Hindenburg Research: SEBI चेयरपर्सन माधबी बुच पर आरोपों को लेकर विपक्ष हमलावर, कांग्रेस ने संसद स्थगित करने पर उठाए सवाल

Hindenburg Research Report
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हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में SEBI प्रमुख माधबी बुच और उनके पति पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने अडाणी मनी सिफोनिंग स्कैंडल में इस्तेमाल किए गए गुमनाम विदेशी फंड्स में हिस्सेदारी रखी थी। 

Hindenburg Research: हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी ताजा रिपोर्ट में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। दोनों के अडाणी ग्रुप की ऑफशोर कंपनियों से जुड़े होने का दावा किया जा रहा है। इस मुद्दे पर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) समेत संपूर्ण विपक्ष हमलावर है। कांग्रेस और आप की तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं।

जानिए हिंडनबर्ग रिपोर्ट में क्या लगाए गए आरोप?
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में आरोप है कि माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने अडाणी मनी सिफोनिंग स्कैंडल में इस्तेमाल किए गए गुमनाम विदेशी फंड्स में हिस्सेदारी रखी है। हिंडनबर्ग ने अपने ब्लॉग पोस्ट में कहा कि उद्योगपति गौतम अडाणी के खिलाफ उनकी रिपोर्ट के 18 महीने बाद भी SEBI ने अडाणी के कथित अघोषित मॉरीशस और विदेशी शेल कंपनियों के जाल में आश्चर्यजनक रूप से कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई है। (ये भी पढ़ें... हिंडनबर्ग रिपोर्ट में सेबी चेयरपर्सन के खिलाफ 4 गंभीर आरोप, माधबी बुच बोलीं- सभी आरोप सच्चाई से परे)

सेबी चेयरपर्सन भी अडाणी समूह की निवेशक: टीएमसी
विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने इन नए आरोपों पर तुरंत प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस ने शनिवार को लैटिन वाक्यांश "क्विस कस्टोडिएट इप्सोस" या "रक्षकों की रक्षा कौन करेगा?" का इस्तेमाल करते हुए SEBI प्रमुख पर निशाना साधा। तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने आरोपों पर प्रतिक्रिया दी और उन्होंने ट्वीट किया- "अडाणी स्टाइल में... SEBI चेयरपर्सन भी उनके समूह में निवेशक हैं। क्रोनी कैपिटलिज्म का बेहतरीन उदाहरण। @CBiHeadquarters और @Dir_ED - क्या आप POCA और PMLA का मामला दर्ज करेंगे या नहीं?"

अडाणी ग्रुप ने मॉरीशस की फर्जी कंपनियों में पैसे डलवाए: AAP
AAP सांसद संजय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- हिंडनबर्ग रिपोर्ट कह रही है कि भारत से हजारों घोटालेबाजों का पैसा अडाणी ग्रुप ने मॉरीशस में फर्जी कंपनियों में लगाया। गौतम अडाणी ने भाई विनोद अडाणी के माध्यम से फर्जी कंपनियां बनाकर अपने ग्रुप के कंपनियों के शेयरों की खरीद कराई और दाम बढ़वाए। कुछ समय बाद जब शेयर की कीमत गिरती है तो आम निवेशकों को नुकसान होता है। इस मामले में अडाणी नहीं जनता का पैसा डूबा है। एलआईसी और पेंशन फंड के पैसों में घोटाला हो रहा है।

कांग्रेस ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट को संसद सत्र से जोड़ा
शिवसेना (UBT) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी इस मामले पर कहा कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि SEBI ने अडाणी समूह की कंपनियों से जुड़ी जानकारी मांगने वाले उनके पत्रों का जवाब क्यों नहीं दिया। दूसरी ओर, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने माधबी बुच और अडाणी ग्रुप से जुड़ी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को संसद के मानसून सत्र से जोड़कर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने X पोस्ट में लिखा- अब पता चला कि आखिर संसद का सत्र क्यों जल्दी खत्म कर दिया गया।

सेबी ने कही थी 13 अपारदर्शी विदेशी संस्थाओं की जांच की बात
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में SEBI चीफ माधबी बुच और उनके पति पर आरोप अडाणी मनी सिफोनिंग स्कैंडल में इस्तेमाल गुमनाम विदेशी फंड्स में हिस्सेदारी रखने का आरोप है। SEBI जो इस मामले की जांच पहले से कर रहा था। सेबी ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल को बताया था कि वह 13 अपारदर्शी विदेशी संस्थाओं की जांच कर रहा है, जिन्होंने अडाणी समूह की पांच कंपनियों में 14 से 20 प्रतिशत तक हिस्सेदारी रखी थी। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इन जांचों को अब तक पूरा किया गया है या नहीं।

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