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Satyam Surana Alleges Hate Campaign: सत्यम ने आरोप लगाया है कि वोटिंग से ठीक 12 घंटे पहले उनके खिलाफ एक बहुत ही सुनियोजित अभियान चलाया गया। उन्हें भाजपा से जोड़ा गया और फासीवादी बताया गया।

Satyam Surana Alleges Hate Campaign: खबर की शुरुआत 6 महीने पुरानी एक घटना से। बात अक्टूबर 2023 की है। लंदन में इंडियन हाई कमीशन बिल्डिंग के सामने खालिस्तानी विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान भारतीय ध्वज का अपमान किया गया। तभी एक नौजवान बेखौफ होकर भीड़ में घुसा और ध्वज उठा लिया। उस नौजवान का नाम सत्यम सुराणा है। वह लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स का छात्र है। आप सोच रहे होंगे कि इस पुराने घटनाक्रम का जिक्र अब क्यों? तो इसलिए, क्योंकि सत्यम सुराणा ने इस साल होने वाले लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के छात्र संघ चुनावों में अपने खिलाफ नफरत और बदनामी अभियान चलाए जाने का आरोप लगाया है। 

सत्यम ने आरोप लगाया है कि वोटिंग से ठीक 12 घंटे पहले उनके खिलाफ एक बहुत ही सुनियोजित अभियान चलाया गया। उन्हें भाजपा से जोड़ा गया और फासीवादी बताया गया।

बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस भी की
पुणे में जन्मे सत्यम सुराणा ने कुछ महीने बॉम्बे हाई कोर्ट में भी प्रैक्टिस की है। इस समय वे लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में एलएलएम कर रहे हैं। सत्यम ने बताया कि कॉलेज में छात्र संघ चुनाव फरवरी और मार्च की शुरुआत में घोषित किए गए थे। उन्होंने महासचिव पद के लिए नामांकन दाखिल किया था। 14-15 मार्च को मेरे पोस्टर फाड़े गए। अधिकारियों से शिकायत की। 16 मार्च को मेरे कुछ पोस्टर को नुकसान पहुंचाया गया। मेरे चेहरे पर क्रॉस के निशान थे। इसमें लिखा था 'सत्यम के अलावा कोई भी'। मुझे बहिष्कृत कर दिया गया।

इस्लामोफोब होने का आरोप लगा
सत्यम ने बताया कि 17 मार्च की दोपहर कॉलेज के सभी ग्रुपों में एक मैसेज वायरल हुआ। जिसमें दावा किया गया कि सत्यम सुराणा एक भाजपा समर्थक है। वह एक फासीवादी व्यक्ति है। एक इस्लामोफोब, ट्रांसफोब है। भारत सरकार और मौजूदा प्रतिष्ठान बहुत देशद्रोही और विवादास्पद हैं। सत्यम ने आरोप लगाया कि कट्टरपंथी तत्वों ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर उनके पोस्ट का स्क्रीनशॉट भी लिया। जहां उन्होंने केवल भाजपा सरकार की प्रशंसा की थी, लेकिन उनके पोस्ट का इस्तेमाल उन्हें फासीवादी कहने के दुर्भावनापूर्ण एजेंडे के साथ किया गया था।

उन्होंने यह भी कहा कि उनके घोषणापत्र में कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं था, बल्कि केवल परिसर के वास्तविक मुद्दे थे। हालांकि शुरुआत में उन्हें भारी समर्थन मिला, लेकिन इस घृणा अभियान ने उनकी संभावनाओं को पटरी से उतार दिया। अब जीतने के चांस कम हो गए हैं।

