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Matka Gambling: सट्टा मटका एक तरह का जुआ है। यह 1960 और 1970 के दशक में देश में लोकप्रिय हुआ था। लेकिन इसे खेलना गैर कानूनी है। ऐसा करने या इसमें शामिल होने पर Public Gambling Act, 1867 के तहत जुर्माने और सजा का प्रावधान है। जानिए इस अवैध सट्टे का पूरा इतिहास।

Matka Gambling: क्या आपने सट्टा मटका खेल का नाम सुना है या इस गेम को कभी खेला है? अगर नहीं तो आगे कभी खेलने की भी कोशिश मत करना। क्योंकि भारत में पॉपुलर हुआ सट्टा मटका बैन है और खेलने पर जुर्माने के साथ-साथ सजा का भी प्रावधान है। बता दें कि सट्टा मटका एक लॉटरी या सट्टेबाजी का एक रूप है जिसकी शुरुआत भारत में हुई थी। मटका सट्टा 1960 और 1970 के दशक में लोकप्रिय हुआ था।

"मटका" शब्द एक मिट्टी के बर्तन को संदर्भित करता है जिसमें से संख्याओं के साथ पर्चियां निकाली जाती हैं। खेल में प्रतिभागियों को संख्याओं का एक सेट चुनना होता है, और फिर एक रैंडम प्रक्रिया के माध्यम से जीतने वाली संख्याएं निकाली जाती हैं। मटका सट्टा अवैध भारतीय सट्टा बाजार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया। आइए मटका गैंबलिंग का पूरा इतिहास जानते हैं और बताते हैं कि खेलने पर क्या सजा हो सकती है।

क्या है मटका गैंबलिंग? (what is Matka Gambling)
मटका जुआ, जिसे सट्टा मटका भी कहा जाता है। भारत में यह 1960 के दशक की शुरुआत में शुरू हुआ। जुए के इस रूप की उत्पत्ति का पता महाराष्ट्र राज्य के मुंबई शहर (पूर्व में बॉम्बे) में लगाया जा सकता है। इसकी शुरुआत न्यूयॉर्क कॉटन एक्सचेंज से बॉम्बे कॉटन एक्सचेंज तक प्रसारित कपास की ओपनिंग और क्लोजिंग रेट पर सट्टेबाजी के रूप में हुई।

समय के साथ, मटका जुआ लोकप्रिय होते गया गया। इस खेल ने 1960 और 1970 के दशक में अत्यधिक लोकप्रियता हासिल की और अपनी अवैध स्थिति के बावजूद, यह भारतीय जुआ बाजार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया। अभी भी कुछ क्षेत्रों में मटका जुआ खेला जाता है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में इसकी लोकप्रियता कम हो गई है।

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भारत में अवैध है सट्टा मटका
आपको बता दें कि, भारत में मटका जुए में शामिल होना गैरकानूनी है। अवैध जुए के लिए  भारत में एक अलग कानून बना है, जिसका नाम Public Gambling Act, 1867 है। इस एक्ट में अवैध जुए में शामिल लोगों के लिए सजा का प्रावधान है। ऐसे में हम आपको इससे बचने की सलाह देते हैं।

Public Gambling Act, 1867 क्या है?
1867 का पब्लिक गैंबलिंग एक्ट भारत में एक केंद्रीय कानून है जिसका उद्देश्य पब्लिक जुए के विनियमन (रेगुलेशन) और दंड को संबोधित करना है। यह अधिनियम विशेष रूप से सार्वजनिक जुआ अड्डों के संचालन या प्रबंधन पर प्रतिबंध लगाता है। इस कानून का उल्लंघन करने पर 200 रुपए का जुर्माना या तीन महीने तक की कैद जैसे दंड का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त, यह एक्ट जुआ अड्डों पर जाने पर प्रतिबंध लगाता है, जिसमें 100 रुपए का जुर्माना या एक महीने तक की कैद का प्रावधान है

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