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हरियाणा के रेवाड़ी में एक महिला ने अपने दो बच्चों के साथ सल्फास की गोली खा ली। परिजनों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया, जहां मां बेटी की मौत हो गई, जबकि बेटे ने गुरुग्राम के निजी अस्पताल में दम तोड़ दिया। पुलिस ने तीनों शवों का पोस्टमार्टम करवा परिजनों को सौंप दिया।

Rewari: सनसनीखेज घटनाक्रम के तहत सोमवार देर सायं राव तुलाराम विहार कॉलोनी में एक महिला ने अपने दो बच्चों के साथ जहर खा लिया। मां-बेटी की एक प्राइवेट अस्पताल में मौत हो गई, जबकि बेटे ने गुरुग्राम के प्राइवेट अस्पताल में दम तोड़ दिया। मृतका के पति ने करीब दो माह पूर्व ही फांसी लगाकर जान दे दी थी। उसके बाद से ही महिला व दोनों बच्चे डिप्रेशन (तनाव) का शिकार थे। पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया। पुलिस आत्महत्या के कारणों की जांच कर रही है।

सल्फास की गोलियां खाकर की आत्महत्या

राव तुलाराम विहार कॉलोनी में रहने वाली कृष्णा देवी ने बताया कि वह घर का सामान लेने के लिए बाजार गई थी। जब वह घर लौटी तो उसकी पुत्रवधु करीब 40 वर्षीय अनिल देवी, पौती 18 वर्षीय स्वीटी व पौता 12 वर्षीय रिषभ उल्टियां कर रहे थे। स्वीटी ने अपनी दादी को बताया कि तीनों ने सल्फास की गोलियां खा ली हैं। कृष्णा देवी ने पड़ोस के लोगों की मदद से तीनों को एक प्राइवेट अस्पताल में पहुंचाया। अनिल देवी और उसकी बेटी ने शहर के ही अस्पताल में दम तोड़ दिया। जबकि पौते रिषभ को पीजीआई रोहतक रेफर किया गया, लेकिन उसे गुरुग्राम के एक प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया। वहां उपचार के दौरान उसकी भी मौत हो गई। सूचना मिलने के बाद थाना रामपुरा पुलिस ने तीनों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम करवा दिया। पुलिस आत्महत्या के कारणों की जांच कर रही है।

पति की मौत के बाद चल रही थी परेशान

मृतका अनिल देवी का पति अमित मर्चेंट नेवी से रिटायर होने के बाद गुरुग्राम में एक कंपनी में नौकरी करता था। गत 6 जनवरी को उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। आत्महत्या के कारणों का पता नहीं चल पाया। परिजनों के अनुसार पति की मौत के बाद अनिल देवी व उसके बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो गए थे। वह अक्सर अमित के पास जाने की बात कहते थे, लेकिन किसी ने उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया।

रोहतक से आकर बसाया था परिवार

अमित की मां कृष्णा देवी मूल रूप से रोहतक के मायना गांव की रहने वाली है। वह स्वास्थ्य विभाग में नर्स थी। जिले में पोस्टिंग होने के बाद उसने तुलाराम विहार में ही अपना मकान बना लिया था। बेटे को पढ़ा-लिखाकर मर्चेंट नेवी में भर्ती कराया। पहले बेटे और बाद में उसके परिवार के तीन सदस्यों के जाने से वृद्धा पर दुखों का पहाड़ टूट चुका है। वृद्धा यह समझ नहीं पा रही है कि आखिर उसके साथ ऐसा कैसे हो गया।

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