Bone Health: भरपूर कैल्शियम मिलने के बाद भी मजबूत नहीं हो रही हड्डियां? इस विटामिन की कमी है वजह
Bone Health: हमारे शरीर को मजबूत बनाए रखने के लिए हड्डियों का स्ट्रॉन्ग होना बेहद जरूरी है। ऐसे में कैल्शियम के अलावा एक जरूरी विटामिन की भी पर्याप्त मात्रा में होना जरूरी है।
हड्डियों की मजबूती के लिए जरूरी है यह विटामिन।
Bone Health: अक्सर लोग हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए दूध, दही और पनीर जैसे कैल्शियम से भरपूर चीजें खूब खाते हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कैल्शियम लेने के बावजूद हड्डियां कमजोर रह जाती हैं, दर्द करने लगती हैं या जल्दी टूटने का खतरा बढ़ जाता है। यह समस्या केवल कैल्शियम की कमी से नहीं बल्कि एक खास विटामिन की कमी से भी जुड़ी होती है।
दरअसल, हड्डियों की मजबूती के लिए सिर्फ कैल्शियम ही नहीं बल्कि विटामिन डी भी उतना ही जरूरी है। अगर शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाए तो कैल्शियम सही तरीके से अवशोषित नहीं हो पाता। यही वजह है कि भरपूर कैल्शियम लेने के बावजूद हड्डियां कमजोर बनी रहती हैं। आइए जानते हैं विटामिन डी की भूमिका, इसके फायदे और कमी पूरी करने के उपाय।
हड्डियों के लिए विटामिन डी क्यों जरूरी है?
विटामिन डी हड्डियों में कैल्शियम और फॉस्फोरस को जमा करने का काम करता है। अगर यह विटामिन शरीर में पर्याप्त मात्रा में न हो, तो खाया गया कैल्शियम शरीर में ठीक से अवशोषित नहीं होगा। इससे हड्डियां धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
विटामिन डी की कमी के लक्षण
- हड्डियों और जोड़ों में लगातार दर्द रहना
- थकान और कमजोरी महसूस होना
- मांसपेशियों में खिंचाव या ऐंठन होना
- बच्चों में हड्डियों का सही से विकास न होना
- बार-बार हड्डियों का फ्रैक्चर होना
- विटामिन डी के मुख्य सोर्स
सूरज की रोशनी : सुबह की धूप विटामिन डी का सबसे अच्छा और प्राकृतिक स्रोत है।
डेयरी प्रोडक्ट्स: दूध, दही, मक्खन और पनीर विटामिन डी की पूर्ति में मदद करते हैं।
फिश और एग: सैल्मन, टूना मछली और अंडे की जर्दी विटामिन डी से भरपूर होती है।
फोर्टिफाइड फूड्स: आजकल बाजार में कई खाद्य पदार्थ विटामिन डी से युक्त उपलब्ध हैं, जैसे पैक्ड दूध और अनाज।
विटामिन डी की कमी के रिस्क
अगर लंबे समय तक शरीर में विटामिन डी की कमी बनी रहे तो ऑस्टियोपोरोसिस, रिकेट्स और हड्डियों के जल्दी टूटने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। बुजुर्गों और महिलाओं में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ विटामिन डी का स्तर कम हो जाता है।
(Disc।aimer: इस आर्टिकल में दी गई सामग्री सिर्फ जानकारी के लिए है। हरिभूमि इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी सलाह या सुझाव को अमल में लेने से पहले किसी डॉक्टर/विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें।)
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