UPS vs NPS: 30 नवंबर की डेडलाइन के बाद NPS से UPS में बदलाव पर क्या होगा? जानें कर्मचारियों के लिए क्या बदलेगा

UPS vs NPS: नेशनल पेंशन स्कीम से यूपीएस में शिफ्ट होने पर कर्मचारियों का पुराना निवेश और उस पर मिली रिटर्न सुरक्षित रहेगी और नए खाते में ट्रांसफर होगी। यूपीएस में गारंटीड पेंशन, DA का लाभ और पत्नी को 60% पारिवारिक पेंशन जैसे बड़े फायदे मिलेंगे।

Updated On 2025-11-28 18:59:00 IST

UPS vs NPS scheme deadline

UPS vs NPS: केंद्र सरकार ने नेशनल पेंशन सिस्टम से यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) में स्विच करने की अंतिम तिथि 30 नवंबर तय की थी। सरकार ने साफ कहा है कि जो कर्मचारी एनपीएस से यूपीएस में जाएंगे, उन्हें अब तक नेशनल पेंशन स्कीम में हुई निवेश आय का पूरा लाभ मिलेगा और उनकी कमाई सुरक्षित तरीके से यूपीएस खाते में ट्रांसफ़र कर दी जाएगी। इससे कर्मचारियों को किसी भी तरह के वित्तीय नुकसान का डर नहीं रहेगा।

नेशनल पेंशन स्कीम और UPS में सबसे बड़ा अंतर यह है कि एनपीएस बाज़ार आधारित रिटर्न देता है जबकि UPS एक गारंटीड पेंशन स्कीम है। UPS में महंगाई भत्ता (Dearness Relief) भी मिलता है, जो नेशनल पेंशन यानी एनपीएस में उपलब्ध नहीं था। UPS की एक और बड़ी खासियत यह है कि कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसके जीवनसाथी को अंतिम सुनिश्चित पेंशन का 60% हर महीने मिलता रहेगा। वहीं NPS में यह लाभ सीमित था और कई मामलों में एकमुश्त राशि पर निर्भर करता था।

योगदान संरचना की बात करें तो NPS में सरकार 14% योगदान देती थी जबकि UPS में सरकार 10% योगदान के साथ कर्मचारियों की कुल राशि पर अतिरिक्त 8.5% भी जोड़ती है। कर्मचारी दोनों ही स्कीम में 10% योगदान देते रहेंगे। टैक्स छूट और ग्रेच्युटी जैसी सुविधाएं UPS में भी पहले की तरह जारी रहेंगी।

यह ज़रूरी है कि यूपीएस में स्विच करना पूरी तरह वैकल्पिक है और केवल वही केंद्रीय कर्मचारी ऐसा कर सकते हैं, जिनकी सेवा 10 साल पूरी हो चुकी है। साथ ही यूपीएस में जाने वाले कर्मचारी आगे चलकर एक बार के लिए वापस एनपीएस में लौटने का विकल्प भी रखेंगे। PFRDA की एग्ज़िक्यूटिव डायरेक्टर सुमीत कौर कपूर ने कहा कि NPS में जमा 14% सरकारी योगदान और वर्षों में हुई कमाई दोनों को ही पूरी तरह UPS खाते में जोड़ दिया जाएगा। इससे कर्मचारियों को किसी तरह का घाटा नहीं होगा।

सरकार ने UPS लाने का फैसला इसलिए किया क्योंकि नेशनल पेंशन स्कीम में बाज़ार की उतार-चढ़ाव से रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली राशि निश्चित नहीं मानी जाती थी। महंगाई से सुरक्षा, स्थिर आय और परिवार को दी जाने वाली पेंशन जैसे मुद्दों को ध्यान में रखते हुए UPS को लागू किया गया।

UPS के अनुसार 25 साल की सेवा पूरी करने वाले कर्मचारियों को औसत 12 महीने की बेसिक सैलरी का 50% पेंशन के रूप में दिया जाएगा, न्यूनतम 10,000 मासिक। 10 से 25 साल सेवा वाले कर्मचारियों को यह लाभ अनुपात के हिसाब से मिलेगा। सबसे बड़ी राहत यह भी है कि 31 मार्च 2025 तक रिटायर हो चुके NPS सब्सक्राइबर भी UPS का विकल्प चुन सकते हैं और उन्हें महंगाई भत्ता, पारिवारिक पेंशन और ब्याज के साथ एरियर का लाभ मिलेगा।

UPS के मुख्य फायदे क्या हैं?

50% पेंशन (औसत बेसिक वेतन की 12 महीनों की)

25 साल की सेवा पूरी करने पर कम-से-कम 10,000 मासिक पेंशन।

10–25 साल सेवा वालों के लिए प्रपोर्शन के आधार पर गणना होगी।

महंगाई भत्ता

UPS में DA बढ़ने पर पेंशन भी बढ़ेगी-यह NPS में मौजूद नहीं था।

मौत के बाद पत्नी को 60% पारिवारिक पेंशन

अगर कर्मचारी का निधन हो जाता है, तो पत्नी को आखिरी पेंशन का 60% प्रति माह मिलेगा। NPS में यदि कॉर्पस ₹5 लाख से कम है तो परिवार को लंपसंप मिलता है, वरना 80% राशि एन्‍युटी में डालनी होती है।

(प्रियंका कुमारी)

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