संसद शीतकालीन सत्र Day-3: PM मोदी की बंगाल सांसदों से रणनीतिक बैठक, विपक्ष का लेबर कोड विरोध; शांतिपूर्ण चली सदन की कार्यवाही
संसद शीतकालीन सत्र Day-3: संसद के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन पीएम मोदी ने बंगाल भाजपा सांसदों संग हिंसा पर रणनीति बनाई, विपक्ष ने लेबर कोड के खिलाफ प्रदर्शन किया और सदन शांतिपूर्ण चला।
Winter Session day- 3 Live update
संसद के शीतकालीन सत्र का तीसरा दिन मिलाजुला रहा। बुधवार सुबह 11 बजे कार्यवाही शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद परिसर में पश्चिम बंगाल के भाजपा सांसदों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में उन्होंने राज्य में बढ़ती राजनीतिक हिंसा पर गहरी चिंता जताई और कहा कि तृणमूल कांग्रेस सरकार के खिलाफ अब अधिक आक्रामक रणनीति अपनाने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने स्पष्ट संदेश दिया कि विपक्ष द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न और हिंसा को हर मंच पर उजागर किया जाए ताकि जनता समझ सके कि ममता बनर्जी सरकार किस तरह इन घटनाओं पर आंखें मूंदे हुए है। हाल ही में भाजपा सांसद खगेन मुर्मू पर हुए हमले को लेकर भी उन्होंने इसे राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती से उठाने की बात कही।
बैठक के दौरान पीएम मोदी ने 2026 में होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए सांसदों को अभी से जमीनी स्तर पर मजबूत तैयारी शुरू करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि विस्तृत प्रजेंटेशन, रणनीतिक प्लानिंग और कार्यकर्ताओं को संगठित करने जैसे प्रयासों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, ताकि भाजपा राज्य में एक मजबूत विकल्प के रूप में खुद को स्थापित कर सके।
संसद परिसर में विपक्षी दलों का प्रदर्शन
उधर विपक्षी दलों ने भी संसद परिसर में अपनी उपस्थिति को पूरे जोर-शोर के साथ दर्ज कराया। सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कांग्रेस के कई नेता मकर द्वार पर नए श्रम कानूनों यानी लेबर कोड के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते दिखे।
इसके अलावा कुछ सांसदों ने दिल्ली के बढ़ते प्रदूषण को लेकर गैस मास्क पहनकर प्रतीकात्मक विरोध भी जताया, जिसने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। पश्चिम बंगाल के लिए बकाया सेंट्रल फंड को लेकर TMC MPs ने केंद्र के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
सदन के भीतर का माहौल आज अपेक्षाकृत शांत दिखाई दिया। लोकसभा में प्रश्नकाल बिना किसी हंगामे के सम्पन्न हुआ, जो इस सत्र में पहली बार देखने को मिला।
कांग्रेस के मुख्य सचेतक के. सुरेश ने भी पुष्टि की कि चुनाव सुधारों की बहस में संविधान से संबंधित बिंदुओं पर व्यापक चर्चा होगी। इस सहमति के बाद आज सदन सुचारु रूप से चला और विपक्ष ने हंगामा नहीं किया।
कुल मिलाकर, तीसरे दिन का सत्र राजनीतिक तैयारियों, विपक्ष के विरोध और सदन में शांति का संतुलित दृश्य प्रस्तुत करता दिखाई दिया, जिससे आगामी दिनों की कार्यवाही को लेकर उम्मीदें बढ़ गई हैं।
संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन बुधवार को विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर श्रम कानूनों को लेकर तीखा हमला बोला। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सपा, वामदल और अन्य विपक्षी पार्टियों ने एक स्वर से चार नई श्रम संहिताओं को “मजदूर-विरोधी, कॉर्पोरेट हितैषी और श्रमिकों के हक छीनने वाला” करार दिया। सदन के अंदर और बाहर नारेबाजी, तख्तियां और प्रदर्शन के बीच विपक्ष ने इन संहिताओं को तत्काल वापस लेने की मांग की।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने X पर लिखा:
