Bhopal News: सांची विवि में विशेष व्याख्यान आयोजित, डॉ. चौकसे ने कहा- जागरूकता ही रोक सकती है रैगिंग

special lecture in Sanchi University
X
special lecture in Sanchi University
डॉ. चौकसे ने बताया कि 2009 में सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान के बाद यूजीसी और एमसीआई जैसी संस्थानों ने शिक्षण संस्थानों के लिए एंटी रैगिंग कमेटी बनाया जाना अनिवार्य किया है।

भोपाल(संजीव सक्सेना)। मंगलवार को सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में जागरूकता और रैगिंग की रोकथाम विषय पर विशिष्ट व्याख्यान आयोजित किया गया। इस अवसर पर विदिशा के अटल बिहारी वाजपेयी शासकीय मेडिकल कॉलेज के फॉरेंसिक साइंस एंड टॉक्सिकोलॉजी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. विवेक चौकसे ने व्याख्यान दिया। डॉ. चौकसे ने कहा कि मेडिकल के पाठ्यक्रम की ही तरह सभी संस्थानों को अपने फाउंडेशन कोर्स में एंटी रैगिंग जागरूकता विषय को शामिल करना चाहिए। कहा की जागरूकता ही किसी भी शिक्षण संस्थान में रैगिंग की रोकथाम में सहायक हो सकती है। उन्होंने बताया कि मौखिक रूप से जूनियर छात्र से परिचय प्राप्त करना, लिखित रूप से अपने कार्य अथवा असाइनमेंट सौंपना, गाली देना, मारपीट करना, मानसिक प्रताडित करना, मारने के लिए हाथ उठाना, कोई कार्य कराना, इत्यादि रैगिंग की श्रेणी में आता है। डॉ. चौकसे ने बताया कि संस्थान की दीवार पर छात्र-छात्राओं का नाम लिखना भी रैगिंग की श्रेणी में आता है।

एंटी रैगिंग कमेटी अनिवार्य किया
डॉ. चौकसे ने बताया कि 2009 में सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान के बाद यूजीसी और एमसीआई जैसी संस्थानों ने शिक्षण संस्थानों के लिए एंटी रैगिंग कमेटी बनाया जाना अनिवार्य किया है। इसमें शिक्षक, कर्मचारी, छात्र, बाह्य सदस्य हो सकते हैं। संस्थान को अपने परिसर में एंटी रैगिंग कमेटी की जानकारी, उनका मोबाइल नंबर इत्यादि लिख कर प्रदर्शित किया जाना आवश्यक है।
यूजीसी के नियमों के अनुसार यदि कोई छात्र अपने जूनियर या सीनियर छात्र से भी रैगिंग करता है तो उसे सस्पेंड, संस्थान से निकाला जाना, आपराधिक मामला दर्ज कराया जाने की प्रक्रिया भी की जा सकती है।

परिचय प्राप्त करने का विकृत स्वरूप ही रैगिंग
विवि के कुलसचिव प्रो. अलकेश चतुर्वेदी ने कहा कि परिचय प्राप्त करने का विकृत स्वरूप ही रैगिंग है। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में तो नवागत का स्वागत मिष्ठान या उपहार से किया जाता है और भारतीय संस्कृति में रैगिंग की परंपरा नहीं है। विवि के छात्रों ने मुख्य वक्ता डॉ. चौकसे से एंटी रैगिंग संबंधी काफी सवाल भी पूछे। छात्रों को व्याख्यान के प्रारंभ में दो छोटी डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गईं जिससे वो रैगिंग के घृणित पक्ष से अवगत हो सकें।

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo
Next Story