एमएचआरडी मंत्रालय में उच्च-शिक्षा सचिव का तबादला, अमित खरे को सौंपी गई जिम्मेदारी
अमित खरे इससे पहले सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में सचिव के पद पर कार्यरत थे। साथ ही एमएचआरडी में स्कूली शिक्षा विभाग के सचिव का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाल रहे थे। यह जिम्मेदारी अभी भी उनके पास ही बनी हुई है।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) में उच्च-शिक्षा विभाग के सचिव आर.सुब्रमण्यम का शुक्रवार को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय में तबादला कर दिया गया है। सरकार के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दोपहर करीब ढाई बजे इस संबंध आदेश मिलने के एक घंटे के अंदर ही सुब्रमण्यम ने केंद्र द्वारा दी गई नई जिम्मेदारी को संभाल लिया है।
उनकी जगह पर अमित खरे को एचआरडी मंत्रालय में उच्च-शिक्षा विभाग के नए सचिव के रुप में जिम्मेदारी सौंपी गई है। अमित खरे इससे पहले सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में सचिव के पद पर कार्यरत थे। साथ ही एमएचआरडी में स्कूली शिक्षा विभाग के सचिव का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाल रहे थे। यह जिम्मेदारी अभी भी उनके पास ही बनी हुई है।
यहां बता दें कि वर्ष 1985 बैच के आंध्र-प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी रहे आर.सुब्रमण्यम को करीब दो वर्ष पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय में सचिव, उच्च-शिक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उस वक्त वह विभाग में अतिरिक्त सचिव आईआईटी के रुप में कामकाज देखते थे। अभी मंत्रालय में उनका कार्यकाल करीब एक से दो वर्ष का और रह गया था। लेकिन उसके पूरा होने से पहले ही उनका तबादला हो गया है।
यह विवाद बने कारण
सूत्रों ने यह भी बताया कि लगभग दो साल पहले एमएचआरडी मंत्रालय में जिस अधिकारी को उसके अच्छे प्रदर्शन के चलते सरकार द्वारा पदोन्नत कर अतिरिक्त सचिव से सचिव, उच्च-शिक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। आज अचानक ही केंद्र के एक अन्य मंत्रालय में अचानक उसका तबादला कर दिया गया है।
वजन के आधार पर देखें तो एमएचआरडी, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के सामने एक कम वजनी मंत्रालय समझा जाता है। सुब्रमण्यम के तबादले के पीछे खुद मंत्रालय के गलियारों में भी कई तरह की चर्चाएं जोरशोर से चल रही हैं, जिसमें यह भी कहा जा रहा है कि जेएनयू विवाद का उनकी कई बार की कोशिशों के बाद भी हल न हो पाना, छात्रों का लगातार जारी आंदोलन और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लेकर जारी उनकी तेज कवायद जैसे विषयों को मुख्य वजहों के रुप में देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि जेएनयू प्रशासन द्वारा बीते दिनों बढ़ाई गई फीस को लेकर छात्र लंबे वक्त से आंदोलित हैं। मंत्रालय ने इसके समाधान के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन भी किया था। लेकिन विवाद जारी है। साथ ही एनईपी को लेकर सरकार मौजूदा वक्त में खुलेरुप से ज्यादा चर्चा करने के पक्ष में नजर नहीं आ रही है। लेकिन सुब्रमण्यम इसे जल्द से जल्द अमलीजामा पहनाने की कवायद की ओर आगे बढ़ रहे थे।
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