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Hemant Soren land grab case: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर रांची में 31 करोड़ रुपए मूल्य की जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाया। अपने आरोपों को साबित करने के लिए ईडी ने कोर्ट में फ्रीज और एक स्मार्ट टीवी का बिल पेश किया।

Hemant Soren land grab case: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर रांची में 31 करोड़ रुपए मूल्य की जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाया। ईडी ने विशेष पीएमएलए कोर्ट से कहा कि हेमंत सोरेन ने 8.86 एकड़ जमीन पर कब्जा किया था। अपने आरोपों को साबित करने के लिए ईडी ने कोर्ट में फ्रीज और एक स्मार्ट टीवी का बिल पेश किया। एजेंसी ने यह बिल रांची के दो डीलराें से हासिल किया था और उन्हें इस मामले की चार्जशीट में जोड़ा था। इस मामले पर रांची के पीएमएलए कोर्ट के जज राजीव रंजन ने सुनवाई की थी। 

हेमंत सोरेन के दावों का किया गया खंडन
हेमंत सोरेन के सरकारी आवास पर इस साल 31 जनवरी को ईडी अधिकारियों की टीम ने छापेमारी की थी। करीब 10 घंटे तक पूछताछ और जांच के बाद ईडी अफसरों ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया था। ईडी के अफसरों ने कोर्ट को बताया कि जिस फ्रीज और टीवी का बिल चार्जशीट में अटैच किया गया है वह दोनों संतोष मुंडा के परिवार के लोगों के नाम पर खरीदे गए थे। संतोष मुंडा ने जांच अधिकारियों को बताया कि यह संपत्ति हेमंत सोरेने की है, और वह इसकी देखभाल कर रहा है।  जबकि हेमंत सोरेन ने कहा था कि उनका इस जमीन से कोई लेना देना नहीं है। हेमंत सोरेन के दावों को गलत बताने के लिए अफसरों ने कोर्ट में संतोष मुंडा का बयान पेश किया।

राजकुमार पाहन को बताया सोरेन का मददगार
इस सरकारी जमीन पर दावेदारी पेश करने वाले राजकुमार पाहन को जांच एजेंसी ने हेमंत सोरेन का मुखौटा करा दिया। ईडी ने कोर्ट को बताया कि बीते साल अगस्त में सोरेन को इस मामले में पहला समन जारी किया गया था। इसके कुछ ही दिन बाद पाहन ने जमीन पर दावेदारी पेश की थी। पाहन ने रांची के उपायुक्त को चिट्ठी लिखी थी। दावा किया था कि वह खुद और कुछ अन्य लोग इस जमीन के असली मालिक हैं। इसलिए दूसरे लोगों के नाम पर पहल हुए म्यूटेशन रद्द कर दिया जाए और मेरी संपत्ति मुझे वापस दिलाई जाए।  ईडी ने राज्य सरकार पर सोरेन की गिरफ्तारी से ठीक पहले संपत्ति पर अपना नियंत्रण बनाए रखने के लिए पाहन को जमीन आवंटित करने का आरोप लगाया है। ईडी के दावों के अनुसार, इस कदम ने कथित तौर पर झामुमो नेता के लिए निर्बाध कब्ज़ा सुनिश्चित किया।

'भुइंहारी' संपत्तियों का मालिकाना हक ट्रांसफर नहीं होता
ईडी के अनुसार, विचाराधीन भूमि मूल रूप से 'भुइंहारी' संपत्ति के रूप में जानी जाने वाली श्रेणी की थी, जिसे सामान्य परिस्थितियों में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है। इसका स्वामित्व 'मुंडा' और 'पाहन' के पास था। एजेंसी का आरोप है कि मूल आवंटियों द्वारा दूसरों को बेच दिए जाने के बाद सोरेन ने 2010-11 में जमीन पर कब्जा कर लिया।  ईडी के मुताबिक, संतोष मुंडा ने सोरेन के निर्देशों के तहत संपत्ति के देखभालकर्ता के रूप में काम किया। मुंडा ने बताया कि सोरेन और उनकी पत्नी ने कई बार जमीन का दौरा किया। मुंडा ने जमीन की चारदीवारी के निर्माण के दौरान एक मजदूर के रूप में भी काम किया।

ईडी ने कोर्ट में पेश की 191 पन्नों की चार्जशीट
एजेंसी का दावा है कि उसके पास सबूत हैं, जिसमें संपत्ति के पते पर खरीदे गए एक रेफ्रिजरेटर और एक स्मार्ट टीवी के बिल भी शामिल हैं, जो दर्शाता है कि श्री मुंडा और उनका परिवार वहां रहता था। ईडी का आरोप है कि पाहन ने संपत्ति के वास्तविक स्वामित्व को छुपाने के लिए सोरेन के लिए एक सहयोगी के रूप में काम किया। 191 पन्नों की चार्जशीट में हेमंत सोरेन, राजकुमार पाहन, हिलारियास कच्छप, भानु प्रताप प्रसाद और बिनोद सिंह को आरोपी बनाया गया है। ईडी ने ₹31.07 करोड़ से अधिक कीमत की जमीन कुर्क कर ली है और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मुकदमा चलाने की मांग की है। यह मामला रांची में रक्षा मंत्रालय की जमीन के फर्जी अधिग्रहण से जुड़े एक अन्य मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के दौरान सामने आया।

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