Delhi: घायल का इलाज न करने वाले 'बेपरवाह सिस्टम' पर कसा शिकंजा, 4 डॉक्टर होंगे निलंबित, HC में भी याचिका दाखिल

petition filed in High Court as man dies
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प्रतीकात्मक तस्वीर
दिल्ली में एक आरोपी की सरकारी अस्पतालों में इलाज नहीं मिलने पर मौत हो गई थी। अब इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है।

Delhi Crime News: राजधानी दिल्ली में चार सरकारी अस्पतालों में इलाज नहीं मिलने के बाद एक आरोपी की मौत हो गई थी। दिल्ली स्वास्थ्य विभाग ने गुरु तेग बहादुर (GTB) अस्पताल और लोक नायक अस्पताल के चार डॉक्टरों के खिलाफ निलंबन की सिफारिश की और रिपोर्ट मांगी थी। अब इस संबंध आज शनिवार को दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई।

याचिका में क्या कहा गया

दिल्ली हाई कोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया गया कि पहले जग प्रवेश चंद्र (जेपीसी) अस्पताल ने घायल प्रमोद को गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल में रेफर कर दिया। जीटीबी अस्पताल ने सीटी स्कैन न होने का हवाला देकर घायल व्यक्ति को भर्ती नहीं किया। इसके बाद लोक नायक अस्पताल (एलएनजेपी) ने उन्हें इस आधार पर भर्ती नहीं किया कि उनके पास कोई आईसीयू/वेंटिलेटर बिस्तर उपलब्ध नहीं था और ऐसे ही इलाज नहीं मिलने से उसकी मौत हो गई।

याचिका में कहा गया कि दिल्ली सरकार या केंद्र सरकार द्वारा संचालित उक्त अस्पतालों की ओर से आपराधिक लापरवाही का पता चलता है, जिसके कारण घायल व्यक्ति प्रमोद की मौत हो गई। याचिका में केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को मामले की जांच करने और अदालत को अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश देने की मांग की गई है। इसके साथ ही ऐसी आपराधिक लापरवाही के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों या अधिकारियों को दंडित करने की मांग की गई है। इसको लेकर अब 8 जनवरी को सुनवाई हो सकती है।

स्वास्थ्य विभाग ने क्या लिया एक्शन

दिल्ली स्वास्थ्य विभाग ने गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल और लोक नायक अस्पताल के चार डॉक्टरों के खिलाफ निलंबन की सिफारिश की है। इसके अलावा दोनों अस्पतालों के संबंधित सीएमओ से मामले में रिपोर्ट देने को कहा है। उन्हें यह रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है कि मरीज कब अस्पतालों में आया। किस डॉक्टर ने उसे देखा, उसने इलाज के लिए इंतजार में कितना समय बिताया, सीसीटीवी फुटेज और ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर समेत पूरी रिपोर्ट देने को कहा है।

इलाज नहीं मिलने से हुई मौत

दरअसल, दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में कभी बेड नहीं, तो किसी में सीटी स्कैन मशीन नहीं होती है। इस बात की सच्चाई तब पता चली जब दिल्ली पुलिस 8 घंटे तक एक आरोपी को लेकर एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकती रह गई। आरोपी की समय पर इलाज न होने की वजह से मौत हो गई। यह घटना 2 जनवरी की देर शाम और 3 जनवरी की सुबह के बीच पूर्वी दिल्ली के उस्मानपुर इलाके की है।

पुलिस की चलती गाड़ी से कूदा आरोपी

न्यू उस्मानपुर थाने में पुलिस को 2 जनवरी, 2024 की शाम को झगड़े की एक कॉल मिली थी। पीड़ित महिला ने पुलिस को रात 9 बजे कॉल करके बताया था कि न्यू उस्मानपुर इलाके में एक व्यक्ति शराब के नशे में धुत होकर उसके साथ झगड़ा कर रहा है। पुलिस मौके पर पहुंची और 47 वर्षीय प्रमोद को पकड़ा।

महिला का आरोप था कि प्रमोद ने छेड़छाड़ कर उसके साथ दुर्व्यवहार किया। पुलिस प्रमोद को थाने लेकर ले जा रही थी। इस बीच नशे में धुत प्रमोद उल्टी करते हुए गाड़ी का शीशा खोलकर कूदकर भाग गया। भागने की कोशिश में प्रमोद घायल हो गया। इसके बाद पुलिस घायल आरोपी को जग प्रवेश चंद्र अस्पताल लेकर गई। वहां से एंबुलेंस से उसे जीटीबी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां पर घायल का सिटी स्कैन न होने के कारण उसे एलएनजेपी अस्पताल में रेफर कर दिया। एलएनजेपी अस्पताल में आईसीयू वेंटीलेटर में बेड खाली न होने के कारण उसे आरएमएल हॉस्पिटल में रेफर कर दिया गया। जहां उस एडमिट नहीं किया गया। इसके बाद पुलिस आरोपी को 3 जनवरी, 2024 की सुबह जेपीसी अस्पताल लेकर पहुंची, जहां पर उसे मृत घोषित कर दिया गया। इस दौरान पुलिस आरोपी को 8 घंटे तक इधर-उधर अस्पतालों में घूमती रही और अंत में उसकी मौत हो गई।

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