Satta King: सट्टा बाजार में दांव लगाने वाले 'खिलाड़ी' बन रहे मानसिक रोगी, रिसर्च में दावा- सट्टा किंग से दूर रहें, करें ये काम

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Satta king: क्रिकेट के ऑनलाइन सट्‌टे में उड़ाए लाखों। पुलिस के हत्थे चढ़ा तो खुला राज।
द लैंसेट साइकियाट्री में प्रकाशित एक शोध में चेतावनी दी गई कि लगातार जुआ खेलना मानसिक अवसाद में धकेल देता है। जानिये कैसे...

दिल्ली की रहने वाली सपना (काल्पनिक नाम) ने शौक के तौर पर सट्टा खेलना शुरू किया, लेकिन लगातार हार के चलते वो मानसिक रूप से परेशान रहने लगी। करीब तीन महीने में इतना ज्यादा परेशान हो गई कि अपने पति और बच्चों से भी बुरा प्रभाव करने लगी। उसके व्यवहार में आए तब्दीली से न केवल परिजन बल्कि सहकर्मी और दोस्त भी हैरान थे। फिर उसके पति ने जब इसके पीछे का कारण जानने का प्रयास किया तो उसके पांव से जमीन खिसकना लाजमी था। आज सपना ने सट्टे की आदत छोड़ दी है, लेकिन कई लोग आज भी इस लत में फंसे हैं। अगर आप भी सट्टे की लत से शिकार होकर मनोरोगी बनते जा रहे हैं, तो यह लेख आपकी मदद के लिए है।

दुनियाभर में लोग जुए की लत के हो रहे शिकार

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पूरी दुनिया में सट्टा कारोबार चल रहा है। 2022 में द लैंसेट साइकियाट्री में प्रकाशित एक शोध में चेतावनी दी गई थी कि लगातार जुआ खेलना मानसिक अवसाद में धकेल देता है। सट्टा खेलने वाले जिस दिन दांव जीत जाते हैं, उस दिन खुश रहते हैं, लेकिन जिस दिन हारते हैं, उस दिन मायूस रहते हैं। फिर नई उम्मीद में दोबारा से दांव लगाते हैं और जीत न हुई तो फिर से अवसाद में चले जाते हैं। चूंकि खिलाड़ी एक या दो बार जीतता है और बार-बार हारता है, लिहाजा धीरे-धीरे कर्जे में घिरने लगता है। ऐसे में यह शोध जुए पर शोध की समीक्षा करता है।

साथ ही, इसे रोकने और जुए की लत से पीड़ित व्यक्ति के उपचार की सलाह देता है। मतलब स्पष्ट है कि कर्जा होने के बावजूद लगातार सट्टे पर दांव लगा रहा है, तो उसे तुरंत इलाज की जरूरत है। अब सवाल उठता है कि ऐसी कौन सी दवा या इंजेक्शन दें, जिससे व्यक्ति जुए की लत से तुरंत छुटकारा पा ले। लेकिन इससे पहले बताते हैं कि दिवालिये की कगार पर पहुंच चुके जुआरी को आखिरकार मनोरोगी क्यों बता रहे हैं।

जुआरी अपने मस्तिष्क को बुरी तरह करता है प्रभावित

यह दावा कई शोध के हवाले से किया गया है। जुआरी के दिमाग पर कई रिसर्च की गईं। रिसर्च से पता चला कि जुआरी जिस तरह से जोखिम भरे निर्णय लेते हैं, उसका मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है। मतलब यह कि निर्णय लेने के लिए मस्तिष्क का क्षेत्र वेंट्रोमेडियल प्रीफंटल कॉर्टेक्स शामिल है। साथ ही मस्तिष्क का ऑरबिटल फ्रंटल कॉर्टेक्स होता है, जो कि शरीर की भावनाओं को जवाब देने में मदद करता है।

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शोध के मुताबिक जुआरियों को मनोचिकित्सकीय उपचार की जरूरत।

इसके अलावा इंसुला क्षेत्र तंत्रिका तंत्र को नियंत्रित करता है। जुए की लत के शिकार जुआरी इन तीनों क्षेत्रों में असामान्य गतिवधियां बढ़ा देते हैं। इसका असर, जीवन से जुड़े अन्य फैसलों पर भी बुरा पड़ता है। हारा हुआ जुआरी धीरे धीरे आक्रामक होने लगता है, जिसका खामियाजा केवल परिवार को नहीं बल्कि उसके दोस्तों और रिश्तेदारों को भी झेलना पड़ता है।

फिर जुआरी की लत कैसे छुड़ाएं

अब आप सोच रहे होंगे कि जुआरी की लत कैसे छुड़वाई जाए। चूंकि जुए की लत को मानसिक विकास की श्रेणी में रखा जा चुका है, लिहाजा इस लत के शिकार 'मरीज' को तुरंत मनोचिकित्सक के पास ले जाना चाहिए। रिसर्च बताती है कि ऐसे मरीजों को दवा या इंजेक्शन देने की सिफारिश नहीं दी जाती है। ऐसे मरीजों की काउंसिलिंग की जानी चाहिए ताकि वे जुए की लत से उबर सके।

साथ ही, उन्हें वॉक थेरेपी के साथ म्यूजिक थेरेपी भी देनी चाहिए। इसके अलावा तंत्रिका कोशिकाओं को संचार करने में मदद करने वाले डोपामाइन को नियंत्रित करने के लिए दवा दी जा सकती है। साथ ही, परिवार के समर्थन की वजह से भी इस लत से उबरने में मदद मिल सकती है।

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