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हरियाणा में भाजपा ने मंगलवार को अचानक प्रदेश में सत्ता परिर्वतन करते हुए मनोहर की जगह नायब सैनी को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाकर सभी को चौंका दिया। इससे प्रदेश में भाजपा का होने वाले नफे नुकसान की झलक लोकसभा व पिक्चर विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेगी।

मोहन भारद्वाज, रोहतक। लोकसभा चुनावों की घोषणा से पहले भाजपा ने हरियाणा में सत्ता परिवर्तन कर सभी को चौंकाते हुए मनोहर की जगह नायब सिंह सैनी को प्रदेश की कमान सौंप दी। भाजपा नेतृत्व के इस फैसले से प्रदेश में बदले सियासी समीकरण से भाजपा को होने वाले नफे नुकसान का ट्रेलर भले ही लोकसभा और पूरी पिक्कर विधानसभा चुनाव के बाद ही देखने को मिलेगी। जजपा से गठंबधन तोड़कर तथा नायब सैनी को प्रदेश भाजपा का चेहरा बनाकर भाजपा ने एक साथ कई निशाने साधने का प्रयास किया है। भाजपा के इस फैसले से लोकसभा चुनावों को लेकर सियासी पंडितों द्वारा प्रदेश में बनाए जा रहे राजनीतिक समीकरणों को भी डांवाडोल कर दिया है।

सोमवार को पीएम मोदी के साथ सांझा किया था मंच 

मनोहर लाल ने सोमवार को द्वारका एक्सप्रेस वे के उद्घाटन पर गुरुग्राम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ न केवल मंच सांझा किया था, बल्कि प्रधानमंत्री ने मनोहर के साथ अपने पुराने अनुभवों को सांझा करने के साथ उनके नेतृत्व की भी तारीफ की थी। मंगलवार सुबह मंत्रीमंडल के साथ मनोहर लाल के त्यागपत्र और दोपहर तक मुख्यमंत्री के रूप में नायब सैनी का नाम आने से प्रदेश का पूरा राजनीतिक परिदृश्य ही बदल गया। इससे पहले भाजपा मध्यप्रदेश राजस्थान व छतीसगढ़ में शिवराज चौहान, वसुंधरा राजे व रमन सिंह की जगह मोहन लाल यादव, भजन लाल शर्मा व विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाकर सभी को चौका चुकी है। हरियाणा में भाजपा के इस नए दांव का प्रदेश की राजनीति पर कितना व कैसा प्रभाव पड़ेगा इसकी पूरी तस्वीर भले ही इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद सामने आए, परंतु विस से पहले होने वाले लोकसभा चुनावों में इसकी झलक देखने को मिल जाएगी।

कांग्रेस को रास नहीं आया था प्रयोग

भाजपा गुजरात सहित कुछ राज्यों में इससे पहले भी ऐसे प्रयोग कर चुकी है। गुजरात में मुख्यमंत्री फेस के बाद पूरे मंत्रीमंडल का चेहरा बदलने के बाद भी भाजपा पुन बहुमत के साथ सत्ता हासिल कर चुकी है। हालांकि भाजपा की तर्ज पर कांग्रेस का पंजाब में यह प्रयोग सफल नहीं हो पाया। कांग्रेस ने चुनाव से पहले अरमिंद्र सिंह को हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम पद की कमान सौंपकर दांव खेला था, जिसके बाद पंजाब में कांग्रेस का लगभग सफाया हो गया तथा प्रदेश की सत्ता आप के भंगवत मान के हाथों में चली गई।

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