अनदेखी या मिलीभगत : अधूरे पुल को बताया पूरा, विभाग की कार्यशैली पर उठे सवाल...

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पुल की नींव और बाढ़ से बचाने वाला कार्य अधूरा रह गया, इस पुल का बनाने के लिए 10 लाख का बजट था।
पुल निर्माण का काम जनवरी 2017 में शुरू हुआ था और अगर विभाग के रिकॉर्ड की बात की जाए तो यह पुल 30 सितंबर में पूरा हो गया था।

गरियाबंद- छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में एक पुल निर्माण का काम जनवरी 2017 में शुरू हुआ था और अगर विभाग के रिकॉर्ड की बात की जाए तो यह पुल 30 सितंबर तक पूरा हो गया था। लेकिन पुल की नींव और बाढ़ से बचाने वाला कार्य अधूरा रह गया, इस पुल को बनाने के लिए 10 लाख का बजट था। लेकिन यह पूरा नहीं होने की वजह से विभाग पर कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं।

अधूरे कार्य की जांच होगी या नहीं...

इस काम को पूरा हुए 16 महीने हो गए, लेकिन किसी भी अधिकारी या सरकार का अधूरे कार्य पर ध्यान तक नहीं गया। पैसे का गोलमाल भी यहां पर दिखाई दे रहा है, इसके बावजूद एसडीओ और कार्यपालन करने वाले सही तरीके से जबाव देने को तैयार नहीं है। आखिर इस कार्य में अनदेखी की गई या मिलीभगत से पैसे खाए गए, इस बात का पता को जांच के बाद ही चल पाएगा। सवाल यह खड़ा होता है कि, इस अधूरे काम को पूरा कौन करेगा और जांच होगी या नहीं...

ठेका कंपनी मालिक का क्या कहना है...

इस पुल की नींव बाढ़ से बचने के लिए की गई थी। लेकिन अब यह अधूरा है, ऐसे में ठेका कंपनी मेसर्स कैलाश अग्रवाल का कहना है कि, पिचिंग का कार्य नहीं किया गया था। जिसे पूरा करने के लिए 10 लाख का बजट बनाया गया था। विभाग की तरफ से यह रकम एक साल तक रोक दी गई...यह रकम गई तो गई कहां...

एसडीओ बात को रफदफा कर रहे...

जानकारी के मुताबिक, एसडीओ वी एस सोनी ने कहा कि, यह काम बहुत दिन पहले का है...और मुझे याद नहीं है। वहीं कार्यपालन अभियंता आर बी सोनी ने कहा कि, काम लेट हो गया था। बजट लेप्स हो जाता, इसलिए ऐसा करना पड़ गया...अब आगे करवा लेंगे...

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