गुरुग्राम लोकसभा: नए चेहरे से रहेगा राव को खतरा, 90 के दशक में सुधा ने बदले थे समीकरण, थाली में परोसी जीत बदल गई हार

Rao Inderjit Singh. Sudha Yadav. Captain Ajay Singh Yadav
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राव इन्द्रजीत सिंह। सुधा यादव। कैप्टन अजय सिंह यादव। 
गुरुग्राम से लोकसभा प्रत्याशी राव इंद्रजीत सिंह को पुराने चेहरों की बजाय नए चेहरे ने ही मात दी है। कांग्रेस प्रत्याशियों की घोषणा पर राव और उनकी टीम की नजरें टिकी।

Narendra Vats, Rewari: पांच बार सांसद बन चुके गुरुग्राम से लोकसभा प्रत्याशी राव इंद्रजीत सिंह के पिछले रिकॉर्ड को देखा जाए, तो उन्हें पुराने चेहरों की बजाय नए चेहरे ने ही मात दी थी। किसी पुरूष प्रत्याशी ने उन्हें लोकसभा चुनावों में अभी तक मात नहीं दी। महिला प्रत्याशी डॉ. सुधा यादव ने पहले ही चुनाव में राव को थाली में परोसी हुई मानी जाने वाली सीट मतों के बड़े अंतर से छीन ली थी। कांग्रेस की ओर से होने वाली प्रत्याशियों की घोषणा पर राव और उनकी टीम की नजरें टिकी हुई हैं।

1999 में डॉ. सुधा यादव ने महेंद्रगढ़ सीट को जीता

वर्ष 1999 में राजनीति के मैदान में नौसिखिया मानी जाने वाली भाजपा नेत्री डॉ. सुधा यादव को महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र से राव के मुकाबले में मैदान में उतारा गया था। उस समय यह जबदरस्त चर्चा चली कि भाजपा ने कांग्रेस को यह सीट थाली में परोसकर दे दी है। खुद राव उस चुनाव में अपनी जीत आसान मानकर चल रहे थे। डॉ. सुधा यादव ने राव को बड़ा झटका देते हुए 1.39 लाख मतों से शिकस्त देने का काम किया। थाली में परोसी गई जीत का जिक्र खुद राव की जुबान पर आज भी आ जाता है। लोकसभा चुनावों में राव को किसी पुरूष प्रत्याशी से हार का सामना नहीं करना पड़ा। इस बार अगर वह जीत दर्ज करते हैं, तो प्रदेश से छठी बार संसद पहुंचने वाले वह प्रदेश के अकेले नेता होंगे। राव समर्थकों को इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के नाम की घोषणा का बेसब्री से इंतजार है।

गर्मी में मतदान प्रतिशत घटने की आशंका

राव को इस सीट पर बढ़े हुए मतदान प्रतिशत का फायदा मिलता रहा है। मई माह में भारी गर्मी के कारण मतदान प्रतिशत में कमी आ सकती है, जो चुनाव परिणाम पर असर डालने का काम भी कर सकती है। नया लोकसभा क्षेत्र बनने के बाद वर्ष 2009 में वोटर टर्नआउट 60.77 रहा था। वर्ष 2014 में मोदी लहर की शुरूआत ने मतदान प्रतिशत 71.58 कर दिया था। गत लोकसभा चुनावों में यह 67.33 फीसदी पर आ गया था।

प्रत्याशी सामने नहीं होने का भी संकट

भाजपा ने अपने सभी प्रत्याशियों का नाम कई दिन पहले फाइनल कर दिया था, परंतु कांग्रेस अभी तक नाम फाइनल नहीं कर सकी। भाजपा के सामने क्षेत्रीय दलों की तुलना में कांग्रेस ही टक्कर देती नजर आ रही है। प्रत्याशियों के नाम फाइनल नहीं होने के कारण अभी तक भाजपा प्रत्याशियों को अपना प्रचार प्रभावी तरीके से शुरू करने में दिक्कतें आ रही हैं। मैदान में सामने विरोधी नहीं होने के कारण प्रचार जोर नहीं पकड़ पा रहा है।

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