“ये चारों श्रम संहिताएँ मजदूरों से नौकरी की सुरक्षा छीन रही हैं, काम के घंटे बढ़ा रही हैं, ट्रेड यूनियनों को कमजोर कर रही हैं और प्रवासी-असंगठित मजदूरों को पूरी तरह असुरक्षित छोड़ रही हैं। यह मजदूरों के साथ खुला विश्वासघात है।”विपक्ष के प्रमुख आरोप इस प्रकार हैं:नौकरी की सुरक्षा लगभग खत्म
पहले 100 कर्मचारियों तक की इकाई को छंटनी के लिए सरकारी अनुमति जरूरी थी, अब यह सीमा बढ़ाकर 300 कर दी गई। इससे देश के 80% से अधिक कारखाने बिना किसी अनुमति के मनमर्जी से छंटनी कर सकेंगे।
फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉयमेंट को बेतहाशा बढ़ावा मिलने से स्थायी नौकरियां खत्म हो जाएंगी और ग्रेच्युटी-पेंशन जैसे लाभ से मजदूर वंचित रह जाएंगे।
काम के घंटे 12 तक करने की खुली छूट
कागज पर 8 घंटे का दिन बना हुआ है, लेकिन राज्य सरकारें अब 12 घंटे की शिफ्ट लागू कर सकती हैं। ओवरटाइम की अधिकतम सीमा भी राज्य तय करेंगे। विपक्ष का कहना है कि इससे मजदूरों की थकावट, दुर्घटनाएं और स्वास्थ्य जोखिम कई गुना बढ़ जाएंगे।
ट्रेड यूनियनों पर सबसे बड़ा हमला
- हड़ताल से पहले 60 दिन का नोटिस और उसके बाद 14 दिन का कूलिंग पीरियड अनिवार्य।
- सिर्फ 51% सदस्यों वाली एक यूनियन को ही मान्यता, बाकी यूनियनों को हाशिए पर धकेलना।
- अगर 50% मजदूर एक साथ छुट्टी लें तो उसे भी हड़ताल मानकर दमन किया जा सकेगा।
300 से कम कर्मचारियों वाली इकाइयों में ‘हायर एंड फायर’ नीति
- स्टैंडिंग ऑर्डर लागू नहीं होंगे; काम के घंटे, छुट्टी, बर्खास्तगी के नियम भी बाध्यकारी नहीं।
- मालिकों को पूरी छूट कि जैसा चाहें वैसा करें।
सुरक्षा मानकों में भारी कटौती
- छोटे कारखानों (20-40 कर्मचारी) को सुरक्षा कानूनों से बाहर कर दिया गया।
- बीड़ी मजदूर, पत्रकार आदि संवेदनशील क्षेत्रों की विशेष सुरक्षा समाप्त।
- फ्लोर वेज और सोशल सिक्योरिटी को भी नोटिफिकेशन से कभी भी बदलने की छूट।
प्रवासी और असंगठित मजदूर सबसे ज्यादा मार में
- विस्थापन भत्ता पूरी तरह खत्म।
- आधार-आधारित पंजीकरण से लाखों प्रवासी मजदूर सामाजिक सुरक्षा से बाहर हो जाएंगे।
कानून तोड़ने को ‘जुर्माना देकर’ वैध करने का प्रावधान
- वेतन चोरी, सुरक्षा उल्लंघन जैसे गंभीर अपराधों को सिर्फ जुर्माना देकर कंपाउंड कर लिया जाएगा।
- विपक्ष ने इसे “कानून तोड़ो, पैसा दो, बच जाओ” की व्यवस्था बताया।
विपक्ष का एकमत संदेश: “ये संहिताएं मजदूरों के हक नहीं, पूंजीपतियों के हित बचाने के लिए लाई गई हैं। इन्हें तत्काल वापस लिया जाए।”
Winter Session day- 3 Live update: कांग्रेस सांसद माणिकम टैगोर ने कहा, 'हम चाहते हैं कि संसद सुचारु रूप से चले और चर्चाएं हों. हम एसआईआर (SIR) पर चर्चा चाहते हैं, जो लोकतंत्र पर हमला है, 'वोट चोरी' पर चर्चा चाहते हैं, जहां चुनाव आयोग खुद एजेंट बन गया है। जिन 12 राज्यों में एसआईआर हो रहा है, वहां बीएलओ मर रहे हैं, आत्महत्याएं हो रही हैं. फिर दिल्ली ब्लास्ट, आंतरिक सुरक्षा, दिल्ली प्रदूषण जैसे कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिन्हें हम उठाना चाहते हैं।
Winter Session day- 3 Live update: "हमें सिर्फ एक मुद्दे पर नहीं रुकना चाहिए। प्रदूषण जैसी गंभीर समस्याओं और देश के तमाम दूसरे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी संसद में खुलकर चर्चा होनी चाहिए।"
Winter Session day- 3 Live update: विपक्षी नेताओं ने संसद परिसर में श्रम कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किया। सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और खड़गे भी शामिल।