SC में वक्फ कानून पर सुनवाई: केंद्र सरकार ने अंतरिम राहत देने का किया विरोध

Waqf Amendment Act Hearing: सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार(22 मई) को वक्फ (संशोधन) कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है।

Updated On 2025-05-22 15:00:00 IST

सुप्रीम कोर्ट

Waqf Amendment Act Hearing: सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार (22 मई) को वक्फ (संशोधन) कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है। चीफ जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ए.जी. मसीह की पीठ के समक्ष केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा और अंतरिम राहत देने के किसी भी कदम का विरोध किया।

सरकार की दलीलें
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि यदि कोर्ट अंतिम निर्णय में कानून को असंवैधानिक मानता है तो उसे रद्द कर सकता है। यदि अंतरिम आदेश के जरिए वक्फ कानून पर रोक लगाई जाती है और इस बीच कोई संपत्ति वक्फ कर दी जाती है तो उसे वापस लेना मुश्किल होगा। मेहता ने कहा-वक्फ एक बार हो जाने पर 'अल्लाह का हो जाता है' जिसे पलटना आसान नहीं होता। 

'वक्फ बनाना' और दान देना अलग बातें
मेहता ने यह भी स्पष्ट किया कि 'वक्फ बनाना' और 'वक्फ को दान देना' दोनों अलग बातें हैं। इसलिए वक्फ से जुड़ी जिम्मेदारियों और संभावित दुरुपयोग को रोकने के लिए मुसलमानों के लिए 5 साल की धार्मिक प्रैक्टिस की शर्त रखी गई है। 

वक्फ कोई धार्मिक सीमा में बंधा नहीं
सॉलिसिटर जनरल ने एक अहम बिंदु रखते हुए कहा-अगर मैं एक हिंदू होते हुए भी वक्फ को दान देना चाहता हूं तो कानून इसकी अनुमति देता है। इसका मतलब है कि वक्फ कानून अब किसी एक धर्म तक सीमित नहीं है। 

दान दी गई जमीन को वापस नहीं लिया जा सकता
तुषार मेहता ने कहा-अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है। मान लीजिए कि मैं जमीन बेचता हूं और पता चलता है कि जमीन की लेन-देन में ST समुदाय के व्यक्ति के साथ धोखा हुआ है। तो जमीन वापस दी जा सकती है लेकिन वक्फ कहता है कि दान दी गई जमीन को वापस नहीं लिया जा सकता।

आदिवासी इलाकों पर जताई चिंता
मेहता ने ट्राइबल एरिया (आदिवासी क्षेत्रों) का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां के भूमि कानून के अनुसार कोई बाहरी व्यक्ति जमीन नहीं खरीद सकता। लेकिन अगर वही व्यक्ति उस जमीन को वक्फ कर दे तो ट्रस्टी (मुतवल्ली) को संपत्ति के नियंत्रण की पूरी छूट मिल जाती है। उन्होंने इस व्यवस्था को खतरनाक बताते हुए उस पर रोक लगाने की आवश्यकता बताई। 

वक्फ को ‘राज्य’ मानने की दलील
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व फैसले का हवाला देते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत वक्फ को "राज्य" की श्रेणी में माना गया है। ऐसे में यह तर्क नहीं दिया जा सकता कि इसमें सिर्फ किसी एक समुदाय को अधिकार है।

2013 के संशोधन पर सवाल
मेहता ने यह भी बताया कि 2013 में हुए संशोधन से पहले तक वक्फ अधिनियम में यह स्पष्ट था कि केवल मुसलमान ही वक्फ कर सकते हैं। लेकिन 2013 के आम चुनाव से ठीक पहले इसमें बदलाव कर दिया गया, जिससे कोई भी व्यक्ति वक्फ कर सकता है। सरकार अब इस बात पर जोर दे रही है कि ट्रस्ट की संपत्तियां सभी नागरिकों के उपयोग के लिए उपलब्ध हों, न कि केवल किसी एक समुदाय के नियंत्रण में रहें।

सीजेआई और सिब्बल के बीच संवाद
मंगलवार की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने खजुराहो मंदिर का उदाहरण देते हुए कहा कि वह एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) द्वारा संरक्षित है, फिर भी वहां पूजा होती है। इस पर सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि नया वक्फ कानून यह स्पष्ट करता है कि एएसआई संरक्षित कोई भी स्थल वक्फ घोषित नहीं किया जा सकता। यह मामला संवेदनशील और व्यापक प्रभाव वाला है, क्योंकि यह न सिर्फ धार्मिक संपत्तियों बल्कि भारत की भूमि व्यवस्था और धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने से भी जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट में इसकी अंतिम सुनवाई देशभर की नजरों में है।

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