कैप्टन अजय यादव व भूपेंद्र सिंह हुड्डा में हुई सुलह: खाई पाटने में कामयाब रहे चिरंजीव राव, सम्मेलन से दूर हुई दोनों दिग्गजों की नाराजगी

नरेन्द्र वत्स, रेवाड़ी: यादव धर्मशाला में आयोजित कांग्रेस के कार्यकर्ता सम्मेलन में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कैप्टन अजय सिंह यादव का पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ मंच सांझा करना इस बात के संकेत दे गया कि दोनों वरिष्ठ नेताओं के बीच बनी मतभेद की दरार अब समाप्त हो चुकी है। मतभेदों की खाई पाटने में कैप्टन के बेटे चिरंजीव की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही, जिन्होंने अपने पिता के मतभेद भुलाकर हुड्डा के मंच पर बुलाने की रणनीति को अंजाम दिया। इस सम्मेलन में हुड्डा की तरफ से कैप्टन और उनके बेटे को दिए गए सम्मान से यह भी संकेत दे दिए कि जिले के दो अन्य हलकों में भी टिकट वितरण के समय कैप्टन की सलाह को दरकिनार नहीं किया जाएगा।
दोनों नेताओं के बीच लोकसभा चुनावों से पहले बढ़ी थी रस्साकसी
हुड्डा और कैप्टन के बीच रस्साकसी लोकसभा चुनावों से पहले काफी बढ़ गई थी। एक बार चुनाव लड़ने से पीछे हटने के बाद कैप्टन जब तक दोबारा तैयार हुए, तब तक हुड्डा की ओर से उनके विकल्प की तलाश की जा चुकी थी। जिस समय राज बब्बर को गुरूग्राम से टिकट दिए जाने की चर्चा शुरू हुई, उसी समय कैप्टन ने टिकट हासिल करने के लिए पूरा जोर लगा दिया। पूर्व सीएम राज बब्बर को टिकट दिलाने में कामयाब हो गए। उसके बाद कैप्टन ने हुड्डा के प्रति तेवर तल्ख करने शुरू कर दिए थे। राज बब्बर की टिकट फाइनल होने के बाद कैप्टन ने पार्टी प्रत्याशी को जिताने के लिए विधायक बेटे के साथ मिलकर पूरा जोर लगा दिया था। राज बब्बर की हार के बाद भी कैप्टन ने इसका कारण सही प्रत्याशी का चयन नहीं होना बताते हुए ठीकरा हुड्डा के सिर ही फोड़ा था। दोनों नेताओं के बीच राजनीति दूरियां साफ नजर आने लगी थी।
कैप्टन दरबार में हाजिरी लगाना शुरू
इस समय बावल और कोसली दोनों हलकों से कांग्रेस की टिकट के दावेदारों ने कैप्टन दरबार में हाजिरी लगाना शुरू कर दिया है। बावल हलके में टिकट के दावेदारों की संख्या तेजी से बढ़ गई है। इनमें से कुछ दमदार चेहरे कैप्टन निवास पर नजर आने लगे हैं। पूर्व मंत्री डॉ. एमएल रंगा पहले से कैप्टन के साथ लगभग सभी मौकों पर नजर आते रहे हैं। अब इस हलके से दूसरे दावेदार भी उपस्थिति दर्ज कराने लगे हैं। सम्मेलन को सफल बनाने में रेवाड़ी हलके में वरिष्ठ नेता सुभाष छावड़ी का अच्छा रोल रहा है, जबकि बावल से रंगा और उनकी टीम ने भी काफी भीड़ जुटाने का काम किया।
अहीरवाल की एक-एक सीट पर नजर
प्रदेश में सरकार बनाने के लिए लगभग हर चुनाव में दक्षिणी हरियाणा का बड़ा रोल रहता है। इस हलके से आधे से ज्यादा प्रत्याशी जिस दल के चुने जाते हैं, प्रदेश में उसी दल की सरकार बनने का रास्ता साफ हो जाता है। अभी तक दो चुनावों में अहीरवाल के मतदाताओं ने भाजपा का खुलकर साथ दिया था। इस बार हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र ने पूरे अहीरवाल में वापसी करने के लिए जोर लगाया हुआ है। भाजपा पहले ही इस मजबूत किले पर प्रदर्शन दोहराने की रणनीति पर काम कर रही है। यही कारण है कि हुड्डा के लिए क्षेत्र के प्रभावी नेताओं को दरकिनार करना आसान नहीं रहेगा।
