नारनौल में खुलेगा प्रदेश का पहला प्रधानमंत्री दिव्याशा केंद्र: सहायक उपकरणों व कृत्रित अंगों की होगी मुफ्त रिपेयरिंग, एलिम्को के साथ एमओयू

DC Monica Gupta holding a meeting with ELIMCO officials in Narnaul.
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नारनौल में एलिम्को के अधिकारियों के साथ बैठक करती डीसी मोनिका गुप्ता।
नारनौल में उपायुक्त मोनिका गुप्ता ने प्रधानमंत्री दिव्याशा केंद्र खोलने के लिए एलिम्को के अधिकारियों के साथ बैठक कर एमओयू साइन किया।

Narnaul: सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत भारत सरकार के उपक्रम एलिम्को की पहल पर प्रदेश का पहला प्रधानमंत्री दिव्याशा केंद्र (पीएमडीके) महेंद्रगढ़ जिले में खुलने जा रहा है। इसके लिए उपायुक्त मोनिका गुप्ता ने एलिम्को के अधिकारियों के साथ बैठक करके जिला रेड क्रॉस समिति की अध्यक्ष होने के नाते एमओयू साइन किया। डीसी ने बताया कि प्रधानमंत्री दिव्याशा केंद्र खोलने का उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग लोगों को सहायक उपकरण व कृत्रिम अंग उपलब्ध कराना है।

दिव्यांगों को कृत्रिम अंग उपलब्ध करवाना जरूरी

उपायुक्त मोनिका ने बताया कि दिव्यांग व्यक्तियों का सामाजिक, आर्थिक और व्यावसायिक पुनर्वास के लिए सहायक उपकरण व कृत्रिम अंग उपलब्ध करवाना जरूरी है। सरकार इस दिशा में निरंतर प्रयास कर रही है। सरकार की एडीआईपी योजना के तहत पात्र दिव्यांगों (4 प्रमुख दिव्यांगताओं अर्थात अस्थि विकलांगता, श्रवण विकलांगता, दृष्टि विकलांगता और बौद्धिक विकलांगता को कवर करते हुए) को सहायता और सहायक उपकरणों का निःशुल्क वितरण करती है। इनमें ट्राइसाइकिल, व्हीलचेयर, बैसाखी, श्रवण यंत्र, स्मार्ट फोन आदि जैसे उपकरण शामिल हैं।

दिव्यांगों को मिलने वाले उपकरणों में आ जाती है खराबी

डीसी मोनिका ने बताया कि सहायक उपकरण वितरित करने के बाद यह महसूस किया गया कि कई दिव्यांग जनों को कुछ वर्ष बाद ट्राइसाइकिल व व्हीलचेयर जैसे उपकरणों में कुछ खराबी आने लगती है। ऐसे में दिव्यांगजनों के लिए इस तरह के उपकरणों को रिपेयर करने के लिए यह केंद्र खोला जाना बहुत ही जरूरी है। अब केंद्र पर दिव्यांगजन के लिए मुफ्त में सहायक उपकरणों की रिपेयरिंग की जाएगी।

रेडक्रॉस सोसाइटी में दिव्यांगों का होता है पंजीकरण

उपायुक्त ने बताया कि जिला रेड क्रॉस सोसाइटी की ओर से पूरे साल दिव्यांग जनों के लिए सहायक उपकरण व कृत्रिम अंग के लिए पंजीकरण किया जाता है। इसके बाद साल भर में कैंप लगाकर यह वितरित किए जाते हैं। अब इस व्यवस्था को खत्म करते हुए पात्र नागरिकों को पंजीकृत करते ही सहायक उपकरण व कृत्रिम अंग मौके पर ही मुहैया करवाए जाएंगे। इसके लिए अब दिव्यांगजनों को लंबा इंतजार भी नहीं करना पड़ेगा।

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