Bhopal: माध्यमिक शिक्षा मंडल की ऑफलाइन सत्यापन व्यवस्था पर सवाल, जांच के घेरे में आएंगे कई अधिकारी
मध्य प्रदेश में फर्जी डीएड सर्टिफिकेट मामले में STF ने जांच तेज की, माशिमं की ऑफलाइन अंकसूची सत्यापन प्रक्रिया पर उठे सवाल, कई अधिकारियों पर भी नजर।
Bhopal: शिक्षा विभाग में फर्जी डीएड अंकसूची का मामला सामने आने और मध्य प्रदेश स्पेशल टॉस्क फोर्स (एमपी एसटीएफ) द्वारा प्रदेश के विभिन्न जिलों में फर्जी डीएड सर्टिफिकेट से नौकरी पाने वाले शिक्षकों के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद डीएड अंकसूची के सत्यापन को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल में लगभग सभी कार्य हाईटेक होने के बाद भी डीएड अंकसूची के सत्यापन को ऑफलाइन ही रखा है। ऐसे में यह प्रक्रिया भी जांच के दायरे में आ सकती है।
जानकारों के अनुसार, 1965 में स्थापित माध्यमिक शिक्षा मंडल में दसवीं-बारहवीं की अंकसूची से लेकर उत्तर पुस्तिका की चेकिंग तक का काम ऑनलाइन कर दिया है। परीक्षा केंद्रों तक में सीसीटीवी कैमरे लगवाने वाले हाईटेक माध्यमिक शिक्षा मंडल में सिर्फ डीएड की अंकसूचियों के सत्यापन का कार्य ऑफलाइन चल रहा है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, एसटीएफ द्वारा विभाग से कुछ दस्तावेज मांगे गए हैं। वहीं संबंधित जिले के कई अधिकारी वर्तमान में लोक शिक्षण में पदस्थ हैं। ऐसे में इन अधिकारियों से भी पूछताछ हो सकती है।
इन जिलों में अधिक मामले
फर्जी डीएड सर्टिफिकेट से सरकारी टीचर बनने वालों में सबसे ज्यादा शिक्षक मुरैना, शिवपुरी, ग्वालियर, इंदौर समेत अन्य जिलों में हैं। एसटीएफ की जांच में पता चला कि वर्ष 1998 से 2006 तक जिला और जनपद पंचायत के माध्यम से डीएड की फर्जी अंकसूची का खेल चला है। इसके बाद लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा संभाग या जिला स्तर पर बनाई नियोक्ता कमेटी द्वारा डीएड की फर्जी अंकसूची का सत्यापन कर मार्कशीट की रिपोर्ट को सही किया गया।
जांच जारी है
ग्वालियर ईकाई के एसटीएफ एसपी राजेश भदौरिया ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा मंडल को लेकर फिलहाल गड़बड़ी की कोई जानकारी सामने नहीं आई है। हालांकि इस मामले से संबंधित जिलों के कुछ अधिकारी वर्तमान में लोक शिक्षण में पदस्थ हैं। जांच जारी है, जिस व्यक्ति की संलिप्तता प्रकरण में मिलेगी, नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।