GST का झटका: जोमैटो-स्विगी पर 400 करोड़ का टैक्स बोझ, डिलीवरी पार्टनर्स की जेब कटेगी?
gst blow to zomato swiggy: नए जीएसटी नियम का असर जोमैटो और स्विगी पर असर पड़ सकता है। इन दोनों कंपनियों पर साल का अतिरिक्त 400 करोड़ का टैक्स बोझ पड़ सकता।
ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनियां जोमैटो और स्विगी पर नया जीएसटी नियम भारी पड़ता दिख रहा। दोनों कंपनियों पर सालाना करीब 400 करोड़ रुपये तक का टैक्स बोझ बढ़ सकता है, जिसका सबसे ज्यादा असर डिलीवरी पार्टनर्स की कमाई पर पड़ने वाला है।
जोमैटो के पास वर्तमान में 3.5 लाख और स्विगी के पास 5.2 लाख से ज्यादा डिलीवरी पार्टनर्स हैं। नए जीएसटी प्रावधान के तहत अब प्लेटफॉर्म्स को गिग वर्कर्स की डिलीवरी फीस पर 18 फीसदी जीएसटी चुकाना होगा, जो पहले टैक्स दायरे में नहीं आता था। कंपनियां इस अतिरिक्त बोझ को सीधे उपभोक्ताओं पर डालने के बजाय डिलीवरी वर्कर्स के पेमेंट में कटौती करने का विकल्प चुन सकती। हालांकि टैक्स का कुछ हिस्सा ग्राहकों तक भी पहुंच सकता है, लेकिन हाल ही में प्लेटफॉर्म फीस बढ़ाने के बाद कंपनियां इस विकल्प से बचना चाहती हैं।
उपभोक्ताओं के लिए भी बढ़ सकती मुश्किल
रिसर्च एनालिस्ट शोभित सिंगल के मुताबिक, 'अगर टैक्स का बोझ पूरी तरह उपभोक्ताओं पर डाला गया तो ऑर्डर वॉल्यूम घट सकता है। ऐसे में दोनों कंपनियों की ग्रोथ पर सीधा असर पड़ेगा।'
जीएसटी काउंसिल की सफाई
जीएसटी काउंसिल ने हाल ही में साफ किया कि ऑनलाइन डिलीवरी अब एक टैक्सेबल सर्विस है और इसकी जिम्मेदारी प्लेटफॉर्म्स की होगी, न कि गिग वर्कर्स की। पहले कंपनियां तर्क देती थीं कि डिलीवरी चार्ज उनकी इनकम का हिस्सा नहीं और गिग वर्कर्स रजिस्टर्ड टैक्सपेयर नहीं हैं। लेकिन अब यह विवाद खत्म हो गया है और टैक्स का बोझ सीधा कंपनियों पर आ गया।
पहले से ही दबाव में कंपनियां
याद दिला दें कि दिसंबर 2024 में महाराष्ट्र टैक्स विभाग ने जोमैटो को 401 करोड़ रुपये की बकाया जीएसटी राशि और उतनी ही पेनल्टी चुकाने का आदेश दिया था। कंपनी ने उस आदेश को चुनौती देने की बात कही थी।
इस मामले में आगे क्या होगा?
नए नियमों से साफ है कि ऑनलाइन डिलीवरी इंडस्ट्री की लागत बढ़ेगी। कंपनियों के पास या तो डिलीवरी वर्कर्स की कमाई कम करने या उपभोक्ताओं से ज्यादा शुल्क वसूलने के ही विकल्प हैं। दोनों ही स्थितियां इस सेक्टर के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती हैं।
(प्रियंका कुमारी)