बीरबल और शेर का किस्सा: अकबर के 'फुरसती दरबार' की दिलचस्प कहानी
Akbar Birbal kahani: जानिए कैसे बीरबल ने अकबर के 'फुरसती दरबार' में शेर के शिकार की अपनी अनोखी कहानी से सबको चौंका दिया।
Akbar Birbal kahani: दरबार का वह खास दिन था, जब अकबर बादशाह अच्छे मूड में होते और 'फुरसती दरबार' का आयोजन किया जाता। इस दरबार की खासियत यह थी कि उसमें हर कोई बराबरी से हिस्सा लेता। चाहे वो आम दरबारी हो या कोई ऊंचे ओहदे वाला। उस दिन बातचीत का विषय था: "शेर का शिकार"।
बादशाह ने दरबारियों से पूछा, "बताइए, आप में से किसने शेर का शिकार किया है?" जैसे ही सवाल पूरा हुआ, सभी दरबारी अपनी-अपनी वीरता का बखान करने लगे। एक-एक कर सभी ने अलग-अलग घटनाएं सुनाईं पर असली बात क्या थी?
खां साहब का किस्सा: फंसा हुआ शेर और टूटी मचान
खां साहब ने बताया कि पहली बार जब वे शिकार पर गए, तो शेर सीधे उनकी मचान पर चढ़ गया! मचान टूटी, वो नीचे गिरे और शेर मचान से उल्टा लटक गया। उसकी पूंछ फंस गई थी। मौके का फायदा उठाकर उन्होंने तलवार चला दी।
अकबर बोले: "ये कैसा शिकार हुआ! जाल में फंसे जानवर को तो बच्चा भी मार सकता है।"
छींक और खाई में गिरे शेर की कहानी
मिर्जा बोले कि एक बार वे जंगल में घूमते-घूमते सो गए और छींक आने पर जागे तो सामने शेर खड़ा था! उन्होंने डर के मारे आंखें बंद कर लीं। लेकिन जैसे ही शेर पास आया, दोबारा छींक आई और शेर चौंक गया। तलवार तानकर मिर्जा आगे बढ़े, तो शेर पीछे हटते-हटते खाई में गिर गया।
बादशाह मुस्कराते हुए बोले: "यानी शेर खुद गिरा, तुमने तो सिर्फ छींक मारी!"
कीचड़ में लिपटा बचाव
एक बुजुर्ग मौलाना ने किस्सा सुनाया कि वह शेर के डर से पोखर में गिर गए और पूरी तरह कीचड़ में लथपथ हो गए। जब बाहर निकले, तो शेर उन्हें पहचान ही नहीं पाया और डरकर भाग गया।
अकबर ने हंसते हुए कहा: "आमना-सामना तो हुआ, लेकिन लड़ाई नहीं!"
अब बारी थी बीरबल की... जब बादशाह ने बीरबल से पूछा, "तुम्हारा कभी शेर से आमना-सामना हुआ?"
बीरबल मुस्कराते हुए बोले: "हुजूर, आमना-सामना तो रोज होता है। मगर एक किस्सा ऐसा है जिस पर शायद आपको यकीन न आए।"
उन्होंने एक दिलचस्प कहानी सुनाई: एक बार वे और बादशाह खुद जंगल में भटक गए थे। अंधेरे में शेर की दहाड़ सुनाई दी। बादशाह की तलवार तंबू में रह गई थी। दोनों एक पेड़ पर चढ़ गए। बीरबल नीचे की शाख पर और बादशाह ऊपर। जब शेर चढ़ने लगा, तो बीरबल ने बिना समय गंवाए तलवार चलाई। शेर नीचे गिरा और सुबह देखा कि वह मारा जा चुका था।
अकबर ने चुटकी ली: "अगर तलवार न होती तो क्या करते?"
बीरबल ने जवाब दिया: "तब या खुदा कुछ करता, या फिर वो शेर!"
दरबार ठहाकों से गूंज उठा।
बादशाह हंसते हुए बोले: "बीरबल, तुम्हारी बातें ही सबसे अनोखी होती हैं।"
इसी के साथ 'फुरसती दरबार' समाप्त हुआ।