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Savings Account Rule: आयकर अधिनियम 1962 की धारा 114B के मुताबिक, बैंकों या वित्तीय संस्थाओं को बड़ा मात्रा में कैश डिपॉजिट होने की सूचना इनकम टैक्स को देनी होती है।

Savings Account Rule: अगर आप समझते हैं कि बैंक के सेविंग अकाउंट (Savings Account) में पैसा रखना ज्यादा सुरक्षित है तो ऐसा नहीं है। यहां भी लिमिट से ज्यादा ट्रांजैक्शन या बचत खाते में ज्यादा जमा रखने पर आपकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। क्या आपको पता है कि आप अपने सेविंग अकाउंट में कितनी रकम जमा करके रख सकते हैं। एक फाइनेंशियल ईयर में कितना पैसा बचत खाते में होना चाहिए? अगर राशि इसे लेकर तय सीमा से ऊपर निकली तो संभव है कि आपको आयकर विभाग यानी इनकम टैक्स का नोटिस मिल जाए। ऐसे में आपको इसका जवाब देना पड़ेगा। 

समझिए कैश जमा करने का क्या मतलब है? 
जब आपके सेविंग बैंक अकाउंट (Savings Bank Account) में सामान्य रूप से या मनी ट्रांसफर या ऑटोमैटिक कैश डिपॉजिट मशीन से पैसे जमा किए जाते हैं तो इसे कैश डिपॉजिट की कैटेगरी में रखा जाता है। खाताधार अक्सर राशि को सुरक्षित रखने और भविष्य में ट्रांजैक्शन करने के लिए बैंक खाते में रकम जमा करके रखते हैं। एक बार पैसा जमा हो जाए तो आप जब चाहें जरूरत पड़ने पर इसे निकाल सकते हैं। बचत खाते पर स्टेट बैंक 2.7 फीसदी सालाना ब्याज देता है। अन्य बैंकों के लिए भी यह दर अलग-अलग हैं। 

इनकम टैक्स नियम क्या कहता है?
आपको बता दें कि आयकर विभाग (Income Tax Department) के मुताबिक, वित्त वर्ष यानी फाइनेंशियल ईयर के दौरान बचत खाते में कैश डिपॉजिट करने की लिमिट 10 लाख रुपए है। सभी बैंक और वित्तीय संस्थाएं आयकर के नियमों का पालन करती हैं। इनकम टैक्स एक्ट 1962 की धारा 114B के अंतर्गत अगर किसी खाते में बड़ी मात्रा में कैश जमा होता है तो बैंकों को इसकी जानकारी आयकर विभाग को देनी होती है। ऐसे में हर सेविंग अकाउंट पर इनकम टैक्स की निगरानी रहती है। 

...तो मिल सकता है इनकम टैक्स नोटिस
किसी एक फाइनेंशियल ईयर में सेविंग अकाउंट में कुल जमा कैश की गणना उस व्यक्ति के सभी खातों को जोड़कर की जाती है। आयकर नियमों के अनुसार, अगर आपके सेविंग अकाउंट में तय लिमिट से अधिक रकम जमा है तो आयकर विभाग की नजर आप पर जरूर पड़ेगी। ऐसे में तय सीमा से अधिक कैश डिपॉजिट होने पर खाताधारक को इनकम टैक्स भरना पड़ेगा।

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