BJP सांसद ने जजों की नियुक्ति पर उठाए सवाल: मुख्यमंत्री व राष्ट्रपति को लिखा पत्र, जानें किस बात पर जताई आपत्ति?

Civil Judge Recruitment Exam 2023: भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी ने मध्य प्रदेश में जजों की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर सांसद सोलंकी ने कहा, इंटरव्यू पैनल में किसी आदिवासी जज को शामिल नहीं किया गया। पत्र की प्रति उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी भेजा है।
राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी ने पत्र में कहा, मुख्यमंत्री मामले को संज्ञान में लेकर आदिवासी हितों की रक्षा करते हुए न्यायपालिका में प्रतिनिधित्व दिलाने की पहल करें। सांसद ने बताया, इस मसले को लेकर समाज के लोगों ने उन्हें ज्ञापन सौंपा गया था। जिसके बाद उन्होंने पत्र लिखा है।
आदिवासी समाज से नहीं हुआ चयन
सांसद सुमेर सिंह ने पत्र में बताया कि उच्च न्यायालय जबलपुर ने 17 नवंबर 2023 को व्यवहार न्यायाधीश भर्ती परीक्षा 2022 का विज्ञापन जारी किया। इसमें कुल पद 61 और बैकलाग पद 138 थे। जिसमें से आदिवासी वर्ग के लिए कुल पद 12 और बैकलॉग पद 109 पद चिह्नित थे। यानी 121 पदों के लिए हुई भर्ती परीक्षा में अनुसूचित जनजाति वर्ग से एक भी उम्मीदवार चयनित नहीं हुआ। परिणाम 10 मई को जारी किए गए थे।
सांसद सुमेर सिंह के प्रमुख सवाल और सुझाव
- सांसद सुमेर सिंह ने बताया, 2022 की व्यवहार न्यायाधीश चयन प्रक्रिया में कोई आदिवासी उम्मीदवार सिलेक्ट नहीं हुआ। ऐसे में 10 मई 2024 का परीक्षा परिणाम अवैधानिक है। इसमें पुनर्विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, 2024 की चयन प्रक्रिया में साक्षात्कार के न्यूनतम 40 प्रतिशत अंक (20 अंक) प्राप्त करना अनिवार्य है, लेकिन एससी-एसटी उम्मीदवारों को अधिकतम 19 अंक देकर चयन प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया।
- मुख्य परीक्षा की शर्तों के अनुसार, एससी-एसटी को हर प्रश्नपत्र में कम से कम 45 प्रतिशत और 4 प्रश्न पत्र में 50 प्रतिशत अंक हासिल करना जरूरी है। इसलिए न्यूनतम अंकों में शिथिलता दी जानी चाहिए।
- परीक्षा योग्यता नियमों के अनुसार, तीन या पांच वर्षीय पाठ्यक्रम में उत्कृष्ट शैक्षणिक कैरियर के साथ असाधारण विधि स्नातक हो तो नियमों में शिथिलता होनी चाहिए। इसके अलावा पहले प्रयास व पूरक परीक्षा दिए बिना आरक्षित कैटेगरी के उम्मीदवार को 50 प्रतिशत अंक लाने की अनिवार्यता शिथिल कर इंटरव्यू पैनल में आदिवासी वर्ग का प्रतिनिधित्व हो। ताकि, भेदभाव की आशंका को दूर हो सके।
- सांसद सुमेर सिंह ने बताया कि 2013 तक व्यवहार न्यायाधीश की चयन परीक्षा एमपीपीएससी द्वारा ली जाती थी, लेकिन अब उच्च न्यायालय द्वारा आयोजित की जा रही है। इसलिए इसे एमपीपीएससी से ही कराया जाए।