Delhi University: मनोविज्ञान पाठ्यक्रम में कश्मीर मुद्दा शामिल होने पर विवाद, इन गंभीर मुद्दों पर भी हो रहा विचार

Delhi University: दिल्ली विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग ने कश्मीर मुद्दा, इस्राइल-फिलिस्तीन संघर्ष और डेटिंग ऐप्स से जुड़ी आत्महत्याओं जैसे कई संवेदनशील विषयों को नए पाठ्यक्रम में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है। इसको लेकर शुक्रवार को स्थायी समिति की बैठक हुई। इस बैठक में पाठ्यक्रम पर आपत्ति जताई गई। साथ ही इस मामले में एक पैनल का गठन करके पाठ्यक्रम को दोबारा तैयार करके लाने को कहा गया है। जानकारी के अनुसार, विवादित विषयों को पाठ्यक्रम से हटाकर नए सिरे से प्रस्तावित करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
'कश्मीर मुद्दा हल हो चुका है'
मनोविज्ञान के पाठ्यक्रम में कॉन्फ्लिक्ट एंड कॉन्फ्लिक्ट रिवॉल्यूशन के तहत कश्मीर मुद्दा, फिलिस्तीन-इजरायल संघर्ष, उत्तर-पूर्व के मणिपुर और नगालैंड जैसे विवादों को शामिल किया गया। इन मुद्दों को लेकर बैठक में आपत्ति जताई गई और इन्हें दोबारा लिखने के लिए कहा गया। स्थायी समिति की एक सदस्य ने समिति के अध्यक्ष प्रो. प्रकाश सिंह पर आरोप लगाया कि अध्यक्ष ने कहा है कि कश्मीर मुद्दे को हल किया जा चुका है और हमें इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे को पढ़ाने की जरूरत नहीं है।
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'छात्रों पर पड़ेगा बुरा असर'
वहीं समिति के एक अन्य सदस्य ने कहा कि कश्मीर को भारत की संसद ने विवादित मुद्दा नहीं माना। उत्तर-पूर्व के सात राज्यों में से दो ऐसे राज्यों को पाठ्यक्रम में शामिल करने का प्रस्ताव मिला, जहां विवाद खड़ा हो रहा है। इस तरह के विवाद से मनोविज्ञान का कोई संबंध नहीं है। ग्रेजुएशन में छात्रों के लिए ऐसे मुद्दे पाठ्यक्रम में शामिल करने से उन पर बुरा असर पड़ेगा।
'महाभारत और भगवद् गीता को पाठ्यक्रम में करें शामिल'
मनोविज्ञान विभाग के एक सदस्य का कहना है कि नए प्रस्तावित पाठ्यक्रम की जगह पर महाभारत और भगवद् गीता जैसे भारतीय महाकाव्यों को शामिल करने की बात कही गई है। साथ ही डिजिटल मीडिया खंड के अंतर्गत डेटिंग ऐप्स और उनके मनोवैज्ञानिक प्रभाव को शामिल करने का सुझाव दिया गया था, लेकिन समिति ने इसे पाठ्यक्रम में शामिल करने से इनकार कर दिया।
'समिति ने इन मुद्दों को भी शामिल करने से किया इनकार'
विभाग ने ये मुद्दा पाठ्यक्रम में शामिल करते हुए तर्क दिया कि हाल ही के दिनों में डेटिंग ऐप्स के गलत इस्तेमाल के कारण आत्महत्या के कई मामले सामने आए हैं। इसको देखते हुए विभाग ने डेटिंग ऐप्स के गलत इस्तेमाल को पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात कही। जरूरी है कि छात्रों को इस बारे में अच्छी तरह समझ हो। हालांकि समिति ने इस मुद्दे को पाठ्यक्रम में 'भारतीय पारिवारिक प्रणाली के खिलाफ पश्चिमी विचार' कहकर ठुकरा दिया। इसके अलावा बैठक में माइनॉरिटी स्ट्रेस थ्योरी, जातिगत भेदभाव और पितृसत्ता जैसे कई विषयों पर भी आपत्ति जताई गई।
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(Edited by: Deepika)
