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हरियाणा के सोनीपत के सरकारी अस्पताल में इंसानियत व्यवस्था के आगे बेबस दिखी। बेसुध अवस्था में आए युवक युवती रेफर करने के बाद डेढ़ घंटे तक एक ही स्ट्रेचर पर तड़पते रहे। न तो उन्हें एंबुलेंस मिली और न ही किसी ने खाली पड़े बेड़ों पर लिटाया।

 सोनीपत। राम भरोसे जिंदगी। हरियाणा के सरकारी अस्पतालों का जिक्र आते ही यह बात स्वयं ही मन में घूमने लगती है। शुक्रवार को गन्नौर के अस्पताल के स्टाफ ने इसे एक बार फिर सही साबित कर दिया। बेसुध मिलने पर सरकारी एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचे युवक-युवती को गंभीर बताते हुए डॉक्टर ने रोहतक पीजीआई रेफर तो कर दिया, परंतु वहां उनके साथ आने के लिए कोई चतुर्थ कर्मी नहीं था। डेढ़ घंटे इंतजार के बाद चतुर्थ कर्मी आने तक दोनों एक ही स्ट्रेचर पर तड़पते रहे। इस दौरान किसी भी अस्पताल के स्टाफ व डॉक्टरों ने उन्हें पास में खाली पड़े बेडों पर शिफ्ट करने की जहमत नहीं उठाई। जिससे समय पर सही उपचार नहीं मिलने के कारण पीजीआई के लिए रवाना होने तक अस्पताल में होते हुए भी उनकी स्थिति पहले से ज्यादा नाजुक हो गई। 

यह था मामला 

गन्नौर में जीटी रोड पर रिलायंस पेट्रोल पंप के पास एक युवक-युवती बेहोशी की हालत में पड़े मिलने से हड़कंप मच गया। पता चलने के बाद आसपास के लोगों ने घटना की सूचना पुलिस को दी तथा उपचार के लिए उन्हें गन्नौर के अस्पताल में भर्ती करवाया। जहां उनकी गंभीर हालत को देखते हुए रोहतक पीजीआई रेफर कर दिया। युवक-युवती की पहचान बागपत यूपी के रूप में हुई है। दोनों के बेसुध अवस्था में मिलने के कारणों का पता तो मेडिकल रिपोर्ट व युवक युवती के होश में आने के बाद ही चल पाएगा, परंतु मामले को प्रेम प्रसंग से भी जोड़कर देखा जा रहा है। युवक भरत निवासी छपरौली बागपत व युवती रश्मि निवासी बागपत के रूप में हुई है। 

रेफर अज्ञात मरीज के साथ चतुर्थ श्रेणी कर्मी भेजना जरूरी

आपातकालीन कक्ष में संदिग्ध हालत में घायल व अन्य किसी बीमारी में पहुंचे मरीज को प्राथमिक उपचार के बाद अगर उसे रेफर किया जाता है, तो उसके साथ अस्पताल प्रबंधन की तरफ से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को भेजना अनिवार्य होता है। कक्ष में तैनात स्टाफ की तरफ से समय पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को बुलाकर घायल के साथ भेजना होता है। अस्पताल में मौके पर कर्मचारी नहीं होने के कारण रेफर होने के बाद करीब डेढ़ घंटे तक इंतजार करना पड़ा। 

मामले की होगी जांच

आपाताकालीन कक्ष में संदिग्ध हालत में पहुंचे मरीजों को समय रहते उपचार देना अनिवार्य होता है। अगर हालत गंभीर होती है, तो उन्हें बडे़ अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है। जहरीला पदार्थ निगलने वाले मरीज की हालत देखकर ही उसे उपचार दिया जाता है। कक्ष में पांच से ज्यादा बेडों की सुविधा है। वहीं अज्ञात के साथ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को भेजना जरूरी है। अगर रेफर करते समय किसी प्रकार की लापरवाही बरती गई है, तो मामले की जांच की जायेगी।
डा. गिन्नी लांबा, कार्यकारी प्रधान चिकित्सक अधिकारी नागरिक अस्पताल, सोनीपत।

दोनों युपी बागपत के रहने वाले 

जीटी रोड पर सीएनजी पंप के पास संदिग्ध हालत में युवक-युवती मिले थे। उन्हें उपचार के लिए अस्पताल में डायल-112 की टीम ने पहुंचाया। हालत गंभीर होने के चलते उन्हें रेफर कर दिया है। दोनों की पहचान हो चुकी है। परिजनों को अवगत करवा दिया है। उनके बयान दर्ज कर आगामी कार्यवाही अमल में लाई जायेगी।
इंस्पेक्टर महेश कुमार, प्रभारी बड़ी थाना।

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