Credit score: अच्छा स्कोर होने के बाद भी क्यों रिजेक्ट हो जाता है क्रेडिट कार्ड आवेदन? जानिए वजह
Credit score: अच्छा क्रेडिट स्कोर ही नए क्रेडिट कार्ड के लिए काफी नहीं होता है। इसके अलावा भी कई और पैमाने होते हैं, जिनके आधार पर ही आपको क्रेडिट कार्ड मिलता है।
अगर आप क्रेडिट लिमिट का 30 फीसदी से ज्यादा लगातार इस्तेमाल कर रहे, तो यह खतरे की घंटी हो सकती।
Credit score: कई लोगों के साथ ऐसा होता है कि उनका क्रेडिट स्कोर 750 या उससे ज्यादा होता है, फिर भी बैंक उनका क्रेडिट कार्ड आवेदन खारिज कर देता। ऐसे में सबसे पहला सवाल यही आता है कि जब स्कोर अच्छा है, तो फिर कमी कहां रह गई? सच यह है कि क्रेडिट स्कोर जरूरी जरूर है लेकिन यह अकेला पैमाना नहीं है। बैंक किसी भी कार्ड को मंजूरी देने से पहले कई दूसरे पहलुओं को भी बारीकी से देखते हैं।
हर क्रेडिट कार्ड एक खास इनकम कैटेगरी को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। प्रीमियम कार्ड, जिनमें ज्यादा लिमिट और लाइफस्टाइल बेनिफिट्स होते हैं, उनके लिए बैंक ज्यादा कमाई की उम्मीद करता है। अगर आपकी इनकम उस कार्ड के टारगेट प्रोफाइल में फिट नहीं बैठती, तो अच्छा स्कोर होने के बावजूद आवेदन रिजेक्ट हो सकता है।
क्रेडिट लिमिट का ज्यादा इस्तेमाल
अगर आप अपनी कुल क्रेडिट लिमिट का 30 फीसदी से ज्यादा लगातार इस्तेमाल कर रहे, तो यह बैंक के लिए खतरे की घंटी हो सकती। इससे ऐसा संकेत मिलता है कि आप पैसों के दबाव में हैं। समय पर भुगतान के बावजूद ज्यादा क्रेडिट उपयोग आपकी प्रोफाइल को कमजोर बना सकता।
बार-बार आवेदन करना नुकसानदेह
कम समय में कई क्रेडिट कार्ड या लोन के लिए अप्लाई करना भी भारी पड़ता है। हर आवेदन पर क्रेडिट इंक्वायरी होती है। ज्यादा इंक्वायरी बैंक को यह संकेत देती है कि आपको तुरंत पैसों की जरूरत है, और इसी वजह से आवेदन खारिज हो सकता।
क्रेडिट हिस्ट्री बहुत छोटी होना
कुछ लोगों का स्कोर इसलिए ठीक होता है क्योंकि उन्होंने ज्यादा क्रेडिट लिया ही नहीं। अगर आपके पास सिर्फ एक कार्ड है या आपकी क्रेडिट हिस्ट्री एक-दो साल पुरानी है, तो बैंक को आपके लंबे समय के व्यवहार का अंदाजा नहीं मिल पाता। नए नौकरीपेशा लोगों के साथ यह दिक्कत आम है।
एड्रेस, कंपनी का नाम या जॉब प्रोफाइल में हल्का सा फर्क भी आवेदन को अटका सकता है। बैंक साफ और एक जैसी जानकारी चाहता है। छोटी-सी गलती भी वेरिफिकेशन फेल कर सकती है।
पहले से ज्यादा कर्ज होना
अगर आपके ऊपर होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन की ईएमआई चल रही है, तो बैंक आपकी बची हुई इनकम देखता है। ज्यादा फिक्स्ड खर्च होने पर नया क्रेडिट देना बैंक को जोखिम भरा लगता है। जिन ग्राहकों का बैंक में सेविंग या सैलरी अकाउंट होता है, उन्हें कार्ड मिलना आसान होता है। नए कस्टमर के मामले में बैंक ज्यादा सख्ती बरतता है।
कई बार वजह आप नहीं होते। बैंक बाजार की स्थिति देखकर अपने नियम चुपचाप बदल देता है। जो कार्ड पहले आसानी से मिल जाता था, वही आज रिजेक्ट हो सकता है।
क्रेडिट कार्ड रिजेक्ट होना निराश करता है, लेकिन यह अंत नहीं है। कुछ महीने रुकें, अपनी क्रेडिट आदतें सुधारें, जानकारी ठीक करें और अपनी इनकम के मुताबिक कार्ड चुनें। थोड़े से बदलाव से अगली बार न आसानी से हां में बदल सकती है।
(प्रियंका कुमारी)