Delhi: जो बाबा साहब का सम्मान करेगा, वही देश पर राज करेगा- मेघवाल

Union Law Minister Arjun Singh Meghwal
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केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन सिंह मेघवाल
सेंट्रल फॉर सोशल डेवलपमेंट द्वारा डॉ. भीमराव अंबेडकर की शोध ग्रन्थ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन। केंद्रीय कानून मंत्री हुए शामिल।

Delhi: अब भारत पर वही राज करेगा, जो बाबा साहब का सच्चा सम्मान करेगा। यह बात रविवार को सेंट्रल फॉर सोशल डेवलपमेंट द्वारा डॉ. भीमराव अंबेडकर की शोध ग्रन्थ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी 'द प्रॉब्लम ऑफ रुपया, इट्स ओरिजन एन्ड इट्स सोल्युशन' के आयोजन के अवसर पर केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन सिंह मेघवाल ने कही।

संगोष्ठी में मुख्य वक्ता केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन सिंह मेघवाल, अतिथि वक्ता प्रो. सुरेंद्र कुमार विभागाध्यक्ष, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, सहवक्ता डॉ. राजकुमार फुलवरिया चेयरमैन, सेंटर फॉर सोशल डेवलपमेंट ने दीप प्रज्वलित कर विषय पर अपने विचार रखे। तीन सत्रों में विभाजित कार्यक्रम में प्रथम सत्र 'उद्घाटन सत्र' में मुख्य अतिथि केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि हमारा दायित्व है कि हम बाबा साहब को महामानव के रूप में समझे वह एक महान अर्थशास्त्री, विभिन्न भाषाओं के ज्ञाता व वकील थे, अब भारत पर वही राज करेगा को बाबा साहेब का सच्चा सम्मान करेगा।

मुख्य वक्ता प्रो. सुरेंद्र कुमार ने अंबेडकर को विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्री के रूप में सिलेबस में सम्मिलित करने के महत्व पर जोर दिया। वहीं, सहवक्ता डॉ. राजकुमार फुलवरिया ने बाबा साहब को संविधान निर्माता, दलितों के नेता से इतर उनके विराट रूप पर प्रकाश डाला, इनके जीवन में प्राप्त उपलब्धियों पर शोध करने की दिशा में कार्य करने हेतु प्रोत्साहित किया और बाबा साहब को दलित नेता नहीं अपितु ग्लोबल नेता बताया।

द्वितीय सत्र 'तकनीकी सत्र' में देश भर से आए हुए बीस से अधिक शोध पत्रों को प्रो. एस. एस. सोमरा और प्रो. परमजीत के निर्देशन में प्रस्तुत किया गया। तृतीय सत्र वालेडिक्टरी सत्र (समापन सत्र) में डॉ. बजरंग लाल गुप्त अर्थशास्त्री, सामाजिक कार्यकर्ता व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी ने पाश्चात्य उपभोगितावाद के आर्थिक विकास की त्रुटियों को बताया। उन्होंने भारत के भीतर भारतीय संस्कृति में व्याप्त मंगल भाव के सिद्धांत को अपनाते हुए आवश्यकता के अनुसार प्राकृतिक समरसता पूर्ण विकास को ध्यान में विकास करने को ही महत्वपूर्ण माना तथा समाज में संस्कार और संतुष्टि को देश के आर्थिक विकास का आधार बिंदु घोषित किया।

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