Janmashtami 2024: जन्माष्टमी पर अपने बाल गोपाल को इस तरह करेंगे तैयार, तो निगाहें नहीं हटेंगी; नजर टीका लगाना भूलना मत

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर बाल गोपाल कान्हा जी का विशेष रूप से शृंगार किया जाता है। उन्हें स्वच्छ वस्त्र, आभूषणों समेत कई चीजों से तैयार किया जाता है। जानिए बाल गोपाल को संवारने का तरीका।

Updated On 2024-08-22 17:33:00 IST
Shree Krishna Janmashtami 2024

Janmashtami 2024: हिंदू धर्म में हर साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस साल 26 अगस्त 2024 को कृष्ण जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा।

इस मौके पर लोग व्रत रखते हैं और लड्डू गोपाल के जन्मोत्सव के लिए प्रसाद-भोग बनाते हैं। रात 12 बजे जब भगवान कृष्ण जन्म होता है उससे पहले बाल गोपाल का शृंगार किया जाता है। इसके बाद झूला झुलाते उनका जन्मोत्सव मनाते हैं और उन्हें विभिन्न प्रसादी-भोग लगाए जाते हैं।

बाल गोपाल का शृंगार रहे मनमोहक
पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस दिन श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप बाल गोपाल की पूजा करते हैं। इस अवसर पर बाल गोपाल को पूरे मनोभाव से तैयार भी किया जाता है। श्रृंगार करने से पहले बाल गोपाल की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराया जाता है और उन्हें नए स्वच्छ वस्त्र पहनाए जाते हैं। जानिए बाल गोपाल श्री कृष्ण के शृंगार में किन-किन चीजों को शामिल कर सकते हैं।

ऐसे हों वस्त्र 
जन्माष्टमी पर कान्हा जी को जो वस्त्र पहनाए जाते हैं उनका विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है। इन वस्त्रों में हरे, लाल, और पीले रंग के वस्त्र अत्यधिक शुभ माने जाते हैं। उन्हें पंचामृत से स्नान कराने के बाद साफ स्वच्छ वस्त्र पहनाए जाते हैं। इसके अलावा फूलों से बने वस्त्र भी पहनाए जाते हैं।

मुकुट 
बाल गोपाल के सिर पर मोर मुकुट जरूर पहनाया जाता है। मोर मुकुट को बाल गोपाल का अभिन्न अंग भी माना जाता है। इसके अलावा मोरपंख भी लगाया जाता है।

बांसुरी 
बांसुरी कान्हा की बेहद प्रिय है। बाल गोपाल का शृंगार बांसुरी के बिना अधूरा है। एक छोटी सी बांसुरी कान्हा के हाथों मे जरूर रखें।

आभूषण पहनाएं 
बाल गोपाल के शृंगार में आभूषण की भी मान्यता है। उन्हें सोने या चांदी के आभूषण भी पहनाए जाते हैं। इन आभूषणों में बाजूबंद, कड़े, कानों की बालियां या कुंडल, पाजेब, पायल और कमरबंध हो सकते हैं।

शृंगार के बाद आखिर में अपने प्रिय कान्हा जी को नजर का काला टीका लगाना बिल्कुल ना भूलें। उनके सौंदर्य रूप की तरह आपके जीवन में भी कृपा बनी रहेगी।

 

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