वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 लागू: लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद Waqf Bill को राष्ट्रपति की मंजूरी 

Waqf (Amendment) Act 2025: वक्फ (संशोधन) बिल 2025 आधिकारिक रूप से कानून बन गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार (5 अप्रैल) को मंजूरी दे दी।

Updated On 2025-04-06 08:08:00 IST
Waqf Bill 2024: राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पेश, कांग्रेस सांसदों का हंगामा

Waqf (Amendment) Act 2025: वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 आधिकारिक रूप से कानून बन गया। लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद शनिवार (5 अप्रैल) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इसे मंजूरी दे दी।  इसे अब 'वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025' के नाम से जाना जाएगा, जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, पंजीकरण और वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता व जवाबदेही बढ़ाने वाला साबित होगा।  

संसद में हुआ था हंगामा
संसद के बजट सत्र में वक्फ (संशोधन) बिल काफी विरोध के बीच पास हुआ है। लोकसभा में 288 और राज्यसभा में 128 सांसदों ने इसका समर्थन किया। बीजेपी सहित जेडीयू, टीडीपी और एलजेपी जैसे सहयोगी दलों ने भी इस बिल का समर्थन किया है। हालांकि, कांग्रेस, आप सहित कुछ मुस्लिम संगठनों ने इसे संविधान के मूल सिद्धांतों के विपरीत बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। 

वक्फ एक्ट में क्या बदला?
नए वक्फ कानून के अनुसार, अब कोई वक्फ संपत्ति बिना लिखित दस्तावेज के दर्ज नहीं की जाएगी। सरकारी जमीनों को वक्फ संपत्ति के तौर पर दर्ज नहीं किया जा सकेगा। कोई जमीन विवादित या सरकारी निकली तो वक्फ में दर्ज नहीं होगी। कलेक्टर को इसकी जांच का अधिकार मिला है। 6 माह के अंदर सभी वक्फ संपत्तियों का ब्योरा ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज कर दिया जाएगा।  

वक्फ बोर्ड में जोड़े गए नए प्रावधान 
सरकार का दावा है कि नया कानून वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग रोकेगा। साथ ही असली मालिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा। बोहरा और अघाखानी समुदायों के लिए अलग वक्फ बोर्ड गठन का प्रावधान है। वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों और महिलाएं भी बतौर सदस्य नियुक्ति होंगी। वक्फ संपत्तियों के सर्वे का जिम्मा अब सर्वे कमिश्नर की बजाय कलेक्टर को सौंपा गया है।

जगदंबिका पाल ने बताया ऐतिहासिक 
वक्फ (संशोधन) विधेयक पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष और भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने कहा, एक ऐतिहासिक कानून है। सेना और रेलवे से ज्यादा वक्फ की प्रॉपर्टी है, जिसका फायदा गरीब और पसमांदा मुसलमानों को मिलेगा। हालांकि, कुछ लोग अभी भी गुमराह कर रहे हैं। यह सच्चर कमेटी की शिफारसें भी लागू की गई हैं।

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