक बॉल टेस्ट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बैटर हैं, जिन्होंने पांच मैचों में 46.16 की औसत से 277 रन बनाए हैं, जिसमें एक शतक और एक अर्धशतक शामिल है। गेंदबाजों में, रविचंद्रन अश्विन सबसे सफल हैं, जिन्होंने पांच मैचों में 13.83 की औसत से 18 विकेट लिए हैं, जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 4/48 रहा है।
ऑस्ट्रेलिया के लिए, मार्नस लाबुशेन पिंक बॉल टेस्ट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं, जिन्होंने 9 मैच में 63.85 की औसत से 894 रन बनाए हैं, जिसमें चार शतक और तीन अर्धशतक शामिल हैं।
दूसरी ओर, मिचेल स्टार्क 13 मैचों में 18.80 की औसत से 67 विकेट लेकर सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं, जिसमें उनके नाम तीन बार पांच विकेट लेने का कारनामा भी शामिल है