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डेरा सच्चा सौदा के प्रबंधक रणजीत सिंह की 10 जुलाई 2002 को हत्या हुई थी। इस मामले में डेरा मुखी राम रहीम समेत पांचों को सीबीआई कोर्ट ने दोषी पाया था, लेकिन अब हाईकोर्ट ने इस आदेश को बदल दिया है। पढ़िये इस फैसले के पीछे की वजह...

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने आज डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को रणजीत सिंह मर्डर केस में बरी कर दिया है। यही नहीं, राम रहीम समेत पांचों आरोपियों को भी बरी किया गया है। हाईकोर्ट ने इस आधार पर पांचों को बरी किया है, क्योंकि कई सबूतों को पेश करने में सीबीआई नाकाम रही है। हालांकि बरी होने के बावजूद डेरा प्रमुख अभी भी सलाखों के पीछे ही रहेंगे क्योंकि अन्य मामलों में अभी भी दोषी हैं।

2002 में हुई थी रणजीत सिंह की हत्या

डेरा सच्चा सौदा के प्रबंधक रणजीत सिंह की 10 जुलाई 2002 को हत्या हुई थी। पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की, लेकिन एक साल बाद यानी 2023 में रणजीत सिंह के बेटे जगसीर सिंह ने जनवरी 2003 में पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले की जांच सीबीआई से कराने का आग्रह किया। इसके बाद सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की। 19 साल बाद सीबीआई कोर्ट ने 2021 में राम रहीम समेत पांच आरोपियों को इस मामले में दोषी करार देकर आजीवन कारावास की सजा सुना दी। इसके बाद डेरा सच्चा सौदा की ओर से इस सजा को चुनौती दी गई, जिसके बाद आज फैसला सुनाते हुए पंजाब हरियाणा कोर्ट ने राम रहीम समेत पांचों आरोपियों को बरी कर दिया है।

किसने की रणजीत सिंह की हत्या

मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि डेरा अनुयायियों को शक था कि रणजीत सिंह ने अपनी बहन से ऐसी चिट्ठी लिखवाई, जिसमें साध्वी से यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था। सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने अपने संध्या कालीन समाचार पत्र 'पूरा सच' में इस चिट्ठी का जिक्र कर खबर लिखी। सीबीआई ने मामले की जांच कर जो चार्जशीट फाइल की, उसमें डेरा प्रमुख को हत्याकांड का मुख्य आरोपी बताया था।

यही नहीं कई सबूतों की बात कही, जिसके बाद सीबीआई कोर्ट ने 2021 में राम रहीम समेत पांचों आरोपियों को आजीवान कारावास की सजा सुना दी। लेकिन, अब हाईकोर्ट ने सीबीआई कोर्ट का फैसला पूरी तरह से पलट दिया है। हाईकोर्ट ने इसके पीछे की वजह भी बताई है।

राम रहीम के बरी होने की वजह क्या

मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से बचाव पक्ष की ओर से बताया गया है कि पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि सीबीआई की जांच में कई खामियां रही हैं। सीबीआई ने दावा किया था कि रणजीत सिंह की हत्या में 455 बोर पिस्टल इस्तेमाल हुई थी, बाद में पाया गया कि वह पिस्टल 1999 में मोगा पुलिस को सुपुर्द कर दी गई थी। मतलब रणजीत सिंह की हत्या इसके बाद हुई थी।

वहीं, सीबीआई हत्याकांड में इस्तेमाल कार को भी बरामद नहीं कर सकी। इसके अलावा, हत्याकांड के चश्मदीद गवाह सुखदेव सिंह और जोगिंद्रर सिंह के बयानों में भी अंतर पाया गया। बचाव पक्ष ने यह भी दलील दी कि रणजीत सिंह के पिता जोगिंदर सिंह ने हत्या का आरोप गांव के सरपंच पर लगाया था, बाद में डेरा प्रमुख का नाम घसीट दिया गया। इन सब कारणों के चलते न केवल राम रहीम को बल्कि अन्य चारों को भी बरी कर दिया है।

वकीलों ने कही ये बात

गुरमीत राम रहीम के वकील जतिंदर खुराना का कहना है कि माननीय पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने निचली अदालत का आदेश बदल िदया है। इसमें शामिल सभी पांच लोगों को बरी किया गया है। हम इस फैसला का स्वागत करते हैं। उधर, आरोपी सबदिल के वकील महेंद्र जोशी का कहना है कि रणजीत सिंह के पिता ने ग्राम सरपंच पर हत्या का आरोप लगाया था। यह पूरा मामला संदिग्ध था, लेकिन सबदिल 14 साल से जेल में है। अब हाईकोर्ट से उसे न्याय मिला है।

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