Hindenburg: हिंडनबर्ग रिपोर्ट में सेबी चेयरपर्सन के खिलाफ 4 गंभीर आरोप, माधबी बुच बोलीं- सभी आरोप सच्चाई से परे

SEBI Chairperson Madhabi Puri Buch
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SEBI Chairperson Madhabi Puri Buch
हिंडनबर्ग की ताजा रिपोर्ट के आरोपों में अडाणी मनी सिफोनिंग स्कैंडल में इस्तेमाल किए गए गुमनाम विदेशी संस्थाओं में हिस्सेदारी रखने से लेकर, अपारदर्शी कंसल्टिंग बिजनेस ट्रांसजैक्शन शामिल हैं।

Hindenburg Report: अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी ताजा रिपोर्ट में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर कदाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। जिसमें विनोद अडानी से जुड़े ऑफशोर फंड से लिंक, उनके कंसल्टिंग बिजनेस में वित्तीय अस्पष्टता और बहुत कुछ शामिल है। इसके बाद रविवार को सेबी चीफ ने हिंडनबर्ग के आरोपों को सिरे से खारिज किया।

सेबी चीफ और उनके पति ने किया आरोपों का खंडन

  • मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने एक बयान जारी कर आरोपों को निराधार और सच्चाई से परे बताया। उन्होंने कहा कि उनका जीवन और वित्तीय स्थिति एक खुली किताब है और सभी आवश्यक खुलासे पहले ही SEBI को प्रदान किए जा चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे शीघ्र ही पूरी पारदर्शिता के साथ एक डिटेल बयान जारी करेंगे।
  • हिंडनबर्ग रिसर्च ने 18 महीने पहले अडाणी ग्रुप से जुड़ी एक रिपोर्ट जारी की थी। जिसे लेकर काफी हंगामा मचा था। इसकी जांच सेबी चीफ माधुरी के अगुआई में हुई। अब हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट में दावा किया है कि सेबी प्रमुख के पति की अडाणी से लिंक मॉरीशस ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी है। जांच के दौरान मॉरीशस और ऑफशोर शेल कंपनियों के खिलाफ कम इंटरेस्ट दिखाना शक पैदा करता है।

AAP ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट को संसद सत्र से जोड़ा
दूसरी ओर, अब इस मुद्दे पर सियासत भी तेज हो गई है। विपक्ष ने माधबी बुच और अडाणी ग्रुप से जुड़ी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को संसद के मानसून सत्र से जोड़कर सवाल उठाए हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने X पोस्ट में लिखा- अब समझ आया कि आखिर संसद का सत्र क्यों जल्दी खत्म कर दिया गया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर संसद सत्र जल्दी खत्म करने को लेकर सवाल उठाए हैं।

माधबी पुरी बुच के खिलाफ 4 बड़े आरोप
हिंडनबर्ग की ओर से रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों में अडाणी मनी सिफोनिंग स्कैंडल में इस्तेमाल किए गए गुमनाम विदेशी संस्थाओं में हिस्सेदारी रखने से लेकर, अपारदर्शी परामर्श व्यवसाय लेनदेन शामिल हैं। बुच के खिलाफ लगाए गए चार प्रमुख आरोप...

1) विदेशी फंड्स से संबंध: हिंडनबर्ग रिसर्च का आरोप है कि SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने उन्हीं बरमूडा और मॉरीशस फंड्स में हिस्सेदारी रखी थी जिनका उपयोग विनोद अदानी द्वारा किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, जब बुच SEBI में पूर्णकालिक सदस्य के पद पर थीं, उन्होंने अपने निजी ईमेल के माध्यम से इन फंड्स की यूनिट्स को रिडीम करने के लिए ईमेल किया था।

2) वित्तीय अपारदर्शिता: SEBI चेयरपर्सन के रूप में अप्रैल 2017 से मार्च 2022 तक अपने कार्यकाल के दौरान माधबी पुरी बुच ने सिंगापुर में स्थित एक परामर्श फर्म, अगोरा पार्टनर्स, का पूर्ण स्वामित्व रखा। उनकी नियुक्ति के तुरंत बाद, उन्होंने इस फर्म का स्वामित्व अपने पति को स्थानांतरित कर दिया। यह फर्म वित्तीय विवरणों का खुलासा नहीं करती, जिससे इसकी आय और स्रोतों के बारे में जानकारी अस्पष्ट रहती है।

3) ब्लैकस्टोन के साथ हितों का टकराव: हिंडनबर्ग के अनुसार, SEBI में बुच के कार्यकाल के दौरान उनके पति धवल बुच को ब्लैकस्टोन में एक वरिष्ठ सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया, जो रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (REITs) में बड़ा निवेशक है। बुच की अगुआई में SEBI ने REITs के पक्ष में महत्वपूर्ण नियामकीय बदलाव किए, जिससे हितों के टकराव का शक पैदा हुआ।

4) अपारदर्शी कंसल्टेंसी बिजनेस लेनदेन: रिपोर्ट में दावा किया गया है कि माधबी बुच फिलहाल अगोरा एडवाइजरी नामक एक कंसल्टेंसी फर्म में 99% हिस्सेदारी रखती हैं, जिसमें उनके पति निदेशक हैं। वित्तीय वर्ष 2022 में इस फर्म ने कंसल्टेंसी से 19.8 मिलियन रुपए का राजस्व जुटाया, जो SEBI में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में उनके घोषित वेतन से 4.4 गुना अधिक था।

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