सोनीपत में बढ़ाया नियंत्रित क्षेत्र: 17 गांवों को किया शामिल, एनओसी नहीं बल्कि सीएलयू लेकर ही करना होगा निर्माण

Sonipat: शहर में नियंत्रित क्षेत्र का विस्तार किया गया है। नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग ने इसके लिए बकायदा गजट जारी किया है, जिसके तहत जिले के 17 गांवों को नियंत्रित क्षेत्र में शामिल किया गया है। इसका सीधा सा असर इस क्षेत्र में होने वाले अवैध निर्माण पर पड़ेगा, क्योंकि अभी तक इस क्षेत्र में निर्माण कार्य के लिये सिर्फ एनओसी ही जरूरी होती थी। हालांकि बहुत कम लोग ही एनओसी लेते थे और चोरी-छिपे निर्माण कार्य करते थे। वहीं अब नियंत्रित क्षेत्र में आने के बाद से इन क्षेत्रों में निर्माण कार्य के लिये सीएलयू लेना होगा। जिसके लिए सरकार को फीस जमा करनी होगी।
अवैध प्लॉट काटने पर लगेगा ब्रेक
बता दें कि शहर के आसपास के गांवों में बिना अनुमति कॉलोनी काटने और अन्य निर्माण किए जाने के मामले बढ़ने लगे थे। जिसके बाद तत्कालीन उपायुक्त श्यामलाल पूनिया ने वर्ष 2021 में जिले के विभिन्न गांवों में दौरा किया था। इसके बाद प्रशासन ने अवैध निर्माण पर शिकंजा कसने के लिए 25 गांवों की जमीन को कंट्रोल एरिया में शामिल करने को सूची तैयार कर सरकार को भेजी थी। अब सरकार ने 17 गांवों में नियंत्रित क्षेत्र का विस्तार करने की मंजूरी दी है। अब उन 17 गांवों में कोई भी निर्माण कार्य करने के लिए सरकार से सीएलयू लेना होगा। साथ ही विकास शुल्क भी देना पड़ेगा और नक्शा भी पास कराना होगा।
इन गांवों को किया गया नियंत्रित क्षेत्र में शामिल
नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग ने गांव बड़वासनी, हुल्लाहेड़ी, बागडू, किलोहड़द, महलाना, ताजपुर तिहाड़ खुर्द, हसनयारपुर तिहाड़ कलां, ककरोई, रोहट, भदाना, खिजरपुर जटमाजरा, भठगांव डूंगरान, भठगांव माल्यान, करेवड़ी, बादशाहपुर माच्छरी, जाजी व जुआं तक नियंत्रित क्षेत्र बढ़ाया गया है। इन क्षेत्रों में एक एकड़ से कम भूमि की रजिस्ट्री अब तभी होगी, जब डीटीपी एनओसी देंगे। यदि अवैध कॉलोनी में प्लॉटिंग हो रही है तो डीटीपी एनओसी जारी नहीं करेंगे। एनओसी ऑनलाइन ही लेनी होगी, जिसके लिए जमीन की पूरी डिटेल देनी होगी।
अभी तक एनओसी से चलता था काम
जिन गांवों की जमीन नियंत्रित क्षेत्र से बाहर हैं, वहां कोई भी निर्माण कार्य करने के लिए केवल डीटीपी के यहां प्रार्थना पत्र देकर एनओसी लेनी होती है। अब नियंत्रित क्षेत्र में शामिल गांवों में किसी भी तरह का निर्माण कार्य करने के लिए सबसे पहले सीएलयू लेना होगा और उसके लिए सरकार को फीस देनी होगी। इसके अलावा जमीन के आधार पर डेवलपमेंट चार्ज देने होंगे तो नक्शा भी पास कराना होगा। इससे वहां कोई प्लॉट लेगा तो उसे सीवर, सड़क, पेयजल की सभी सुविधाएं मिल सकेंगी। जिला नगर योजनाकार नरेश कुमार ने बताया कि मुख्यालय की ओर से जिले में नियंत्रित क्षेत्र का विस्तार किया गया है। इस क्षेत्र में 17 गांवों की जमीन को शामिल किया गया है। इन गांवों में कोई भी निर्माण करने के लिए विभाग से मंजूरी लेना जरूरी होगा।
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