आश्रम की छात्रा हुई प्रेग्नेंट : राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की टीम पहुंची कांकेर, प्रशासन और ग्रामीणों ने बच्ची से मिलने नहीं दिया

The team of National Child Protection Commission reached Government High School Chhote Bethia
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शासकीय उ. मा. विद्यालय छोटे बेठिया पहुंची राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की टीम
आश्रम में नाबालिग छात्रा के गर्भवती होने के मामला और उलझता जा रहा है। शिकायतकर्ता ने अपने कदम पीछे कर लिए हैं। आयोग को पीड़िता से मिलने नहीं दिया गया।

गौरव श्रीवास्तव- कांकेर। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के छोटे बेठिया आश्रम में नाबालिग छात्रा के गर्भवती होने के मामला और उलझता जा रहा है। एक तरफ जिस सरपंच ने मामले की शिकायत की थी वहीं अब अपना पल्ला झाड़ती नजर आ रही हैं। प्रशासन की 5 सदस्यीय टीम भी अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। वहीं दिल्ली से आई राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की 3 सदस्यीय टीम को भी छात्रा के परिजनों और ग्रामीणों ने छात्रा से मिलने नहीं दिया। इसके बाद मामला और उलझ गया है।

पीड़िता के परिजन छात्रा के साथ किसी भी तरह की घटना से इनकार कर रहे हैं फिर सवाल यह उठ रहा है कि, आखिर वे जांच दल को छात्रा से मिलने क्यों नहीं दे रहे। यहां तक कि, वे छात्रा का मेडिकल टेस्ट करवाने के लिए भी राजी नहीं हैं।

प्रशासन की बड़ी लापरवाही- प्रीति भरद्वाज

दूसरी तरफ राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की सदस्य प्रीति भरद्वाज ने छोटे बेठिया आश्रम के निरीक्षण के बाद जिला प्रशासन को ही आड़े हाथों लिया है और जमकर खरी खोटी सुनाई है। प्रीति भरद्वाज ने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि, आश्रम की स्थिति बेहद बद्तर है। छात्राएं बेहद गंभीर स्थिति में यहां रह रही हैं। आश्रम में बाउंड्रीवाल नहीं है, आश्रम का भवन जर्जर हो चुका है, गंदगी का आलम पसरा हुआ है, छात्राओं को आश्रम में नए गद्दे रखे होने के बाद भी जमीन पर सोना-बैठना पड़ रहा है। यही नहीं आश्रम के छात्राओं की सुरक्षा को लेकर भी कोई प्रबन्ध नहीं है। प्रीति भारद्वाज ने कहा कि, जिला प्रशासन की लापरवाही है कि इन मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। आश्रम की निलंबित अधीक्षिका ने भी इस बात को राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की टीम के सामने स्वीकार किया है कि वो रात में आश्रम में नहीं रूकती थी।

पीड़िता के परिजनों और ग्रामीणों ने जांच दल को मिलने से रोका

प्रीति ने बताया कि, पीड़िता से मिलने से उनके परिजनों और गांव के लोगों ने रोक दिया है। वहीं जिस सरपंच ने मामले की शिकायत की थी अब वो कह रही हैं कि, उनसे धोखे से शिकायत पत्र में हस्ताक्षर करवाया गया। पूरा मामला और भी ज्यादा उलझ गया है। न तो प्रशासन द्वारा गठित टीम किसी निष्कर्ष पर पहुंची है और न ही राष्ट्रीय बाल संरक्षण की टीम को इस मामले में कोई जानकारी मिल रही है। प्रीति भरद्वाज ने कहा कि, जो कुछ उन्होंने जांच में पाया है उसकी रिपोर्ट वो राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष को सौंपेगी।

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