हमें शुरू में मिला भरपूर समर्थन
सत्यम ने कहा कि अपनी पूरी टीम के साथ मैं पूरे परिसर में गया। हम सभी विभागों में पहुंच रहे थे और अपनी नीतियों को समझा रहे थे। मेरे पास एक बहुत अच्छी तरह से लिखा और अच्छी तरह से तैयार किया गया घोषणापत्र था, जो बिल्कुल भी राजनीतिक नहीं था। इसमें कहा गया था कि कैसे कॉलेज की चीजों में सुधार की जरूरत है। एक शिकायत निवारण पोर्टल की आवश्यकता है। कैंपस में सब्सिडी वाला भोजन मिलना चाहिए। हमें समर्थन मिल रहा था और लोग कह रहे थे कि वे मुझे वोट देंगे। लेकिन, उन तीन लोगों में से केवल मुझे ही निशाना बनाया गया। जब ये संदेश आने शुरू हुए, तो मेरी पूरी टीम हैरान रह गई, हम दुविधा में थे और टीम का पूरा नैतिक विवेक चकनाचूर हो गया।

खालिस्तानियों को आतंकी कहने पर बनाया मुझे निशाना
पिछले साल भारतीय उच्चायोग के प्रकरण को याद करते हुए, सत्यम ने कहा, अक्टूबर की शुरुआत में मैं खबरों में था क्योंकि मैंने खालिस्तानी प्रदर्शनकारियों के बीच भारतीय उच्चायोग के बाहर राष्ट्रीय ध्वज उठाया था। मुझे मीडिया कवरेज मिला। राष्ट्रीय मीडिया चैनलों द्वारा मेरा इंटरव्यू लिया गया। उन्होंने आगे कहा कि अपने एक पोस्ट में खालिस्तानियों को 'आतंकवादी' कहने के लिए उन्हें निशाना बनाया गया।

सत्यम ने कहा कि भारत मेरा देश है। मैं हमेशा अपने देश का वकील रहूंगा। ब्रिटेन में छात्र संघ चुनावों के लिए भारतीय राजनीति कैसे प्रासंगिक है? मेरे विचार और मेरी सरकार का समर्थन पूरी तरह से मेरी राय है।

हेट कैंपेन वामपंथियों ने चलाया
भारतीय छात्र ने कहा कि महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के साथ उसकी तस्वीर का उपयोग चरमपंथी तत्वों द्वारा यह दावा करने के लिए किया गया था कि वह भाजपा से जुड़ा हुआ है। सत्यम का मानना है कि उनके खिलाफ यह अभियान वामपंथी ग्रुप चला रहा है। 

सत्यम ने बताया कि कैंपस के बाहर मुझे नव-नाजी समर्थक, दक्षिणपंथी कहा गया। यह पूछे जाने पर कि क्या उनके खिलाफ घृणा अभियान किसी भारतीय व्यक्ति या विदेशी द्वारा शुरू किया गया था, सत्यम ने कहा कि उन्हें पहला संदेश एक भारतीय से मिला था और इस अभियान में शामिल अधिकांश लोग भारतीय ही थे।

उन्होंने कहा कि यह सुनियोजित नफरत और टूलकिट अभियान था। जिसमें ऐसे लोग शामिल थे जो भारत में मौजूदा भाजपा सरकार के खिलाफ राजनीति से प्रेरित हैं। सत्यम का यहां तक दावा है कि जिन लोगों ने उन्हें निशाना बनाया वे उस समूह का हिस्सा हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की सफलता को पचा नहीं पा रहे हैं और इसलिए इस तरह का झूठा और दुर्भावनापूर्ण प्रचार फैला रहे हैं।

भारतीय ही उठा रहे सवाल, दुख इसी बात का
अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लोगों को पता ही नहीं है कि भारत में क्या चल रहा है। प्रत्येक अंतर्राष्ट्रीय व्यक्ति भारत की ओर देख रहा है और वर्तमान प्रधान मंत्री को एक दिग्गज राजनेता के रूप में देख रहा है। हमारे प्रधान मंत्री की रेटिंग पूरी दुनिया में सबसे अधिक है। हमने दिखाया है कि हम COVID-19 के दौरान क्या कर सकते हैं और हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहे हैं। लेकिन, दुख की बात है कि ये समूह जो इस तथ्य को पचा नहीं पा रहे हैं, वे गलत सूचना नहीं बल्कि दुष्प्रचार फैला रहे हैं। 

सत्यम ने कहा कि केवल दुख देने वाली बात यह है कि ये हमारे साथी भारतीय छात्र थे जिन्होंने इन संदेशों को प्रसारित किया और भारत की संप्रभुता पर सवाल उठाया। 

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