विधानसभा चुनावों पर सत्ता पक्ष की निगाह: भाजपा में दावेदारों की फौज, किरण की इंट्री से कईयों को मिल सकती है कड़वी डोज

MLA Ghanshyam Sarraf. District President Mukesh Gaur. Former MLA Dr. Shiv Shankar Bhardwaj. Former M
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विधायक घनश्याम सर्राफ। जिला अध्यक्ष मुकेश गौड़। पूर्व विधायक डॉ. शिव शंकर भारद्वाज। पूर्व मंत्री डॉ. वासुदेव शर्मा।
भिवानी में विधानसभा चुनावों की तैयारियों ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया। टिकट के दावेदारों की लंबी लाइन लगी हुई है, जिसके कारण भाजपा व कांग्रेस दोनों को ही परेशानी होगी।

Bhiwani: लोकसभा चुनावों के बाद अब सत्ताधारी व विपक्षी पार्टियों की निगाह विधानसभा चुनावों पर लग गई है। लोकसभा चुनावों में जिस हलके से जिस पार्टी को बढ़त मिली है। उस हलके में उसी पार्टी की टिकट के दावेदारों की लाइन लंबी होने लगी है। प्रदेश की उस सीट की बात कर रहे है, जिसने प्रदेश को दो-दो सीएम दिए, वह सीट भिवानी की है। साथ ही भाजपा के बुरे दिनों में विधानसभा में प्रतिनिधितत्व कराने वाली सीट कहे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। साथ ही लोकसभा चुनावों में भाजपा को 28800 की बढ़त दिलाने वाली भिवानी विधानसभा से टिकट की चाहत रखने वाले दावेदारों की फौजी खड़ी हो गई है।

घनश्याम सर्राफ की दावेदारी का नहीं मिल रहा तोड़

तीन बार के विधायक घनश्याम सर्राफ के लोकसभा चुनाव में लगाए गए मास्टर स्ट्रोक का तोड़ कम दावेदारों के पास है, लेकिन फिलहाल आधा दर्जन के आसपास दावेदारों की सशक्त फौज है। सशक्त दावेदार घनश्याम सर्राफ है और वे तीन बार से भिवानी के विधायक व संघ में मजबूत पकड़ टिकट की दावेदारी को ओर मजबूती दे रही है। उनके बाद भाजपा के जिला अध्यक्ष मुकेश गौड़ भी मजबूत है। इनकी शीर्ष नेतृत्व का विश्वास और पार्टी में मजबूत पकड़ है। इनके अलावा श्याम सुंदर सनातनी, किरण चौधरी के साथ भाजपा में शामिल हुए नेता भी दावेदारी जताने में पीछे नहीं रहेंगे। खैर वह बात अलग है कि पार्टी संगठन किस-किस के नाम टिकटों के पैनल में भेजता है।

किरण की इंट्री से बदलेंगे टिकटों के समीकरण

कांग्रेस छोड़कर भाजपा में इंट्री करने वाली तोशाम की विधायक किरण चौधरी की वजह से भिवानी विधानसभा ही नहीं बल्कि तोशाम व चरखी दादरी में टिकटों के समीकरण बदलने वाले है। क्योंकि इन तीन जगहों पर किरण चौधरी पूर्व सीएम बंसीलाल के समर्थकों की वजह से अच्छी खासी मजबूत है। अब देखना ये है कि भाजपा इनको भिवानी, चरखी दादरी या तोशाम में से किस जगह से विधानसभा की जिम्मेदारी दे सकती है। यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन इन तीनों जगहों में से किसी एक पर टिकट दी गई तो दावेदारों को कड़वा घूंट पीना पड़ेगा।

हुड्डा गुट के नेताओं के बीच रहेगी टिकटों के लिए मारामारी

भिवानी विधानसभा में पहली बार कांग्रेस के हुड्डा गुट की पैठ बनी है। हालांकि लोकसभा चुनावों में भिवानी विधानसभा से कांग्रेस का वोट प्रतिशत तो बढ़ा, लेकिन कांग्रेस कंडिडेट जीत नहीं पाया। उसके बावजूद कांग्रेस पार्टी उत्साहित है। उत्साह का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विधानसभा की चुनावी तिथि घोषित नहीं हुई, लेकिन चार दावेदारों ने तो अपने अभियान भी शुरू कर दिए। जनता के बीच नब्ज टटोलना आरंभ कर दिया। इनमें पूर्व विधायक डॉ. शिवशंकर भारद्वाज, डॉ. वासुदेव शर्मा, अभिजीत लाल सिंह व धीरज सिंह शामिल है। बनिया बिरादरी से अभी तक कोई खास चेहरा जनसम्पर्क अभियान में नहीं जुटा है। ये सभी हुड्डा खेमें से है। कांग्रेस किसी नए समाजसेवी एवं अनुभवी युवा ब्रह्मण चेहरे या बनिया पर भी दांव खेल सकती है।

भाजपा-कांग्रेस में ही रहेगी कांटे की टक्कर

अभी तक जो समीकरण बन रहे है, उससे तो लगता है कि भिवानी विधानसभा में केवल भाजपा व कांग्रेस के उम्मीदवारों के बीच टक्कर रहेगी। हालांकि इनके अलावा अन्य दल भी अपनी-अपनी स्थिति मजबूत होने के दावे कर रहे है, लेकिन फिलहाल सभी दलों की बजाए भाजपा व कांग्रेस के बीच ही सीधी टक्कर बनने के आसार है। क्योंकि भाजपा वर्ष 2009 से लगातार जीत का परचम फहरा रही है और विगत में हुए लोकसभा चुनावों में भी भिवानी विधानसभा ने सांसद धर्मबीर सिंह को अच्छी खासी लीड दी है। वहीं कांग्रेस का लोकसभा चुनावों में वोट बैंक बढ़ा है, जिससे वह उत्साहित है और पार्टी की मजबूती के लिए अभियान चलाए हुए है।

टिकट से वंचित कंडिडेट पर खेल सकती है दांव

जिन नेताओं को चुनावी खुमार चढ़ा हुआ है, वे हर परिस्थिति में चुनाव लड़ेंगे, उनको चाहे किसी राष्ट्रीय पार्टी से टिकट न मिले। फिलहाल भाजपा व कांग्रेस में टिकट के दावेदारों की भरमार है। टिकट केवल एक-एक कंडिडेट को ही मिलनी है। बाकी दावेदारों को टिकट मिलना संभव ही नहीं है। ऐसे में जिनको टिकट नहीं मिली तो वे अपनी चुनावी जमीन तलाशेंगे। उनके लिए विकल्प के तौर पर आप, जजपा, इनेलो व बसपा के दरवाजे खुले रहेंगे।

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