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शराब की लत ने युवक को अग्न्याशय की गंभीर बीमारी का मरीज बना दिया। डॉक्टरों ने मरीज के पेट में छेद कर जान बचाई गई।  

रायपुर। किशोरावस्था से शराब का सेवन करना एक युवक के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो गया। इसके कारण युवक के अग्न्याशय में 30 सेमी बड़ी पानी की थैली बन गई। इसका ऑपरेशन आंबेडकर अस्पताल में किया गया चिकित्सकों के मुताबिक, इतनी कम उम्र में शराब सेवन के कारण अग्न्याशय में स्यूडो सिस्ट बन जाने का केस बहुत कम होता है। आमतौर पर इतनी कम उम्र में यह बीमारी वंशानुगत कारणों से होती है।

इस केस में युवक किशोरावस्था से शराब का सेवन कर रहा था। विगत 4 वर्षों से शराब का सेवन करने से मरीज के पेट में यह बीमारी उत्पन्न हो गई, जो कि पिछले दो माह से बढ़ रही थी। इसके कारण मरीज को पेट में सूजन एवं दर्द की शिकायत थी। जांच में पता चला कि बेहद ही कम उम्र में शराब के सेवन से 18 वर्षीय युवक के अग्न्याशय यानी पेंक्रियाज में बन चुकी 30 सेंटीमीटर से बड़ी पानी की थैली अर्थात स्यूडो सिस्ट बन चुका था।

सिस्ट की वॉल को जोड़ा अमाशय की वॉल से

जनरल सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. मंजू सिंह के नेतृत्व में हुए इस ऑपरेशन में आमालय द्वारा अग्न्याशय में बजी थैली के पानी को निकालकर जोड़ा गया। डॉ एसएन गोले, डॉ. अमित अवावाल एवं डॉ. मनीष साहू भी ऑपरेशन करने वाली टीम में शामिल रहे। सिस्टोगैस्ट्रोस्टोमी सर्जरी तकनीक से यह ऑपरेशन किया गया, जिसमें अग्न्याशयी स्यूडो सिस्ट और पेट के बीच एक छेद चलाया जाता है। सिस्ट की वॉल को आमाशय की वॉल से एनास्टोमोसिस (कनेक्ट) कर दिया जाता है।

केवल सर्जरी ही समाधान

डॉ.अमित अग्रवाल के मुताबिक, यह बीमारी ज्यादातर उम्रदराज या फिर 30 से 50 वर्ष के लोग जो लंबे समय से शराब का सेवन करते हैं, उनमें पाई जाती है किन्तु आजकल युवाओं में बढ़ते शराब के सेवन के कारण कम उम्र में यह बीमारी देखने को मिल रही है। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है और युवाओं के सेहत के लिए ठीक नहीं है। इस बीमारी का मुख्य कारण शराब की लत है. कई चार यह बीमारी जानलेवा होती है एवं समाधान केवल सर्जरी है इसलिए युवाओं को शराब से दूर रहने में ही मलाई है। इस सफल ऑपरेशन में जनरल सर्जरी विभाग के सीनियर डॉक्टरों के साथ-साथ पीजी थर्ड ईयर के डॉ. अंकित, डॉ. सुरभि, डॉ. रेणु, रोकड ईयर के डॉ. राजीव डॉ. रवि, डॉ प्रदीप, फस्र्ट ईयर के डॉ. राजन, डॉ. तपनीश, डॉ. कमलेश्वर एवं डॉ. रेशम का सहयोग रहा।
 

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