​​​​AIIMS Bhopal के डॉक्टरों का कारनामा: फेफड़ों की टीबी से जूझते कुपोषित बच्चे को दिया जीवनदान, स्मार्ट यूनिट में देखभाल से सुधरी हालत

AIIMS Bhopal: एम्स भोपाल के डॉक्टरों ने फेफड़ों की टीबी, गंभीर कुपोषण और खून की कमी से जूझ रहे बच्चे को नया जीवन दे दिया। स्मार्ट यूनिट में हुई देखभाल से 15 दिनों के अंदर ही बच्चे की रिकवरी हो गई।

Updated On 2024-04-22 23:35:00 IST
​​​​AIIMS Bhopal के डॉक्टरों ने फेफड़ों की टीबी, गंभीर कुपोषण और खून की कमी से जूझ रहे बच्चे को नया जीवन दे दिया।

AIIMS Bhopal: भोपाल के गैरतगंज से एक 13 माह का रुहान तेज बुखार और बार-बार उल्टी आने की समस्या के चलते एम्स भोपाल की पेडियाट्रिक ओपीडी में पहुंचा था। परिजनों ने विभाग के डॉक्टर को बताया बच्चे को यह समस्या बीते दो माह से है। बच्चे की जांच में उसका वजन मात्र 5 किलो और लंबाई 73 सेंटीमीटर पाई गई। जिसे देखते ही डॉक्टरों ने तत्काल स्मार्ट यूनिट में भर्ती कर लिया। यहां जांच के दौरान उसमें गंभीर कुपोषण, फेफड़ों की टीबी और खून की कमी जैसी समस्याएं देखने को मिली। स्थिति इतनी गंभीर थी यदि बच्चे को सही इलाज न मिलता तो उसकी मौत तक हो सकती थी।

13 महीने के रुहान का रुक गया था विकास
एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर डॉ. अजय सिंह के मार्गदर्शन में पीडियाट्रिक विभाग के डॉक्टरों ने बच्चे के कठिन इलाज की चुनौती को सफलतापूर्वक पार किया। जिससे न केवल बच्चे के जीवन को बचाया जा सका बल्कि तीन माह में ही उसके वजन और लंबाई में भी बढ़ोतरी हुई है। अब सामान्य बच्चों की तरह उसका विकास हो रहा है। जब ओपीडी में आया तब यह थी स्थिति 13 महीने के रुहान को लेकर परिजन साल 2023 में 8 दिसंबर को एम्स भोपाल पहुंचे। इस दौरान देखने को मिला कि रूहान का वजन 5.165 किलोग्राम और लंबाई 73 सेमी थी। उसकी मध्य-ऊपरी भुजा परिधि (एमयूएसी) 8.1 सेमी दर्ज किया गया और हीमोग्लोबिन का स्तर 8.26 पाया गया।

सबसे पहले किया गया टीबी का इलाज
बच्चे को सबसे पहले फेफड़ों की टीबी कंट्रोल करने के लिए दवा दी गई। करीब 15 दिन भर्ती रहने के बाद बच्चे का वजन 5 किलो 939 ग्राम हो गया था। साथ ही हीमोग्लोबिन का स्तर भी पहले से बेहतर था। जिससे यह साफ हुआ कि बच्चे में फेफड़ों की टीबी बीमारी का प्रमुख कारण थी। स्मार्ट यूनिट में इलाज से रुहान की हालत में धीरे-धीरे सुधार हुआ और उसने 15 दिनों के भीतर अपना लक्ष्य वजन 5.939 किलोग्राम प्राप्त कर लिया। इस दौरान उसके परिवार के सदस्यों को भी उचित भोजन आदतों और साफ सफाई की जानकारी दी गई। 15 दिन के बाद जब बच्चे को डिस्चार्ज किया गया तब उसका वजन 6.10 किलोग्राम और एमयूएसी 8.9 सेमी था। 

परिवार ने की सही देखभाल - हर फॉलोअप में बढ़ा मिला वजन
परिवार द्वारा पोषण संबंधी देखभाल के सख्त पालन से रुहान में उल्लेखनीय सुधार हुए। जब वह पहली बार फॉलोअप के लिए आया तब उसका वजन 7.040 किलोग्राम था और वह पहले से काफी चंचल था। इसी तरह दूसरे फॉलोअप में आने पर उसका वजन 7.500 किलोग्राम, तीसरी बार में 8 किलोग्राम और चौथी बार में 8.200 किलोग्राम था।  बच्चे के विकास और विकास पथ का स्मार्ट यूनिट द्वारा टारगेट सेट किया गया है। जिसके तहत बच्चों की लंबाई 73 सेमी और वजन 12.6 किलोग्राम से अधिक पहुंचने का टारगेट है।  यह सफलता की कहानी एकीकृत चिकित्सा और पोषण संबंधी हस्तक्षेपों की प्रभावशीलता बयां करती  है।

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