कंगना रनौत ने की ऋषभ शेट्टी की ‘कांतारा’ की तारीफ़: बोलीं – ऐसी फिल्में धर्मांतरण रोकने में निभा सकती हैं अहम भूमिका
कंगना रनौत ने ऋषभ शेट्टी की ‘कांतारा चैप्टर 1’ की तारीफ़ करते हुए कहा कि ऐसी फ़िल्में धर्मांतरण रोकने में मुख्य भूमिका निभा सकती हैं।
कंगना रनौत ने की ऋषभ शेट्टी की फिल्म 'कांतारा चैप्टर 1' की जमकर तारीफ।
Kangana Ranaut: बॉलीवुड अभिनेत्री और अब राजनेता बनीं कंगना रनौत ने कन्नड़ अभिनेता और निर्देशक ऋषभ शेट्टी की सुपरहिट फिल्म ‘कांतारा चैप्टर 1’ की जमकर तारीफ़ की है। कंगना ने सोशल मीडिया पर कहा कि इस तरह की फ़िल्में न सिर्फ़ भारतीय संस्कृति को जीवित रखती हैं, बल्कि धर्मांतरण जैसी सामाजिक समस्याओं को रोकने में भी अहम भूमिका निभा सकती हैं।
दरअसल, हाल ही में एक सोशल मीडिया यूज़र ने एक वीडियो शेयर किया था जिसमें दक्षिण भारत की देव संस्कृति और परंपराओं को दिखाया गया था। उस पोस्ट में यूज़र ने लिखा कि “कांतारा देखने के बाद दक्षिण की परंपराओं के प्रति मेरा नज़रिया बदल गया। यह फ़िल्म बताती है कि भारत की स्थानीय आस्थाएं कितनी गहरी और दिव्य हैं।”
कंगना रनौत ने इस पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “बहुत बढ़िया, ऐसी फ़िल्में धर्मांतरण को रोकने में भी अहम साबित हो सकती हैं।”
कंगना के इस बयान ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। कुछ लोगों ने उनकी बात का समर्थन किया, जबकि कुछ ने इसे उनकी राजनीतिक सोच से जोड़ दिया। फिर भी, अधिकतर लोगों ने इस बात से सहमति जताई कि ‘कांतारा’ जैसी फ़िल्में स्थानीय आस्थाओं और सांस्कृतिक जड़ों से लोगों को जोड़ने का काम करती हैं।
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‘कांतारा चैप्टर 1’ का जादू जारी
ऋषभ शेट्टी की ‘कांतारा चैप्टर 1’ 2022 की ब्लॉकबस्टर ‘कांतारा’ का प्रीक्वल है। यह कहानी दर्शकों को चौथी शताब्दी ईस्वी में ले जाती है, जहाँ से बूटा कोला अनुष्ठान की शुरुआत हुई थी। फिल्म में रुक्मिणी वसंत, गुलशन देवैया और जयराम जैसे कलाकारों ने शानदार अभिनय किया है।
फिल्म ने रिलीज़ के बाद से बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त प्रदर्शन किया है और अब तक ₹439 करोड़ से अधिक की कमाई कर चुकी है। ‘कांतारा चैप्टर 1’ को न केवल दर्शकों बल्कि फिल्म इंडस्ट्री के बड़े नामों—संदीप रेड्डी वांगा, राम गोपाल वर्मा, अनुपम खेर, सुनील शेट्टी और केएल राहुल—से भी भरपूर सराहना मिली है।
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कंगना का सांस्कृतिक दृष्टिकोण
कंगना रनौत पहले भी भारतीय संस्कृति और परंपरा से जुड़े विषयों पर बनी फिल्मों का समर्थन करती रही हैं। उन्होंने कई बार कहा है कि “भारतीय सिनेमा को अपनी जड़ों से जुड़े विषयों पर ध्यान देना चाहिए, ताकि नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति और पहचान का बोध हो।”
‘कांतारा’ की तारीफ़ कर उन्होंने एक बार फिर यह संदेश दिया है कि सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि संस्कृति और समाज के संरक्षण का सशक्त माध्यम भी हो सकता है।
– काजल सोम