Parenting Tips: डिवोर्सी पैरेंट्स बच्चों की देखभाल कैसे करें? परवरिश में किन बातों का ख्याल रखें; जानिए
Parenting Tips: तलाकशुदा कपल्स के लिए बच्चों की देखभाल एक बड़ी चुनौती होती है। बच्चों की सही देखभाल के लिए कुछ पैरेंटिंग टिप्स आपके काम आ सकते हैं।
तलाकशुदा कलप्स के लिए बच्चों की देखभाल के टिप्स।
Parenting Tips: जब माता-पिता अलग होते हैं, तो सिर्फ दो ज़िंदगी नहीं बदलतीं, बल्कि बच्चों की पूरी दुनिया हिल जाती है। उनके लिए यह समझना मुश्किल होता है कि जिन दो लोगों से वे सबसे ज़्यादा प्यार करते हैं, वे अब एक साथ नहीं रहेंगे। इस स्थिति में सबसे ज्यादा मानसिक और भावनात्मक असर बच्चों पर पड़ता है, खासकर तब जब उन्हें समझाने या संभालने वाला कोई न हो।
डिवोर्स के बाद बच्चे अक्सर ग़लत सोच, अकेलेपन और असुरक्षा की भावना से जूझते हैं। ऐसे में पैरेंट्स की जिम्मेदारी केवल कानूनी सहमति तक सीमित नहीं रह जाती, बल्कि उन्हें यह समझना होता है कि उनका हर कदम बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालेगा। एक संवेदनशील, सहयोगात्मक और स्थिर माहौल बच्चों को उस टूटन से उबरने में मदद कर सकता है।
बच्चों की केयर के लिए 5 टिप्स आएंगे काम
सह-अभिभावक बनें, विरोधी नहीं
डिवोर्स के बाद भी माता-पिता के रूप में दोनों की जिम्मेदारी बनी रहती है। आपसी मतभेदों को बच्चों पर थोपने के बजाय सहयोगात्मक रवैया अपनाएं। नियमित रूप से बातचीत करें, स्कूल इवेंट्स में दोनों की भागीदारी सुनिश्चित करें और बच्चों को यह एहसास दिलाएं कि दोनों ही उनके लिए उपलब्ध हैं।
बच्चों के सामने मत झगड़ें
बच्चों के सामने बहस, कटु शब्द या आरोप-प्रत्यारोप उन्हें भावनात्मक रूप से असुरक्षित बना सकते हैं। कोशिश करें कि विवाद घर से दूर सुलझाएं। बच्चों को कभी भी यह महसूस न होने दें कि वे किसी पक्ष को चुनने के लिए मजबूर हैं।
खुलकर बात करें
बच्चों से उनकी भावनाओं के बारे में बात करें। उन्हें यह हक दें कि वे अपने डर, नाराजगी या उलझन को खुलकर जाहिर कर सकें। आप चाहें तो काउंसलर या चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट की मदद भी ले सकते हैं, ताकि बच्चों को अपनी भावनाओं को समझने और संभालने में मदद मिल सके।
रूटीन बनाए रखें
अलगाव के बाद भी बच्चों की पढ़ाई, खेल, हॉबीज़ और खानपान जैसी दिनचर्या में नियमितता बनाए रखें। यह उन्हें स्थिरता और सुरक्षा का एहसास कराती है।
खुद को भी संभालें
स्वस्थ माता-पिता ही स्वस्थ बच्चे पाल सकते हैं। इसलिए मानसिक रूप से खुद को स्थिर रखें, दोस्तों या थेरेपी का सहारा लें ताकि आप बच्चों के लिए एक सकारात्मक उदाहरण बन सकें।