Laxmi Ganesh Kuber ki Aarti: दिवाली पूजा में गणेश, मां लक्ष्मी और कुबेर की आरती का विधान; यहां एक साथ देखें Lyrics

Laxmi Ganesh Kuber Ji Aarti: दिवाली पर मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर जी की आरती करें और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करें। जानिए दिवाली पूजा के लिए लक्ष्मी गणेश कुबेर आरती के महत्व।

Updated On 2024-10-30 16:13:00 IST
Laxmi Ganesh Kuber ki Aarti

Laxmi Ganesh Kuber Ji Aarti: हर साल दिवाली का त्योहार विशेष रूप से मां लक्ष्मी और भगवान गणेश के पूजन के लिए जाना जाता है। यह पर्व सिर्फ रौशनी और सजावट तक सीमित नहीं, बल्कि घर में सुख-समृद्धि, धन-धान्य और शांति का आह्वान करने का एक अवसर भी है। दिवाली पूजा में मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर जी की आरती को शामिल करने से पूजा का महत्व बढ़ जाता है और मान्यता है कि इससे घर में आर्थिक उन्नति और शांति का आशीर्वाद मिलता है। 

लक्ष्मी गणेश कुबेर जी की आरती के लाभ
लक्ष्मी जी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है, भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और सुख-शांति के दाता के रूप में पूजा जाता है और कुबेर जी धन के अधिष्ठाता हैं। दिवाली की रात इन तीनों देवी-देवताओं की आरती करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और धन-संपत्ति का संचार होता है। माना जाता है कि इससे नकारात्मकता दूर होती है और जीवन में खुशहाली का वास होता है। 

गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti)
Full View

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥

लक्ष्मी जी की आरती (Lakshmi ji ki Aarti)
Full View

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।। 
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता। 
ओम जय लक्ष्मी माता।।

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता। 
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता। 
ओम जय लक्ष्मी माता।।

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता। 
मैया सुख संपत्ति दाता। 
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता। 
ओम जय लक्ष्मी माता।।

तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता। 
मैया तुम ही शुभदाता। 
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता। 
ओम जय लक्ष्मी माता।।

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता। 
मैया सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता। 
ओम जय लक्ष्मी माता।।

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता। 
मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता। 
ओम जय लक्ष्मी माता।।

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता। 
मैया क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता। 
ओम जय लक्ष्मी माता।।

महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता। 
मैया जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता। 
ओम जय लक्ष्मी माता।।

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। 
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता। 
ओम जय लक्ष्मी माता।।

कुबेर जी की आरती (Kuber ji ki Aarti)
Full View

ओम जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के,
भण्डार कुबेर भरे।
॥ ओम जय यक्ष कुबेर हरे...॥

शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,
स्वामी भक्त कुबेर बड़े।
दैत्य दानव मानव से,
कई-कई युद्ध लड़े ॥
॥ ओम जय यक्ष कुबेर हरे...॥

स्वर्ण सिंहासन बैठे,
सिर पर छत्र फिरे,
स्वामी सिर पर छत्र फिरे।
योगिनी मंगल गावैं,
सब जय जय कार करैं॥
॥ ओम जय यक्ष कुबेर हरे...॥

गदा त्रिशूल हाथ में,
शस्त्र बहुत धरे,
स्वामी शस्त्र बहुत धरे।
दुख भय संकट मोचन,
धनुष टंकार करे॥
॥ ओम जय यक्ष कुबेर हरे...॥

भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,
स्वामी व्यंजन बहुत बने।
मोहन भोग लगावैं,
साथ में उड़द चने॥
॥ ओम जय यक्ष कुबेर हरे...॥

बल बुद्धि विद्या दाता,
हम तेरी शरण पड़े,
स्वामी हम तेरी शरण पड़े,
अपने भक्त जनों के,
सारे काम संवारे॥
॥ ओम जय यक्ष कुबेर हरे...॥

मुकुट मणी की शोभा,
मोतियन हार गले,
स्वामी मोतियन हार गले।
अगर कपूर की बाती,
घी की जोत जले॥
॥ ओम जय यक्ष कुबेर हरे...॥

यक्ष कुबेर जी की आरती,
जो कोई नर गावे,
स्वामी जो कोई नर गावे ।
कहत प्रेमपाल स्वामी,
मनवांछित फल पावे।
॥ इति श्री कुबेर आरती ॥


 

Similar News