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हरियाणा में लोकसभा चुनावों के बीच जननायक जनता पार्टी को दो बड़े झटके लगे हैं। पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सरदार निशान सिंह व नारनौल नगर परिषद की चयरपर्सन एवं पार्टी की राष्ट्रीय कमलेश सैनी ने पार्टी को अलविदा कह दिया है। कमलेश सैनी के भाजपा तो निशान सिंह के कांग्रेस में जाने की संभावना हैं।

फतेहाबाद/नारनौल। हरियाणा में लोकसभा चुनाव के लिए 25 मई को होने वाले मतदान से पहले सोमवार को जननायक जनता पार्टी को दो बड़े झटके रहे। 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद जजपा ने भाजपा के साथ गठबंधन में सरकार बनाई तथा दुष्यंत चौटाला सरकार में उपमुख्यमंत्री बने। लोकसभा चुनाव के लिए हिसार व भिवानी सीट पर अपनी दावेदारी करने के बाद भाजपा ने इसी साल 12 मार्च को भाजपा ने जजपा से गठबंधन तोड़ लिया था। जिसके बाद 10 में से चार विधायकों ने नायब सैनी के नेतृत्व में बनी भाजपा की नायब सिंह सैनी सरकार को अपना समर्थन देकर दिया। अब पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष व राष्ट्रीय महासचिव ने पार्टी से त्यागपत्र देकर दूसरा बड़ा झटका दे दिया है।

विधायक व पदाधिकारी भी छोड़ सकते हैं साथ

पार्टी प्रदेशाध्यक्ष निशान सिंह व राष्ट्रीय महासचिव कमलेश सैनी के बाद जल्द ही कुछ विधायक व पार्टी पदाधिकारी भी जजपा का साथ छोड़ सकते हैं। निशान सिंह ने पार्टी छोड़ने की पुष्टि के दौरान इसके संकेत दिए। दूसरी पार्टी ज्वाइन करने के सवाल पर निशान सिंह ने कहा कि वह जल्द ही राष्ट्रीय अध्यक्ष को अपना त्यागपत्र देंगे तथा इसके बाद पार्टी कार्यकर्ताओं व राजनीतिक मित्र के साथ बैठकर भविष्य का फैसला लेंगे।

2000 में बने थे विधायक निशान सिंह 

सरदार निशान सिंह पहली बार 2000 में इनेलो की टिकट पर टोहाना से विधायक बने थे। इसके बाद तीन बार इनेलो की टिकट पर टोहाना से चुनाव लड़ा, परंतु दोबारा विधानसभा नहीं पहुंच पाए। 2028 में इनेलो में हुई टूट के बाद निशान सिंह इनेलो को छोड़ा दुष्यंत के साथ जजपा में चले गए तथा दुष्यंत ने उन्हें पार्टी प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। तब से अब तक निशान सिंह जजपा के प्रदेशाध्यक्ष के पद पर बने हुए हैं। प्रदेश में गठबंधन सरकार से जजपा के बाहर होने के बाद पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष निशान सिंह के पार्टी छोड़ने को जजपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

दो बार लड़ चुकी विस चुनाव

नप चेयरपर्सन कमलेश सैनी नारनौल में जजपा का बड़ा चेहरा रही है। दो बार नारनौल विस से इनेलो की टिकट पर चुनाव लड़ चुकी कमलेश सैनी के ससुर भानाराम सैनी भी विधायक रह रहे हैं। सवा साल पहले जजपा ने भाजपा से गठबंधन के चलते कमलेश सैनी को नारनौल नप चेयरपर्सन का टिकट वापस ले लिया था। जिसके बाद कमलेश सैनी ने निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरकर जीत दर्ज की। जिसे जजपा अपनी जीत बताती रही है। कमलेश सैनी ने सोमवार को पार्टी छोड़ने का ऐलान किया तथा उनके जल्द भाजपा में शामिल होने की चर्चा हैं। हालांकि अभी तक कमलेश सैनी की तरफ से ऐसा कोई बयान नहीं आया है, परंतु पिछले कुछ समय से भाजपा नेताओं से बढ़ी जनदीकियों को देखते हुए यह कयास लगाए जा रहे हैं।

सरपंच चुनाव हारा था बेटा

भाजपा के साथ गठबंधन में प्रदेश की सत्ता में काबिज रही जजपा के प्रदेशाध्यक्ष निशान सिंह के बेटे तेजेंद्र सिंह ने गांव मामुपुर में पिछला सरपंच का चुनाव लड़ा था। जिसमें उन्हें अपने प्रतिद्ध्ंद्धी गुरप्रीत सिंह के मुकाबले 171 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। अपने पैतृक गांव में बेटे को सरपंच का चुनाव में मिली हार निशान सिंह के लिए बड़ा झटका माना गया था।

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