Government Schools में एडमिशन बढ़ाने की कवायद तेज: डोर टू डोर दस्तक देकर गुरुजी गिनवा रहे उपलब्धियां

Rajesh Kharb motivating villagers to enroll their children in government schools
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सरकारी स्कूल में बच्चों का दाखिला करवाने के लिए ग्रामीणों को प्रेरित करते राजेश खर्ब।   
जींद में सरकारी स्कूलों में दाखिले बढ़ाने के लिए शिक्षकों ने कवायद शुरू कर दी। शिक्षक घर-घर जाकर दस्तक देकर सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।

Jind: सरकारी स्कूलों में एडमिशन बढ़ाने की कवायद सरकारी स्कूल के अध्यापकों ने तेज कर दी है। स्कूल के अध्यापक डोर टू डोर दस्तक देकर लोगों को उनके बच्चों के दाखिले सरकारी स्कूलों में करवाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसके अलावा लोगों को सरकारी स्कूलों में मिलने वाली सुविधाओं और स्कूलों की उपलब्धियों के बारे में अवगत करवाया जा रहा है। शिक्षा विभाग की तरफ से सभी स्कूल मुख्यिाओं को छात्रों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए है।

घर-घर जाकर दस्तक दे रहे गुरुजी

राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ की टीम सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ाने के लिए घर-घर जाकर नामांकन के लिए दस्तक दे रहे हैं, ताकि प्रदेश का कोई भी बच्चा शिक्षा के अधिकार से वंचित न रहे। जींद के किशनपुरा गांव में अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रतिनिधि राजेश खर्ब के साथ खंड प्रधान देवी दयाल चहल ने संयुक्त रूप से बताया कि विभाग का उद्देश्य समाज के प्रत्येक आखिरी कोने पर बैठे बच्चे तक निशुल्क गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा पहुंचाना है। क्योंकि शिक्षा ही वह साधन है जो समाज को भय, भूख, भ्रष्टाचार और गरीबी से मुक्ति दिलाकर आत्म निर्भरता की ओर ले जाता है।

हर वर्ष सरकारी स्कूलों की तरफ से चलाया जाता है अभियान

गौरतलब है कि सरकारी स्कूलों में अधिक से अधिक दाखिले के लिए अध्यापकों द्वारा हर वर्ष अभियान चलाया जाता है। इस अभियान के कई गांवों में सकारात्मक परिणाम भी सामने आते हैं और सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ती है। जींद के किशनपुरा गांव में अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रतिनिधि राजेश खर्ब के अनुसार संघ के सदस्य प्रत्येक गांव में डोर टू डोर जाकर ग्रामीणों से संपर्क साध रहे हैं। बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूल में करवाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इसके अलावा ग्रामीणों को सरकारी स्कूलों में मिलने वाली सुविधाओं के बारे में बताया जा रहा है। ग्रामीणों को जागरूक होने की जरूरत है, क्योंकि सरकारी स्कूलों में जो स्टाफ है वह निपुण है।

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