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नक्सलियों की क्रूरता किसी को गोलियों से भूना, किसी का गला रेता तो किसी की ब्लास्ट में गई जान, बस्तर में 23 साल में नक्सल हिंसा में 1775 निर्दोष ग्रामीणों की जान गई थी।  

राजेश दास -जगदलपुर। छत्तीसगढ़  राज्य निर्माण के बाद नक्सलियों की ऐसी क्रूरता देखने को मिल रही है। इन 23 वर्ष में टेरर के लिए नक्सलियों ने किसी को गोलियों से भूना तो कइयों को जनअदालत लगाकर गला रेता तो किसी की नक्सलियों के द्वारा प्लांट किए गए आईईडी की चपेट में आने से जान चली गई। दो दिन पहले गंगालूर थाना के क्षेत्र खास ग्राम मुदवेंडी में एक युवक गडिया कुंजाम का आईईडी ब्लास्ट में जान चली गई। उसके परिवार में यह दोहरा दुख था। इसी परिवार की एक छह माह की बच्ची तीन माह पहले पुलिस-नक्सली मुठभेड़ के दौरान क्रास फायरिंग में मारी गई थी। हिंसा, अशांति से घिरे ग्रामीणों ने अब शांति वार्ता की मांग की है। आंकड़े बताते हैं कि,  बस्तर में 23 बरस में नक्सल हिंसा में 1775 निर्दोष ग्रामीणों की जान जा चुकी है। इनमें अधिकांश लोगों की हत्या नक्सलियों द्वारा पुलिस मुखबरी के संदेह में कर दी गई वहीं कुछ नक्सलियों द्वारा जवानों को नुकसान पहुंचाने लगाए गए आईईडी की चपेट में आने से मारे गए।

गडिया कुंजाम की मौत भी नक्सलियों की इसी क्रूरता में ठगई है। मुदवेंडी निवासी गड़िया कुंजाम 18 बरस का था। उसकी शादी नहीं हुई थी। कुंजाम परिवार में तीन माह के भीतर यह दूसरी मौत है। गडिया से पहले उसकी भांजी क्रास फायरिंग में मारी गई थी। ग्रामीणों ने बताया कि 20 अप्रैल की दोपहर को तेंदूपत्ता की गड्डी बांधने के लिए रस्सी की तलाश में 10 से 12 ग्रामीण गांव से लगभग 5 सौ मीटर की दूरी पर स्थित पहाड़ की तरफ गए हुए थे। इसी दौरान जोरदार धमाका हुआ। विस्फोट की आवाज सुनकर डरे सहमे सभी ग्रामीण दौड़े दौड़े अपने घर की तरफ लौट आए। दूसरे दिन 21 अप्रैल की सुबह ग्रामीणों ने देखा की गड़‌या कुंजाम अपने घर पर नहीं हैं जिसके बाद ग्रामीण सुबह गड़या को तलाशने पहाड़ की ओर निकले, जहां गड्‌या अधमरी हालत में खून से लथपथ मिला। ग्रामीणों ने मदद के लिए गंगालूर फोन किया लेकिन मदद पहुंचती इससे पहले ही अत्यधिक रक्तस्राव होने की वजह से गड़‌या की दर्दनाक मौत हो गई।

23 वर्ष में 1775 निर्दोष लोग नक्सल हिंसा में मारे गाए

नक्सल हिंसा में मारे गए आम निर्दोष लोगों की तादात की बात करें तो छग राज्य बनने के बाद 23 सालों में 1775 बेकसूर लोग नक्सल हिंसा में मारे गए है। बस्तर संभाग में हुई मौतों के आकंड़ों की बात करें तो सर्वाधिक निर्दोष लोगों की मौत बीजापुर जिले में हुई है। नक्सलियों की क्रूरता के चलते वर्ष 2006 में सर्वाधिक 206 लोगों की मौत हुई। वहीं अब तक बीजापुर जिले में 743, दतेवाड़ा जिले में 344, काकेर में 242, नारायणपुर में 166. सुकमा में 132. कोंडागावं में 27 तथा बस्तर जिले में 81 निर्दोष ग्रामीणों की मौत हो चुकी है। इनमें आम लोगों के अलावा नेता व पत्रकार भी शामिल है।

एफआईआर कराने तैयार नहीं परिजन

जानकारी के मुताबिक साढ़े तीन महीने पहले गांव में सीआरपीएफ का कैम्प खुला है, बावजूद ग्रामीण यहां सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। ग्रामीणों में खौफ इतना ज्यादा है कि एफआईआर तक कराने की कोई हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। बताया जा रहा है कि पुलिस विभाग की टीम ग्रामीण के घर भी पहुंची थी और एफआईआर दर्ज कराने के लिए परिजनों को मनाने की भी कोशिश की थी लेकिन नक्सलियों के खौफ कारण व एफआईआर कराने के लिए भी तैयार नहीं हुए।

लगातार कार्रवाई से बौखलाए नक्सली निर्दोषों की ले रहे जान

बस्तर आईजी सुंदरराज पी बताया कि,  नक्सलियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई चल रही है, ऐसे में नक्सली बौखला गए हैं। सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने के लिए आईईडी लगा रहे है, बावजूद हमारे जवान नक्सलियों के हर मंसूबे को नाकाम कर रहे हैं। नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाकर उनका सफाया किया जाएगा।

 

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